बिहार का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र | 26 Jun 2025

चर्चा में क्यों?

बिहार भारत के उन पहले छह राज्यों में शामिल होगा, जिन्हें देश के नए परमाणु ऊर्जा मिशन के तहत अपना पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र मिलेगा।

मुख्य बिंदु

परमाणु ऊर्जा संयंत्र के बारे में

  • घोषणा और अनुमोदन: 
    • पटना में पूर्वी क्षेत्र के विद्युत मंत्रियों की पाँचवीं बैठक के दौरान केंद्रीय विद्युत मंत्री ने यह घोषणा की कि बिहार में लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) तकनीक पर आधारित परमाणु विद्युत संयंत्र स्थापित करने के लिये केंद्र सरकार ने मंजूरी प्रदान कर दी है। 
    • इस बैठक में बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जो पूर्वी क्षेत्र में परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम था।
  • बिहार के लिये महत्त्व: 
    • इस परियोजना के माध्यम से राज्य में स्थिर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित होने, औद्योगिक निवेश को आकर्षित करने, रोज़गार सृजन तथा तकनीकी उन्नति को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है। \
    • विद्युत की कमी और सीमित आधारभूत संरचना से जुड़ी बिहार की पारंपरिक चुनौतियों को देखते हुए यह कदम इसके ऊर्जा परिदृश्य में एक परिवर्तनकारी बदलाव का प्रतीक है।

परमाणु ऊर्जा मिशन

  • महत्त्वाकांक्षी क्षमता विस्तार:
    • इसका उद्देश्य भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता को वर्तमान 8,180 मेगावाट (30 जनवरी 2025 तक) से बढ़ाकर वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट करना है, जिससे परमाणु ऊर्जा को भारत के ऊर्जा मिश्रण में एक प्रमुख स्तंभ के रूप में स्थापित किया जा सके तथा दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता को समर्थन मिल सके।
  • स्वदेशी प्रौद्योगिकी पर ध्यान:
    • यह मिशन 20,000 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ स्वदेशी प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से लघु मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMR) के अनुसंधान और विकास को प्राथमिकता देता है।
      • इसका लक्ष्य वर्ष 2033 तक कम-से-कम पाँच स्वदेशी रूप से डिज़ाइन किये गए SMR को विकसित और संचालित करना है, जिससे दबावयुक्त भारी जल रिएक्टरों (PHWR) में भारत की विशेषज्ञता का लाभ उठाया जा सके।
  • प्रत्येक राज्य में संयंत्र:
    • इस मिशन के अंतर्गत भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने के लिये प्रत्येक राज्य में एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी:
    • निजी निवेश और सहयोग को प्रोत्साहित करने हेतु परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 तथा परमाणु क्षति के लिये नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 में संशोधन के लिये विधायी परिवर्तन की योजना बनाई गई है।
    • इससे परमाणु परियोजनाओं की तीव्र स्थापना, नवाचार और आर्थिक विकास को सहायता मिलेगी, क्योंकि निजी संस्थाएँ भूमि, पूंजी और वित्तपोषण का योगदान देंगी जबकि NPCIL (न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) रिएक्टर परिचालन का प्रबंधन करेगी।
  • लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR):
    • SMR एक उन्नत परमाणु रिएक्टर है, जिसकी क्षमता 300 मेगावाट तक होती है, जो पारंपरिक रिएक्टरों की क्षमता का लगभग एक तिहाई है।
    • यह तकनीक उन्नत, लागत प्रभावी तथा सुरक्षित है और विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिये उपयुक्त है, जहाँ मध्यम विद्युत माँग होती है या बड़े संयंत्रों की स्थापना संभव नहीं है।
    • भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), बंद हो रहे कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों को पुनः उपयोगी बनाने तथा दूरदराज़ के क्षेत्रों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये SMR पर कार्य कर रहा है।
    • परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) भी भारत के विशाल थोरियम संसाधनों के उपयोग के लिये हाइड्रोजन उत्पादन हेतु उच्च तापमान गैस-शीतित रिएक्टरों तथा पिघले हुए नमक रिएक्टरों जैसे रिएक्टरों के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

विद्युत क्षेत्र में अन्य हालिया घटनाक्रम

  • बैटरी ऊर्जा भंडारण परियोजनाएँ:
    • परमाणु संयंत्र के अतिरिक्त, केंद्र सरकार ने बिहार में 1,000 मेगावाट बैटरी भंडारण क्षमता की परियोजना को मंजूरी दी है।
    • यह परियोजना नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण का समर्थन करेगी तथा ग्रिड स्थिरता को बढ़ाएगी, जिसमें प्रति मेगावाट 18 लाख रुपए की व्यवहार्यता अंतर निधि शामिल होगी।
  • BESS परियोजना की आधारशिला: 
  • बिहार को अतिरिक्त सहायता: 
    • गर्मियों में उच्च विद्युत माँग को पूरा करने हेतु केंद्र ने आगामी 3 से 6 महीनों के लिये बिहार को अतिरिक्त 500 मेगावाट विद्युतआपूर्ति करने पर सहमति दी है।
  • स्मार्ट मीटर और घाटा नियंत्रण: 
    • राज्य को 8 मिलियन स्मार्ट मीटर स्थापित करने तथा तकनीकी और वाणिज्यिक घाटे में उल्लेखनीय कमी लाने के लिये सराहना मिली है, जो विद्युत क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण प्रगति का संकेत है