अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट | 06 Mar 2024

चर्चा में क्यों?

हरियाणा सरकार ने राज्य के सात ज़िलों में पहाड़ियों के निम्निकृति क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने हेतु अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट के लिये अपने प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया है ताकि पर्वत शृंखला के साथ निरंतर पारिस्थितिक अवरोध उत्पन्न किया जा सके।

मुख्य बिंदु:

  • यह परियोजना केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ग्रीन वॉल परियोजना का हिस्सा है।
    • पहले चरण में गुड़गाँव, फरीदाबाद नूंह,, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, चरखी दादरी और भिवानी की अरावली में 66 जल निकाय विकसित किये जाएंगे।
  • यह परियोजना अफ्रीका की 'ग्रेट ग्रीन वॉल' परियोजना से प्रेरित है और इसका उद्देश्य उन पहाड़ियों पर हरित आवरण को बहाल करना है जो थार से दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत तक रेगिस्तान जैसी स्थितियों के विस्तार को रोकने वाली एकमात्र बाधा है।
    • लक्ष्य वर्ष 2027 तक चार राज्यों हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली में लगभग 1.15 मिलियन हेक्टेयर वनों को बहाल करना है।
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की वर्ष 2022 की एक रिपोर्ट में पाया गया कि हरियाणा के कुल क्षेत्रफल का लगभग 8.2% पिछले कुछ वर्षों में और अधिक शुष्क हो गया है।
  • परियोजना का ज़ोर मृदा संरक्षण, अपरदन नियंत्रण तथा बेहतर जल प्रतिधारण तंत्र पर है जो जल चक्र को स्थिर करने, मृदा क्षरण को कम करने और सूखे एवं बाढ़ के हानिकारक प्रभावों के खिलाफ मज़बूती प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।
  • पारिस्थितिकीविदों और वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, अरावली में ऐसे कई क्षेत्र हैं जिन्हें जंगल के रूप में अधिसूचित नहीं किया गया है, लेकिन वे अभी भी पौधों तथा वन्यजीवों की समृद्ध जैवविविधता का निवास स्थान हैं। इन हरे-भरे स्थानों के संरक्षण के लिये योजनाएँ बनाने की अवश्यकता है।

अफ्रीका की ग्रेट ग्रीन वॉल (GGW)

  • इसका उद्देश्य अफ्रीका की निम्नीकृत भूमि का पुनर्निर्माण करना तथा विश्व के सर्वाधिक गरीब क्षेत्र, साहेल (Sahel) में निवास करने वाले लोगों के जीवनस्तर में सुधार लाना है।
  • अफ्रीकी पहल अभी भी केवल 15% ही पूरी हुई है।
  • योजना के पूर्ण हो जाने पर यह वॉल पृथ्वी पर सबसे बड़ी जीवित संरचना होगी - महाद्वीप की पूरी चौड़ाई में फैला हुआ विश्व का 8,000 किमी लंबा प्राकृतिक आश्चर्य।
  • संयुक्‍त राष्‍ट्र मरुस्‍थलीकरण रोकथाम कन्वेंशन, कांफ्रेंस ऑफ़ पार्टीज़- 14 (UN Convention to Combat Desertification- UNCCCD, COP14) के दौरान अफ्रीकी देशों ने वर्ष 2030 तक महाद्वीप के साहेल क्षेत्र में योजना को लागू करने हेतु वित्त के संदर्भ में वैश्विक समर्थन की मांग की थी।
    • साहेल पश्चिमी और उत्तर-मध्य अफ्रीका का एक अर्ध-शुष्क क्षेत्र (Semiarid Region) है जो पूर्व सेनेगल (Senegal) से सूडान (Sudan) तक फैला हुआ है।
    • यह उत्तर में शुष्क सहाराई रेगिस्तान तथा दक्षिण में आर्द्र सवाना के बीच एक संक्रमणकालीन क्षेत्र का निर्माण करता है।

अरावली पर्वत शृंखला

  • अरावली, पृथ्वी पर सबसे पुराना वलित पर्वत है।
  • यह गुजरात से दिल्ली (राजस्थान और हरियाणा के माध्यम से) तक 800 किमी. से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • अरावली शृंखला की सबसे ऊँची चोटी माउंट आबू पर गुरु पीक है।
  • जलवायु पर प्रभाव:
    • अरावली का उत्तर-पश्चिमी भारत और उससे आगे की जलवायु पर प्रभाव है।
    • मानसून के दौरान पर्वत शृंखला धीरे-धीरे मानसूनी बादलों को शिमला और नैनीताल की तरफ पूर्व की ओर ले जाती है, इस प्रकार यह उप-हिमालयी नदियों का पोषण करने तथा उत्तर भारतीय मैदानों को उर्वरता प्रदान करने में मदद करती है।
    • सर्दियों के महीनों में यह उपजाऊ जलोढ़ नदी घाटियों (सिंधु और गंगा) को मध्य एशिया से ठंडी पश्चिमी हवाओं के हमले से बचाती है।