एससी-एसटी और ओबीसी के लिये 77 फीसदी आरक्षण तथा स्थायी निवासी के लिये 1932 के खतियान (भूमि रिकॉर्ड) को आधार बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी | 15 Sep 2022

चर्चा में क्यों?

14 सितंबर, 2022 को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य सरकार की नौकरियों में एससी, एसटी, पिछड़ा वर्ग, ओबीसी और आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के सदस्यों के लिये 77 प्रतिशत आरक्षण देने तथा ‘स्थानीयता की नीति 1932 के खतियान के आधार पर तय करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई।

प्रमुख बिंदु

  • मंत्रिमंडल सचिव वंदना डाडेल ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि मंत्रिमंडल ने एससी, एसटी, पिछड़ा वर्ग, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिये 77 प्रतिशत आरक्षण हेतु राज्य की सरकारी सेवाओं में रिक्तियों के आरक्षण अधिनियम, 2001 में संशोधन के लिये आरक्षण विधेयक को मंज़ूरी दे दी है।
  • मंत्रिमंडल ने ‘स्थानीयता’की नीति 1932 के खतियान के आधार पर तय करने और पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने समेत विभिन्न वर्गों के लिये कुल 77 प्रतिशत सरकारी नौकरियाँ आरक्षित करने हेतु अलग-अलग विधेयक राज्य विधानसभा में पेश किये जाने की स्वीकृति प्रदान की है।
  • मंत्रिमंडल ने दोनों विधेयकों को विधानसभा से पारित कराने और राज्यपाल की स्वीकृति के बाद केंद्र सरकार के पास भेजने का भी निर्णय लिया।
  • डाडेल ने बताया कि मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार से यह अनुरोध करने का निर्णय लिया कि वह इन दोनों कानूनों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करें, जिससे इन्हें देश की किसी अदालत में चुनौती न दी जा सके।
  • ‘स्थानीयता’ की नीति में संशोधन के लिये लाए जाने वाले नए विधेयक का नाम ‘झारखंड के स्थानीय निवासी की परिभाषा एवं पहचान हेतु झारखंड के स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा एवं परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक एवं अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिये विधेयक 2022’ होगा।
  • वंदना डाडेल ने बताया कि इस विधेयक के माध्यम से राज्य में स्थानीय लोगों को परिभाषित किया जायेगा और मंत्रिमंडलीय फैसले के अनुसार अब राज्य में 1932 के खतियान में जिसका अथवा जिसके पूर्वजों का नाम दर्ज होगा, उन्हें ही यहाँ का स्थानीय निवासी माना जाएगा। जिनके पास अपनी भूमि या संपत्ति नहीं होगी, उन्हें 1932 से पहले का राज्य का निवासी होने का प्रमाण अपनी ग्रामसभा से प्राप्त करना होगा।
  • प्रस्तावित नौकरी आरक्षण नीति में, अनुसूचित जातियों के लिये राज्य की नौकरियों में आरक्षण 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों के लिये आरक्षण 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की व्यवस्था होगी। पिछडे़ वर्गों में अत्यंत पिछड़ों के लिये 15 प्रतिशत और पिछड़ों के लिये 12 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था किये जाने का निर्णय लिया गया है।
  • सरकार के फैसले पर अमल होने के साथ राज्य में ओबीसी, अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का कुल आरक्षण 77 प्रतिशत हो जाएगा।
  • मंत्रिमंडल ने इस प्रस्तावित विधेयक के माध्यम से राज्य में आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग के लिये भी दस प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था करने का फैसला लिया है।