आनंदीबेन पटेल पर आधारित पुस्तक | 03 May 2025

चर्चा में क्यों?

लखनऊ स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में भारत के उपराष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की आत्मकथात्मक पुस्तक ‘चुनौतियाँ मुझे पसंद हैं’ का विमोचन किया गया।

मुख्य बिंदु

  • पुस्तक के बारे में:
    • यह पुस्तक राजनीति, प्रशासन और सामाजिक जीवन में उनके संघर्षों और उपलब्धियों को दर्शाती है।
    • पुस्तक में एक साधारण कार्यकर्त्ता से लेकर गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश की राज्यपाल बनने तक के सफर का उल्लेख है।
    • यह पुस्तक महिलाओं के नेतृत्व, संघर्ष और सशक्तीकरण का उदाहरण प्रस्तुत करती है।
  • आनंदीबेन पटेल
    • आनंदीबेन पटेल वर्तमान में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं और भारतीय राजनीति की एक प्रभावशाली महिला नेतृत्वकर्त्ता के रूप में जानी जाती हैं।
    • उनका जन्म 21 नवंबर 1941 को गुजरात के मेहसाणा ज़िले के खरोद गाँव में एक पाटीदार परिवार में हुआ था।
    • उन्होंने ई-जमीन कार्यक्रम शुरू किया, जिससे भूमि रिकॉर्ड का कंप्यूटरीकरण हुआ और किसानों के अंगूठे के निशानों और तस्वीरों को डिजिटल रूप दिया गया।

राज्यपाल

  • परिचय
    • इसके अलावा, जब राज्यपाल की नियुक्ति हो तब राष्ट्रपति के लिये आवश्यक है कि वह राज्य के मामले में मुख्यमंत्री से परामर्श करे ताकि राज्य में संवैधानिक व्यवस्था सुनिश्चित हो।
    • राज्यपाल, राज्य का कार्यकारी प्रमुख होता है। परंपरा के अनुसार, वह उस राज्य से संबंधित न हो जहाँ उसे नियुक्त किया गया है, ताकि वह स्थानीय राजनीति से मुक्त रह सके।
    • राज्यपाल न तो जनता द्वारा सीधे चुना जाता है और न ही अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रपति की तरह संवैधानिक प्रक्रिया के तहत उसका निर्वाचन होता है। 
    • उसकी नियुक्त राष्ट्रपति के मुहर लगे आज्ञापत्र के माध्यम से होती है।
    • वह राष्ट्रपति की इच्छा पर पद धारण करता है और राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय हटाया जा सकता है।
  • राज्यपाल कार्यालय की शर्तें:
    • बिना किराए के उसे राजभवन (आधिकारिक निगम) उपलब्ध होगा।
    • वह संसद द्वारा निर्धारित सभी प्रकार की उपलब्धियों, विशेषाधिकारों और भत्तों के लिये अधिकृत होगा। 
    • यदि वह व्यक्ति दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त होता है, तो ये उपलब्धियाँ और भत्ते राष्ट्रपति द्वारा तय मानकों के हिसाब से राज्य मिलकर प्रदान करेंगे।
    • उसके कार्यकाल के दौरान उसकी आर्थिक उपलब्धियों व भत्तों को कम नहीं किया जा सकता।
  • विशेषाधिकार:
    • अनुच्छेद 361 के तहत, उसे अपने शासकीय कृत्यों के लिये विधिक दायित्व से निजी उन्मुक्ति प्राप्त होती हैं। 
    • अपने कार्यकाल के दौरान, उसे आपराधिक कार्यवाही (चाहे वह व्यक्तिगत क्रियाकलाप हो) की सुनवाई से उन्मुक्ति प्राप्त है। 
    • उसे गिरफ्तार कर कारावास में नहीं डाला जा सकता है।
    • यद्यपि दो महीने के नोटिस देने पर व्यक्तिगत क्रियाकलापों पर उनके विरुद्ध नागरिक कानून संबंधी कार्यवाही प्रारंभ की जा सकती है।