‘अंगना म शिक्षा’कार्यक्रम को मिला वर्ष 2022 का स्कॉच अवार्ड | 14 Mar 2023

चर्चा में क्यों?

13 मार्च 2023 को छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग को एक बार पुन: अपने उत्कृष्ट कार्यों के लिये राज्य में समग्र शिक्षा द्वारा संचालित ‘अंगना म शिक्षा’कार्यक्रम के तहत वर्ष 2022 में किये गए कार्य के लिये स्कॉच अवार्ड 2022 प्राप्त हुआ है।

प्रमुख बिंदु

  • ‘अंगना म शिक्षा’का यह पूरा कार्यक्रम छत्तीसगढ़ की महिला शिक्षिकाओं के समूह द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस वर्ष इस कार्यक्रम का तीसरा वर्ष होगा और प्रतिवर्ष इसमें महिला नेतृत्व द्वारा कुछ नया डिजाइन शामिल किया जाता है।
  • उल्लेखनीय है कि स्कॉच अवार्ड एक स्वतंत्र संगठन द्वारा प्रदत्त देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो ऐसे लोगों, परियोजनाओं और संस्थानों की पहचान करता है जो भारत को एक बेहतर राष्ट्र बनाने के लिये अतिरिक्त प्रयास करते हैं।
  • इस अवार्ड को वर्ष 2003 में स्थापित किया गया था। यह अवार्ड डिजिटल, वित्तीय और सामाजिक समावेश के क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रयासों के लिये प्रदान किया जाता है।
  • विदित है कि कोरोना के समय जब स्कूल शिक्षा विभाग का पूरा अमला बच्चों की पढ़ाई को जारी रखने के लिये निरंतर प्रयासरत था और शिक्षकों को इस कार्य के लिये प्रोत्साहित करते हुए नए-नए तरीकों से बच्चों की पढ़ाई को जारी रखने की कोशिश की जा रही थी, उसी समय राज्य के कुछ महिला शिक्षिकाओं ने इस राज्यव्यापी कार्यक्रम ‘पढ़ई तुंहर दुआर’ में अपने योगदान का प्रस्ताव रखा। उन्होंने माताओं को प्रशिक्षित कर उनके माध्यम से घर पर रहते हुए ही बच्चों को सिखाने के प्रयास को ‘अंगना म शिक्षा’के रूप में प्रारंभ किया।
  • ‘अंगना म शिक्षा’कार्यक्रम के माध्यम से माताओं में अपने बच्चों की पढ़ाई के प्रति अलख जगाने में सफलता पाई। माताओं एवं छोटे बच्चों को गाँव-गाँव में मेलों का आयोजन कर, मेले में माताओं एवं बच्चों को आमंत्रित कर घर में उपलब्ध सामग्री जैसे बर्तन, सब्जी, फल, कपड़े आदि का उपयोग कर सिखाया जाए, इस पर कार्य किया गया।
  • इस कार्यक्रम में ग्राम स्तर पर बेहतर कार्य कर रही माताओं को स्मार्ट माता के रूप में चयन कर सम्मानित किया गया।
  • स्मार्ट माता अन्य माताओं को भी इस कार्यक्रम में जोड़े रखने एवं सीखने में सहयोग के साथ-साथ समय-समय पर बालवाड़ी एवं प्राथमिक शालाओं में जाकर बच्चों की शिक्षा में सहयोग एवं शिक्षकों से अपने बच्चों के सीखने के कार्य संबंधी जानकारी लेने का कार्य भी करती थीं। इस कार्यक्रम के माध्यम से माताओं में बच्चों को घर पर पढ़ाने की संस्कृति विकसित करने में सफलता मिली है।
  • बच्चों ने जो कुछ सीखा, उसे रिपोर्ट कार्ड के बदले एक सपोर्ट कार्ड डिजाइन कर माताओं के हस्ताक्षर से माताओं द्वारा अपने बच्चों के शिक्षकों को देना सुनिश्चित किया गया। माताओं को बहुत आसान तरीकों से सरल चिन्ह्नों का उपयोग कर बच्चों की विभिन्न दक्षताओं में स्थिति को दर्शाने का प्रयास किया गया।
  • शिक्षिकाओं के समूहों द्वारा संकुल, विकासखंड, ज़िले एवं राज्य स्तर पर कोर ग्रुप के माध्यम से पूरे कार्यक्रम की मानिटरिंग की व्यवस्था की गई।