भिखारी ठाकुर को भारत रत्न | 02 Aug 2025
चर्चा में क्यों?
भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने केंद्रीय गृहमंत्री से भोजपुरी कवि, नाटककार, गायक और समाज सुधारक भिखारी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न देने का आग्रह किया है।
- भिखारी ठाकुर को भारत रत्न दिये जाने की माँग का बिहार में कोई राजनीतिक विरोध नहीं है, जो उनके प्रति सभी दलों में व्यापक सम्मान को दर्शाता है।
मुख्य बिंदु
- भिखारी ठाकुर के बारे में:
- भिखारी ठाकुर, जिनका जन्म वर्ष 1887 में बिहार के सारण ज़िले के कुतुबपुर दियारा गाँव में हुआ था, को अक्सर "भोजपुरी के शेक्सपियर" के रूप में जाना जाता है।
- बाद में वे कलकत्ता (अब कोलकाता) चले गए, जहाँ उन्होंने प्रवासी श्रमिकों के संघर्षों को निकटता से देखा, जिसने उनके साहित्य को गहराई से प्रभावित किया।
- साहित्यिक योगदान:
- उन्होंने कुल 29 पुस्तकों की रचना की, जिनमें पहली पुस्तक 'बटोहीया' वर्ष 1912 में प्रकाशित हुई।
- उनका सबसे प्रसिद्ध नाटक 'बिदेशिया' प्रवासन के कारण उत्पन्न वियोग की पीड़ा को दर्शाता है।
- 'बेटी बेचवा', 'गबर घिचोर' और 'अछूत की शिकायत' जैसे नाटकों के माध्यम से उन्होंने बाल विवाह, दहेज प्रथा तथा अछूत समस्या जैसे गंभीर सामाजिक मुद्दों को उठाया।
- 'अछूत की शिकायत' दलित पात्र हीरा डोम के जीवन पर आधारित है।
- उन्होंने अपने साहित्य में बाल विवाह, जातिगत भेदभाव, लैंगिक असमानता, नशाखोरी, प्रवासन तथा विस्थापन जैसे विषयों को प्रमुखता से स्थान दिया।
- विरासत:
- भिखारी ठाकुर आज भी भोजपुरी स्वाभिमान और बिहार की सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं।
- उनकी थिएटर परंपरा और संगीत आज भी जनस्तर पर सामाजिक सुधार को प्रेरित करने वाले प्रभावशाली माध्यम बने हुए हैं।