ऊदबिलाव की प्रागैतिहासिक प्रजाति सम्बंधी नवीनतम अध्ययन

वैज्ञानिकों के अनुसार, बड़े और ताकतवर जबड़े तथा तक़रीबन 50 किलोग्राम वजन वाले ऐसे बड़े विलुप्त ऊदबिलाव, चीन के उत्तरी-पूर्वी प्रान्त में पाए गए हैं | इस आधार पर यह कयास लगाये जा रहे हैं कि प्रागैतिहासिक ऊदबिलाव (otter) एक आधुनिक भेड़िया के आकार का हो सकता है | दरअसल, वैज्ञानिकों ने विज्ञान में ज्ञात ऊदबिलाव की प्रजातियों में से सबसे बड़ी प्रजाति के 6.24 मिलियन वर्ष पुराने जीवाश्मों कि खोज की थी | 

प्रमुख बिंदु :

  • ध्यातव्य है, कि ऊदबिलावों की इस प्रजाति को सियामोगेल मेलीलुतरा (siamongale melilutra) नाम दिया गया था | 
  • हालाँकि,यह प्रजाति विलुप्त ऊदबिलाव की उस प्राचीन वंशावली से सम्बद्ध है जिसे पूर्व में थाईलैंड में पुनः प्राप्त पुरानी प्रजातियों से भिन्न केवल पृथक दांतों कि वजह से ही जाना जाता था | 
  • यह ध्यान देने योग्य है कि अमेरिका में क्लीवलैंड म्यूजियम ऑफ़ नेचुरल हिस्ट्री के शोधकर्ताओं ने एक पूर्ण खोपड़ी, जबड़े ,दाँतों और विभिन्न कंकाल तत्वों को पुनः संगठित किया जिसके फलस्वरूप, इस नई प्रजाति के वर्गीकरण, विकास के इतिहास और कार्यात्मक आकृति विज्ञान पर सूक्ष्म दृष्टि डाली गई|
  • क्लीवलैंड म्यूजियम ऑफ़ नेचुरल हिस्ट्री के अनुसार, यद्यपि प्राप्त हुई यह खोपड़ी अविश्वश्नीय रूप से पूर्ण हैं तथापि जीवाश्मीकरण की प्रक्रिया के दौरान यह समतल हो गई थी|
  • वैज्ञानिकों ने बताया कि इसकी हड्डियाँ इतनी कोमल थी कि हम खोपड़ी को भौतिक रूप से भंडारित नही कर सके| इसके स्थान पर इस नमूने का सीटी-स्कैन किया गया  और इसे वास्तव में एक कंप्यूटर में पुनः संगठित किया|
  • उल्लेखनीय है कि सीटी-पुनर्भंडारण (CT-restoration) ने ऊदबिलाव तथा लकड़बग्घे दोनों के समान संयुक्त विशेषताओं को दर्शाया था | इस प्रकार मेलिलुतरा नामक प्रजाति की पहचान का मार्ग प्रशस्त हुआ | 
  • विदित हो कि मेलिलुतरा लैटिन नामों लकड़बग्घा (meles) तथा ऊदबिलाव (lutra) का संयुक्त नाम था| 
  • स्पष्ट रूप से, सियामोगेले मेलिलुतरा का जबड़ा  बड़ा तथा शक्तिशाली होता था| इसके बड़े, बुनोड़ोंट (bunodont -गोल-आकर के) दांत होते थे| 
  • इस प्रकार के दांत कई ऊदबिलाव प्रजातियों की खासियत हैं|
  • हालाँकि, इस शोध से यह प्रश्न उठता है कि क्या ऐसे बुनोडोंट दांत सभी ऊदबिलाव को एक समान पूर्वज से आनुवंशिक रूप से प्राप्त होते हैं अथवा ये विभिन्न ऊदबिलाव वंशावली में समय के साथ एक समान पर्यावरण में बढ़ने के लिए कुछ प्रकार के रूपान्तरों के साथ स्वतंत्र रूप से विकसित होते रहते हैं|
  • इस प्रकार की यह घटना ‘संसृत विकास’(convergent evolution) कहलाती है|
  • फलतः अपने विश्लेष्ण के माध्यम से शोधकर्ताओं ने पाया कि ऊदबिलाव के ऐतिहासिक विकास में कम से कम तीन बार बुनोड़ोंट दाँतों को स्वतंत्रतापूर्वक देखा गया था| 
  • उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इसका कारण संभवतः ‘संसृत विकास’ ही है|
  • गौरतलब है कि शुईतंग्बा (shuitangba) से नमूने की पूर्णता ने वैज्ञानिकों को ऊदबिलाव के ऐतिहासिक विकास तथा विशेष रूप से मायोसीन से इस रहस्यपूर्ण जाति - जिसके सम्बन्ध में बहुत ही कम सूचनाएँ हैं, को समझने की अनुमति प्रदान की|
  • शोधकर्ताओं द्वारा प्राप्त इन सूचनाओं ने यह भी प्रदर्शित किया कि ‘सियामोगेल’ ऊदबिलाव परिवार की उन सबसे पुरानी तथा अत्यधिक आदिम प्रजातियों से संबद्ध हैं जो यूरोप से कम से कम 18 मिलियन वर्ष पूर्व ‘परालुतरा’ (paralutra) के रूप में वापस चले गए थे|
  • अंततः वैज्ञानिक सियामोगेल मेलीलुतरा के जीवन के अन्य पहलुओं को समझने के लिए भी इस दिशा में प्रयासरत हैं |

निष्कर्षतः अमेरिका में, लॉस एंजेल्स के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के अनुसार,ऊदबिलाव की खोज, न केवल ऊदबिलाव से सम्बन्धित कुछ प्रश्नों को सुलझाने में सहायता प्रदान करेगी, बल्कि इसके अतिरिक्त यह नए प्रश्नों  के लिए भी द्वार खोल देगी |