हरियाणा के 5 व्यक्ति पद्म पुरस्कारों के लिये चयनित | 27 Jan 2022

चर्चा में क्यों?

25 जनवरी, 2022 को भारत सरकार ने पद्म पुरस्कार 2022 की घोषणा की। इसके अनुसार हरियाणा से खेल के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वाले ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा और पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता सुमित अंतिल, सोशल वर्क में ओमप्रकाश गांधी, साइंस एंड इंजीनियरिंग में मोती लाल मदान, साहित्य एवं शिक्षा में राघवेंद्र तंवर को पद्मश्री पुरस्कार के लिये चयनित किया गया है।

प्रमुख बिंदु 

  • उल्लेखनीय है कि ट्रैक और फील्ड एथलीट प्रतिस्पर्धा में भाला फेंकने वाले खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक 2021 में 87.58 मीटर भाला फेंककर गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा था। इस स्वर्णिम  उपलब्धि को हासिल करके वे ट्रैक और फील्ड स्पर्धा में भारत की तरफ से ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले एथलीट बने हैं। 
  • इसी प्रकार, सुमित अंतिल ने टोक्यो 2020 पैरालंपिक में F64 पुरुषों की जेवलिन थ्रो में 68.55 मीटर की दूरी तक भाला फेंक कर स्वर्ण पदक जीता। 
  • गुर्जर कन्या विद्या मंदिर के संस्थापक ओमप्रकाश पोसवाल गांधी अपनी विनम्रता, शालीनता, व्यवहार कुशलता और लोगों को संगठित करने की क्षमता के कारण अपने संकल्प को मूर्तरूप देकर 7 अप्रैल, 1987 को गुर्जर कन्या विद्या मंदिर का शुभारंभ किया। अपनी स्थापना से लेकर आज तक विद्यालय उन्हीं के प्रबंधन और मार्गदर्शन में प्रगति के पथ पर अग्रसर है। 
  • बीवीएससी और एएच व एमएससी (पंजाब विश्वविद्यालय) में गोल्ड मेडलिस्ट, पीएचडी (यूएमसी, यूएसए), डीएससी से सम्मानित मोतीलाल मदान को साइंस एंड इंजीनियरिंग क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिये पद्मश्री पुरस्कार के लिये चुना गया है।  
  • ये विभिन्न शिक्षण संस्थानों के कुलपति भी रह चुके हैं। अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय संदर्भित पत्रिकाओं में इनके 432 शोध लेख और नीति पत्र प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें 226 मूल शोध पत्र शामिल हैं।
  • साहित्य एवं शिक्षा में राघवेंद्र तंवर को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। इतिहास में प्रथम स्थान व सामाजिक विज्ञान संकाय में सर्वाधिक अंक प्रतिशत हेतु सम्मानित, यू.जी.सी. के राष्ट्रीय फैलो, अध्यक्ष, पंजाब इतिहास कॉन्ग्रेस (मॉडर्न 2001) तथा प्रथम अध्यक्ष, भारतीय इतिहास कॉन्ग्रेस (समकालिक 2008) प्रो. तंवर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता शैक्षणिक, अधिष्ठाता सामाजिक विज्ञान संकाय एवं कुलसचिव के पदों पर आसीन रहे हैं।
  • उनकी पुस्तक ‘पॉलिटिक्स ऑफ शेयरिंग पावर : द पंजाब यूनियनिस्ट पार्टी 1923-1947’ को विभाजन के पूर्व पंजाब में विद्यमान राजनीतिक व्यवस्था पर एक महत्त्वपूर्ण एवं सर्वस्वीकार्य शोध के रूप में मान्यता दी जाती है।