झारखंड में बायोगैस संयंत्र | 11 Sep 2025

चर्चा में क्यों?

गोबरधन योजना के तहत झारखंड के पाँच ज़िलों में नए बायोगैस संयंत्र स्थापित किये जाएंगे जिससे राज्य में बायोगैस संयंत्रों की कुल संख्या 47 हो जाएगी।

  • ये पाँच नए बायोगैस संयंत्र बोकारो (पेटरवार ब्लॉक), रामगढ़ (चित्रापुर), दुमका (जरमुडी), जामताड़ा (कुंडहित) और सरायकेला-खरसावाँ (इचागढ़) में स्थापित किये जाएंगे।
  • ये संयंत्र प्रतिदिन 135 घन मीटर गैस का उत्पादन करेंगे, जिससे स्थानीय समुदायों को स्वच्छ ऊर्जा का लाभ मिलेगा। 
    • इसके अतिरिक्त बंडगाँव में बनकर तैयार हुआ 25 घन मीटर का संयंत्र 20 घरों को ऊर्जा प्रदान करेगा। 

मुख्य बिंदु 

  • गोबरधन योजना के बारे में: 
    • शुरुआत: वर्ष 2018 में शुरू की गई गैल्वनाइज़िंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज़ धन (गोबरधन) योजना, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) – चरण II के अंतर्गत एक राष्ट्रीय प्राथमिकता परियोजना है।
    • क्रियान्वयन: इसके क्रियान्वयन के लिये जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत पेयजल और स्वच्छता विभाग (DDWS) को नोडल विभाग के रूप में नियुक्त किया गया है।
    • उद्देश्य: इसका उद्देश्य सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिये बायोगैस/संपीड़ित बायोगैस (CBG)/Bio-CNG संयंत्रों के लिये एक मज़बूत पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है।

योजना के मॉडल

श्रेणी

विवरण

उपयोग 

व्यक्तिगत घरेलू

तीन या उससे अधिक पशुओं वाले परिवार।

खाना पकाने के लिये बायोगैस, खाद के रूप में स्लरी (तरल खाद)।

समुदाय

5-10 घरों के लिये संयंत्र, ग्रामसभा (GP) या स्वयं सहायता समूह (SHG) द्वारा प्रबंधन।

घरों/रेस्तरां के लिये गैस, 

स्लरी (तरल खाद) खाद के रूप में या बिक्री हेतु।

क्लस्टर 

एक गाँव/गाँवों के समूह में अनेक घरों में संयंत्र स्थापित।

घरों के लिये गैस, जैव-उर्वरक के रूप में बिक्री हेतु स्लरी (तरल खाद)।

वाणिज्यिक CBG

उद्यमियों/सहकारी समितियों/गौशालाओं द्वारा स्थापित संयंत्र।

ईंधन के लिये संपीड़ित गैस, जैविक खाद के रूप में स्लरी (तरल खाद)।