सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा योजना

चर्चा में क्यों?

  • सरकार द्वारा देश की सर्वाधिक गरीब आबादी के लिये सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक महत्त्वाकांक्षी योजना तैयार की गई है।
  • दरअसल, यह प्रयास सरकार की उस योजना का हिस्सा है जिसके ज़रिये देश के सभी नागरिकों को व्यापक सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने पर काम चल रहा है।
  • विदित हो कि इस योजना का खाका श्रम मंत्रालय द्वारा तैयार किया गया है और जल्द ही इसे वित्त मंत्रालय के पास भेजा जाएगा जो आगे इस योजना को कार्यान्वित करने संबंधी महत्त्वपूर्ण कदम उठाएगी।

योजना से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • गौरतलब है कि ‘यूनिवर्सल सोशल सिक्योरिटी कवरेज’ नाम से बन रही 1.2 लाख करोड़ की लागत वाली इस योजना का लक्ष्य देश के सबसे गरीब तबके की आर्थिक सुदृढ़ता सुनिश्चित करना है।
  • यूनिवर्सल सोशल सिक्योरिटी योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के कामगारों को भी कवर किये जाने की योजना है। यह योजना दो चरणों में लागू की जाएगी, पहले चरण में अनिवार्य पेंशन, बीमा (मृत्यु और विकलांगता) और जननी सुरक्षा जैसे विषय शामिल होंगे, वहीं दूसरे चरण में चिकित्सा, बीमारी और बेरोज़गारी जैसे मुद्दों पर काम किया जाएगा। 
  • श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय से संबद्ध इस प्रस्तावित नीति के अंतर्गत घरेलू श्रमिकों के अधिकारों को दूसरे श्रमिक वर्ग के समान ही महत्त्व एवं विस्तार देना शामिल है।
  • साथ ही तय न्यूनतम मज़दूरी, समान पारिश्रमिक, काम के घंटे आदि भी सुनिश्चित किए जाएंगे। श्रमिक कानूनी अधिकार दिलाना भी इस योजना का एक अंग है।
  • इन्हें काम दिलाने वाली प्लेसमेंट एजेंसियों को भी इस दायरे में लाया जाएगा। ये एजेंसियाँ इन्हें काम दिलाने के भुगतान स्वरूप इनके एक माह का वेतन शुल्क के रूप में स्वयं ले लिया करती थीं। इस शुल्क को घटाकर अब 15 दिन कर दिया जाएगा।
  • चिकित्सकीय सहायता देना भी इसी का एक भाग होगा। सामाजिक सुरक्षा कवर, रोज़गार का उचित स्वरूप, शिकायत निवारण और घरेलू कामगारों के विवादों का समाधान करने हेतु संस्थागत तंत्र स्थापित किया जाएगा।
  • विदित हो कि यह प्रयास सामाजिक सुरक्षा कोड का हिस्सा होगा। श्रम मंत्रालय इस योजना को अंतिम रूप दे रहा है और यह देश में सामाजिक सुरक्षा कवरेज को संचालित करने वाले 17 मौजूदा कानूनों की जगह लेगी।

क्या है सामाजिक सुरक्षा कोड?

  • द्वितीय राष्ट्रीय श्रम आयोग की सिफारिशों के आधार पर वर्तमान श्रम कानूनों को कार्य संबंधी आधार पर 4 अथवा 5 श्रम कोडों में वर्गीकृत किया जा रहा है।
  • श्रम मंत्रालय ने वर्तमान केंद्रीय श्रम कानूनों के उचित प्रावधानों को सरल बनाकर और युक्ति संगत बनाकर चार श्रम कोड बनाए हैं और सामजिक सुरक्षा कोड इसका एक अहम् हिस्सा है।