व्यापार सुगमता बहाल करने हेतु ट्राई द्वारा परामर्श ड्राफ्ट

चर्चा में क्यों?

दूरसंचार क्षेत्र की मजबूती और विकास के लिये इस क्षेत्र में व्यापार करने की सुगमता (ease of doing business) को बढ़ावा देना आवश्यक है और इस ओर कदम बढ़ाते हुए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India-TRAI) ट्राई ने सिफारिशों का एक ड्राफ्ट जारी किया है।

ट्राई की सिफारिशों से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • विलय के ज़रिये एक नई कंपनी का गठन होने पर बाज़ार हिस्सेदारी को खत्म कर दिया गया है।
  • अब तक नियम यह था कि विलय की अनुमति तभी दी जाएगी, जब नई कंपनी 1 साल में अपनी बाज़ार हिस्सेदारी को 50% से भी कम कर देगी।
  • हालाँकि यह संभव नहीं है, क्योंकि नया ऑपरेटर अपने ग्राहकों न तो नेटवर्क से बाहर कर सकता है और न ही उन्हें सेवा प्रदान करना बंद कर सकता है।
  • जिस नई कंपनी का गठन किया गया है, उसे हस्तांतरण कंपनी द्वारा अदा किये गए प्रवेश शुल्क के सापेक्ष स्पेक्ट्रम लाइसेंस शुल्क में अंतर-राशि (differential amount) का भुगतान करने का भी प्रावधान किया गया है।
  • इलेक्ट्रो-चुंबकीय क्षेत्र (electro-magnetic field-EMF) के अनुपालन के संबंध में  दूरसंचार विभाग प्रत्येक दूरसंचार सेवा प्रदाता (telecom service provider-TSP) की सभी मौजूदा साइटों के लिये द्विवार्षिक प्रमाणीकरण करने की आवश्यकता की समीक्षा कर सकता है।
  • दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को सभी आवश्यक प्रमाण-पत्रों को केवल ‘संचार तरंग पोर्टल’ (Sanchar Tarang portal) के माध्यम से जमा करने के लिये कहा जाएगा।

ट्राई और इसके कार्य क्या हैं?

  • यह भारत में दूरसंचार व्यवसाय का स्वतंत्र नियामक है। दूरसंचार सेवाओं और टैरिफ को विनियमित करने के लिये संसद के एक अधिनियम द्वारा वर्ष 1997 में इसे स्थापित किया गया था।
  • भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी ट्राई एक सरकारी संस्था है जो देश में दूरसंचार के क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों के लिये नियामक अर्थात् उनके नियमन और देख-रेख का काम करती है।
  • दूरसंचार क्षेत्र की समस्त कंपनियों को ट्राई द्वारा उपलब्ध दिशा-निर्देशों के अनुसार काम करना होता है, जिससे ग्राहक को प्रदान की जाने वाली सेवाओं में गुणवत्ता बनी रहती है।
  • यदि किसी ग्राहक को लगता है कि कोई दूरसंचार कंपनी किसी तरह की मनमानी कर रही है तो वह ट्राई से इसकी शिकायत भी कर सकता है और कोई भी कंपनी अगर ट्राई के मानकों की अनदेखी करती है तो उसका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है या उसे ट्राई की ओर से भारी जुर्माने का सामना करना पड़ता है।
  • यही कारण है कि कंपनियां हमेशा इस बात का ध्यान रखती हैं कि किसी भी मानक की अनदेखी न हो और दूरसंचार तकनीक हमेशा ग्राहक के लिये जितनी हो सके सुगम और उपयोगी बनी रहे।
  • जनवरी, 2000 में दूरसंचार विवाद निपटान अपीलीय ट्रिब्यूनल (Telecom Disputes Settlement Appellate Tribunal-TDSAT) की स्थापना के बाद से ट्राई की न्यायिक शक्तियाँ इसके हाथ से छीनकर इस नई संस्था को दे दी गई हैं।