क्या होता है, जब ED संपत्ति ज़ब्त करती है

संदर्भ 

हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने धन शोधन (Money Laundering) के एक मामले में 50 करोड़ से ज़्यादा की संपत्तियों को ज़ब्त  कर लिया। ED ने यह जब्ती धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों के तहत की है। ज़ब्त  की गई संपत्तियाँ यूनाइटेड किंगडम, स्पेन, तमिलनाडु के कोडईकनाल, ऊटी तथा नई दिल्ली में स्थित थीं।

अनंतिम कुर्की (ज़ब्ती)

  • PMLA के अनुभाग 5 के अनुसार, निदेशक या उसके द्वारा इस धारा के प्रयोजनों के लिये प्राधिकृत कोई अन्य अधिकारी, जो उपनिदेशक की श्रेणी से नीचे का न हो, उस संपत्ति की कुर्की के लिये आदेश जारी कर सकता है, जो कि किसी निर्धारित अपराध के मामले में लाभ स्वरूप अर्जित की गई हो। 

देश के बाहर अवस्थित संपत्ति

  • किसी अधिकार-युक्त अदालत के द्वारा संबंधित देश को अनुरोध-पत्र भेजकर देश के बाहर अवस्थित संपत्तियाँ ज़ब्त  की जा सकती हैं। उस देश का प्रासंगिक प्राधिकारी ही संपत्ति को ज़ब्त  करता है।

प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate)

यह राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक विशेष वित्तीय जाँच ऐजेंसी है, जो निम्न‍लिखित विधियों को प्रवर्तित करती है-

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) – विदेशी विनिमय नियंत्रण विधियों एवं विनियमों  के संदिग्‍ध उल्‍लंघनों की जाँच करने के साथ-साथ उन आरोपियों पर, जिनके विरुद्ध निर्णय दिया गया है, शास्तियाँ लगाने के अधिकार हेतु एक सिविल विधि जो अर्द्ध-न्‍यायिक अधिकार से युक्‍त है।

धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) – यह आपराधिक गतिविधियों से व्‍युत्‍पन्‍न की गई परिसंपत्तियों का पता लगाने के लिये जाँच करने और उस संपत्ति को अनंतिम रूप से ज़ब्त करने/कुर्क करने एवं धन शोधन में लिप्‍त पाए जाने वाले अपराधियों पर मुकदमा चलाए जाने के लिये अधिकारियों को अधिकार देने वाली एक आपराधिक विधि है।

180 दिनों के दौरान

  • चूँकि ज़ब्ती अनंतिम यानी अस्थायी होती है, इसलिये आरोपी संपत्ति का उपयोग किया जाना जारी रख सकता है। अभियोजन प्राधिकरण द्वारा ज़ब्ती का स्थायी आदेश मिलने के बाद ही ED अधिकार हेतु दावा कर सकेगी। अब तक बहुत कम ही ऐसे मामले रहे हैं जिनमें अभियोजन प्राधिकरण ने ज़ब्ती का स्थायी आदेश न दिया हो।

पुष्टि के बाद

  • आरोपी के पास PMLA के अपीलीय न्यायाधिकरण में 45 दिनों के भीतर अभियोजन प्राधिकरण के स्थायी आदेश को चुनौती देने का अधिकार होता है। यदि अपीलीय न्यायाधिकरण भी स्थायी आदेश दे देता है तो आरोपी उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है।
  • अंतिम स्थायी आदेश के बाद ED किसी आवासीय संपत्ति के मामले में उसके मालिक से सामान के साथ पूरा परिसर खाली करने के लिये कहेगी और उस पर कब्ज़ा कर लेगी।

ज़ब्त  की गई संपत्ति पर वर्षों के लिये ताला जड़ दिया जाता है और वह संपत्ति देख-रेख के आभाव में बर्बाद होने लगती है। ऐसी संपत्तियों के रख-रखाव के लिये एक निकाय का प्रावधान भी है, लेकिन इसे अभी तक स्थापित नहीं किया गया है। ज़ब्त किये गए वाहन केंद्रीय वेयरहाउसिंग निगम के स्वामित्त्व वाले गोदामों में भेज दिये जाते हैं, जहाँ ED वाहनों को खड़ा करने के बदले भुगतान करती है। ऐसे मामलों में मुकदमे वर्षों तक चलते रहते हैं और वाहन जंग लगने की वज़ह से खराब हो जाते हैं। मुकदमे के अंत में न तो आरोपी और न ही ED को वाहन से कुछ भी प्राप्त होता है। वास्तव में, ED को वाहन के मूल्य से अधिक किराये का भुगतान करना पड़ता है।