कृषि-व्यवसाय एवं खाद्य प्रसंस्करण नीति-2018 में संशोधन को मिली स्वीकृति | 10 May 2023

चर्चा में क्यों? 

9 मई, 2023 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कृषि-व्यवसाय एवं खाद्य प्रसंस्करण नीति-2018 में संशोधन तथा इसके अंतर्गत प्रोत्साहन योजनाओं के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई।  

प्रमुख बिंदु

  • संशोधित प्रस्ताव के अनुसार ‘बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज स्कीम’के अंतर्गत 25 परियोजनाएँ और ‘इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन एंड वैल्यू एडिशन स्कीम’के तहत 15 अतिरिक्त परियोजनाएँ स्थापित की जाएंगी।  
  • नीतिगत बजट 433 करोड़ रुपए का अपरिवर्तित बजट रहेगा। व्यक्तिगत कृषि और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के निर्माण, विस्तार और विविधीकरण की योजना से 31 मार्च, 2024 तक या नई कृषि-व्यवसाय और खाद्य प्रसंस्करण नीति की अधिसूचना तक, जो भी पहले हो, 160 करोड़ रुपए का बजट उपरोक्त योजनाओं में परिवर्तित किया जाएगा।  
  • यह संशोधन वांछित नीतिगत उद्देश्यों को प्राप्त करने में मददगार होगा और एक वृहद खाद्य प्रसंस्करण पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के साथ-साथ राज्य में किसानों की आय बढ़ाने के लिये भी उपयोगी होगा।  
  • हरियाणा कृषि-व्यवसाय और खाद्य प्रसंस्करण नीति को कृषि क्षेत्र में त्वरित विकास प्राप्त करके एक समृद्ध ग्रामीण अर्थव्यवस्था बनाने, मजबूत मूल्य श्रृंखला लिंकेज बनाने, अनुसंधान पर ज़ोर देने और अत्याधुनिक बुनियादी ढाँचे की स्थापना के दृष्टिकोण के साथ अधिसूचित किया गया था। 
  • इस नीति का उद्देश्य हरियाणा को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेशकों के लिये एक स्पष्ट गंतव्य बनाना, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों जैसे डेयरी, बागवानी, पशुधन, मत्स्य और पोल्ट्री आदि में मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देना और निवेश करके बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना था।  
  • साथ ही खाद्य प्रसंस्करण समूहों में, इस प्रकार एक मजबूत मूल्य श्रृंखला विकसित करना, ताजा भोजन विशेष रूप से फल, सब्जियाँ, दूध और मछली के फार्म द्वार प्रसंस्करण को बढ़ावा देना, कृषि-व्यवसाय स्थान में स्टार्टअप को बढ़ावा देना और किसानों को नए माध्यम से अपनी आय बढ़ाने में सक्षम बनाने और कृषि-विपणन सुधार करना है।  
  • इस नीति को अधिसूचित करने का उद्देश्य वर्ष 2023 तक 3,500 करोड़ रुपए के निवेश को आकर्षित करना, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में 20,000 लोगों के लिये रोज़गार सृजन करना और जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं (फल, सब्जियाँ), डेयरी, मत्स्य पालन आदि में प्रसंस्करण के स्तर को 10 प्रतिशत तक बढ़ाना था।