अभिधम्म दिवस | 08 Oct 2025

चर्चा में क्यों?

अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) ने गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान और संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से 6-7 अक्तूबर 2025 को उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में स्थित गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस मनाया।

मुख्य बिंदु

  • अभिधम्म दिवस के बारे में: 
    • यह दिवस उस अवसर को स्मरण करता है जब बुद्ध ने अपनी माता महामाया के नेतृत्व में तवतींशा स्वर्ग के देवताओं को अभिधम्म का उपदेश दिया था और बाद में इसे अपने शिष्य अरहंत सारिपुत्त के साथ साझा किया।
    • यह दिन भगवान बुद्ध के तैंतीस दिव्य जीवों (तावतींस-देवलोक) के स्वर्गलोक से उत्तर प्रदेश के संकसिया (संकिसा बसंतपुर, फर्रुखाबाद) में अवतरण का भी स्मरण कराता है।
    • इस स्थान का महत्त्व यहाँ स्थित अशोक के हाथी स्तंभ की उपस्थिति से प्रदर्शित होता है।
  • घटना का प्रतीक:
    • अभिधम्म दिवस का वर्षावास (वस्सा) और पवारणा उत्सव के समापन के साथ मेल खाता है।
      • वर्षावास (वस्सा): यह एक वार्षिक तीन महीने का मठवासी एकांतवास है, जो विशेष रूप से मानसून के मौसम के दौरान थेरवाद बौद्ध परंपरा में किया जाता है।
      • पवारणा उत्सव: यह वास्सा के समापन का प्रतीक है, जहाँ भिक्षु एकत्र होकर एकांतवास के दौरान हुई किसी भी गलती या भूल को स्वीकार करते हैं और अपने साथी भिक्षुओं को आमंत्रित करते हैं कि वे उन कमियों को इंगित करें जो उन्होंने देखी हों। यह उत्सव 11वें चंद्र मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्तूबर में आता है।
  • मुख्य क्रियाएँ:

    • आधुनिक संदर्भ में अभिधम्म के दार्शनिक, नैतिक और मनोवैज्ञानिक आयामों का अध्ययन करने के लिये "बौद्ध विचार को समझने में अभिधम्म की प्रासंगिकता: पाठ, परंपरा तथा समकालीन परिप्रेक्ष्य" पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया था।

    • विनोद कुमार द्वारा क्यूरेट की गई 90 देशों की 2,500 से अधिक बौद्ध डाक टिकटों की एक विशेष प्रदर्शनी आयोजित की गई, जिसमें डाक टिकट संग्रह के माध्यम से बौद्ध विरासत की झलक प्रस्तुत की गई।
      • दो विषयगत प्रदर्शनियाँ आयोजित की गईं,जिनमें "शरीर और मन पर बुद्ध धम्म" तथा पिपराहवा अवशेषों पर प्रकाश डालने वाली एक प्रदर्शनी शामिल थी, जिसमें बुद्ध की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डाला गया।
    • इस कार्यक्रम में दो फिल्मों का प्रदर्शन किया गया - “एशिया में बुद्ध धम्म का प्रसार” और “कुशोक बकुला रिनपोछे - एक असाधारण भिक्षु की अद्भुत कहानी”, जिसका निर्देशन डॉ. हिंडोल सेनगुप्ता ने किया था।

अभिधम्म पिटक

  • अभिधम्म पिटक तीन पिटकों में अंतिम है, जो पाली कैनन/त्रिपिटक का हिस्सा है और थेरवाद बौद्ध धर्म के सबसे लोकप्रिय ग्रंथों में से एक है।
    • यह सुत्तों में दिये गए बुद्ध के उपदेशों का विस्तृत शास्त्रीय विश्लेषण और सारांश प्रस्तुत करता है।
    • इसमें बौद्ध धर्म का दर्शन, सिद्धांत, मनोविज्ञान, दार्शनिक तर्क, नैतिकता और ज्ञानमीमांसा शामिल है।
  • त्रिपिटक के अन्य शेष पिटक विनय पिटक और सुत्त पिटक हैं। 
    • विनय पिटक संघ के भिक्षुओं और भिक्षुणियों के लिये आचरण के नियम हैं।
    • सुत्त पिटक में बुद्ध और उनके निकट शिष्यों द्वारा दिये गए सुत्त (शिक्षाएँ/प्रवचन) शामिल हैं।
  • अभिधम्म पिटक में सात पुस्तकें हैं:
    • धम्मसंगणि- घटनाओं की गणना 
    • विभंग- संधियों की पुस्तक 
    • धातुकथा- तत्त्वों के संदर्भ में चर्चा 
    • पुग्गलापनट्टी (Puggalapanatti)- व्यक्तित्व का विवरण
    • कथावत्थु- विवाद के बिंदु 
    • यमाका- पुस्तकों का युग्म 
    • पथना (Patthana) -संबंधों की पुस्तक
  • भारत सरकार ने पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा घोषित किया है तथा अभिधम्म पिटक सहित थेरवाद बौद्ध ग्रंथों की प्रामाणिक भाषा के रूप में इसके महत्त्व को मान्यता दी है।