उत्तर प्रदेश महाभारत सर्किट में बागपत शामिल | 19 Sep 2025

चर्चा में क्यों?

महाभारत के पांडवों से संबंधित बागपत के बरनावा में स्थित ऐतिहासिक स्थल को उत्तर प्रदेश की महाभारत सर्किट परियोजना के तहत एक करोड़ रुपये की लागत से व्यापक स्तर पर विकसित किया जाएगा।

मुख्य बिंदु

  • परिचय: बागपत से 35 किमी दूर स्थित इस स्थल में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित एक टीला और अवशेष हैं, जो इसके महत्त्व को उजागर करते हैं।
  • इतिहास: महाभारत में 'लाक्षागृह' अथवा लाख का महल की कथा प्रमुख है, जहाँ कौरवों ने पांडवों को जीवित जलाने का प्रयास किया था। 
    • यह ऐतिहासिक घटना सदियों से जनमानस के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। बरनावा आने वाले आगंतुक इस ऐतिहासिक स्थल के अवशेषों को देख सकते हैं।
  • महत्त्व: यह परियोजना भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन में बागपत की स्थिति को सुदृढ़ करेगी तथा पर्यटन के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे।
    • इस परियोजना में सौंदर्यीकरण, प्रकाश व्यवस्था, स्वच्छता, पेयजल, विश्राम क्षेत्र और आगंतुक सूचना केंद्र जैसी आवश्यक सुविधाओं का उन्नयन किया जाएगा।
  • महाभारत से संबंधित होने के अतिरिक्त, बागपत को हड़प्पा कालीन पुरातात्त्विक स्थल के रूप में भी मान्यता मिली हुई है। यहाँ हुए उत्खनन में धूसर मिट्टी के बर्तन जैसी कलाकृतियाँ प्राप्त हुई हैं और वर्ष 2018 में सनौली गाँव में लगभग 2000 ईसा पूर्व के कांस्य रथ के अवशेष मिलने पर इसे वैश्विक पहचान मिली।

उत्तर प्रदेश महाभारत सर्किट परियोजना

  • उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई महाभारत सर्किट परियोजना का उद्देश्य महाभारत काल से जुड़े स्थलों को राज्य के प्रमुख सांस्कृतिक, धार्मिक और धरोहर पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित तथा प्रोत्साहित करना है।
  • इस परियोजना का प्रमुख लक्ष्य अवसंरचना को सुदृढ़ कर तथा महाभारत से संबद्ध स्थलों का सौंदर्यीकरण करते हुए पर्यटन को प्रोत्साहित करना है, जिससे वे तीर्थयात्रियों, इतिहासकारों एवं पर्यटकों के लिये और अधिक आकर्षक बन सकें।
  • इस पहल का व्यापक उद्देश्य विरासत संरक्षण, पर्यटन अवसंरचना के विस्तार तथा आधुनिक सुविधाओं का ऐतिहासिक प्रामाणिकता के साथ समन्वय स्थापित करना है।
    • साथ ही, इसका ध्येय रोजगार सृजन, स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करना तथा भारत की महाकाव्य परंपराओं के साथ आगंतुकों के जुड़ाव को और अधिक सशक्त करना है।

                              उत्तर प्रदेश की महाभारत सर्किट परियोजना से जुड़े स्थल 

          स्थल 

                                महत्त्व 

हस्तिनापुर

कुरु साम्राज्य की राजधानी, पांडवों और कौरवों की जन्मस्थली तथा महाभारत की अनेक प्रमुख घटनाओं के लिये महत्त्वपूर्ण पृष्ठभूमि स्थल, जिनमें कुख्यात पासे का खेल भी शामिल है।

कीचक वध स्थल

वह स्थल जहाँ भीम ने विराट राज्य में वनवास के दौरान द्रौपदी की गरिमा का बदला लेने हेतु कीचक का वध किया था। यह न्याय और प्रतिशोध का प्रतीक है।

अहिच्छत्र

उत्तरी पांचाल साम्राज्य का एक प्रमुख राज्य, जिस पर द्रौपदी के पिता राजा द्रुपद का शासन था। महाभारत काल में यह एक रणनीतिक सैन्य अड्डे और राजनीतिक केंद्र के रूप में कार्य करता था।

गोंडा

पांडवों के वनवास से जुड़ा क्षेत्र। यद्यपि यह प्रत्यक्ष रूप से प्रमुख युद्धों में सम्मिलित नहीं था, लेकिन महाभारत के भौगोलिक विस्तार का द्योतक है।

प्रयागराज

एक पवित्र स्थल जहाँ पांडवों ने कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद अनुष्ठान किये थे। यह आध्यात्मिक घटनाओं और महाभारत में व्यास के मार्गदर्शन से निकटता से संबंधित है।

लाक्षाग्रह

वह स्थल जहाँ कौरवों ने पांडवों को आग लगाकर मारने का षड्यंत्र रचा। यह उनके 13 वर्ष के वनवास की शुरुआत का प्रतीक है।

कंपिल्य

पांचाल राज्य की राजधानी, द्रौपदी की जन्मभूमि और उनका स्वयंवर स्थल, जहाँ अर्जुन ने द्रौपदी का वरण किया। यह राजनीतिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र था।

बरनावा

कुख्यात लाक्षागृह कांड का स्थल, जहाँ से पांडवों ने बचकर प्राणरक्षा की। यह साहस और अस्तित्व रक्षा का प्रतीक है।

कौशांबी

महाभारत में उल्लिखित एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक और सैन्य नगर, विशेषकर पांडवों के राज्य पुनः प्राप्ति प्रयासों से संबंधित है।

विदुर कुटी

कुरु वंश के धर्मनिष्ठ मंत्री विदुर का आश्रय स्थल, जहाँ उन्होंने अपने अंतिम वर्ष बिताए। यह धर्म और नीति का प्रतीक है।

मथुरा

भगवान कृष्ण की जन्मभूमि, जो हिंदू धर्म में एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र है। यह महाभारत में उनकी रणनीतिक भूमिका और दिव्य मार्गदर्शन का प्रतीक है।