बिजनौर जेल में सचींद्रनाथ बख्शी का सम्मान | 12 Aug 2025
चर्चा में क्यों?
काकोरी ट्रेन एक्शन के गुमनाम नायक सचींद्रनाथ बख्शी को बिजनौर जेल में उनके स्मारक पर सम्मानित किया गया है, जहाँ आजीवन कारावास की सज़ा सुनाए जाने के बाद उन्हें कैद किया गया था।
- 11 अगस्त, 2023 को 'स्मृतिका' नामक स्मारक का उद्घाटन किया गया, जिसमें बख्शी की प्रतिमा के साथ-साथ ब्रिटिश काल के दौरान जेल में बंद 419 स्वतंत्रता सेनानियों के उत्कीर्ण नाम भी शामिल हैं।
मुख्य बिंदु
- काकोरी ट्रेन एक्शन में भूमिका (9 अगस्त, 1925):
- बख्शी ने क्रांतिकारियों अशफाकउल्ला खान, चंद्रशेखर आज़ाद और राजेंद्र लाहिड़ी के साथ मिलकर 1925 के काकोरी ट्रेन एक्शन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहाँ उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिये ब्रिटिश खजाने को लूटा (अस्त्र-शस्त्र की प्राप्ति हेतु)।
- उन्होंने ट्रेन के गार्ड डिब्बे पर हमला कर धन से भरा संदूक अपने कब्ज़े में लिया।
- बख्शी का योगदान:
- टिकट की खरीद और इमरजेंसी चेन खींचने का कार्य बक्शी ने किया, जिससे यह क्रांतिकारी घटना संभव हो पाई।
- बख्शी की विरासत:
- गिरफ्तारी के बाद बख्शी को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई, जबकि उनके अन्य साथियों को फाँसी दी गई।
- उनका संस्मरण, 'क्रांति के पथ पर', उनके भाग्य में असमानता के बारे में उनकी भावनात्मक उथल-पुथल को दर्शाता है।
- बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया और भारत की स्वतंत्रता के बाद भी वे राजनीति में भाग लेते रहे।
- उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को राजनीतिक कैदी के रूप में मान्यता देने की मांग के लिये विरोध प्रदर्शन और भूख हड़ताल (53 दिन) का नेतृत्व किया।
सचींद्रनाथ बख्शी
- जन्म: 25 दिसंबर, 1904 (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
- मृत्यु: 23 नवंबर, 1984 (सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश)
- भूमिका: प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी (HRA) के संस्थापक
- HRA का गठन: वर्ष 1924 में, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष करना था।
- प्रारंभिक योगदान:
- वाराणसी में HRA के सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार किया।
- संगठन के विस्तार हेतु झाँसी स्थानांतरित होकर कार्य किया।