सक्षम आँगनवाड़ी और पोषण 2.0

प्रिलिम्स के लिये:

सक्षम आँगनवाड़ी और पोषण 2.0, एकीकृत बाल विकास सेवाएँ (ICDS), किशोर लड़कियों के लिये योजना (SAG) राष्ट्रीय शिशु गृह योजना, सतत् विकास लक्ष्य, पोषण वाटिका।

मेन्स के लिये:

पोषण 2.0 और समाज में वंचित बच्चों और महिलाओं को प्रदान करने में इसका महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सक्षम आँगनवाड़ी और पोषण 2.0 के कार्यान्वयन के संबंध में परिचालन दिशानिर्देश जारी किये हैं।

  • यह लाभार्थियों के आधार सीडिंग को भी बढ़ावा देगा ताकि ‘टेक-होम’ राशन की अंतिम ट्रैकिंग और गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं के प्रवास पर नज़र रखी जा सके।

सक्षम आँगनवाड़ी और पोषण 2.0

  • परिचय:
  • वित्तीयन:
    • पोषण 2.0 केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच लागत बँटवारे के अनुपात के आधार पर राज्य सरकारों / केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन के माध्यम से लागू किया जा रहा केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम है।
  • दृष्टिकोण
    • यह 6 वर्ष तक के बच्चों, किशोरियों (14-18 वर्ष) और गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के बीच कुपोषण की चुनौतीपूर्ण स्थिति का समाधान करेगा।
    • यह भारत के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि भारत की आबादी में महिलाओं और बच्चों की संख्या दो- तिहाई से अधिक है।
    • सतत् विकास लक्ष्यों की उपलब्धि इस कार्यक्रम के रुपरेखा में सबसे आगे है।
    • यह SDGs विशेष रूप से जीरो हंगर पर SDG 2 और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर SDG 4 में योगदान देगा।
    • मिशन बच्चों के स्वास्थ्य और वयस्क उत्पादकता के विकास हेतु पोषण और बचपन की देखभाल तथा मौलिक शिक्षा के महत्त्व पर ध्यान केंद्रित करेगा।
  • उद्देश्य:
    • आँगनबाडी सेवाओं के तहत पूरक पोषाहार कार्यक्रम के माध्यम से कुपोषण की चुनौती से निपटने के लिये व्यापक रणनीति तैयार करना।
    • किशोरियों के लिये योजना और पोषण अभियान को पोषण 2.0 के तहत एकीकृत पोषण सहायता कार्यक्रम के रूप में जोड़ा गया है।
    • पोषण 2.0 के उद्देश्य इस प्रकार हैं:
      • देश के मानव पूंजी विकास में योगदान देना।
      • कुपोषण की चुनौतियों का समाधान करना।
      • स्थायी स्वास्थ्य और कल्‍याण के लिये पोषण जागरूकता और खाने की अच्छी आदतों को बढ़ावा देना।
      • प्रमुख रणनीतियों के माध्यम से पोषण संबंधी कमियों को दूर करना।
      • स्वास्थ्य और पोषण के लिये आयुष प्रणालियों को पोषण 2.0 के तहत एकीकृत किया जाएगा।
  • घटक:
    • आकांक्षी ज़िलों और पूर्वोत्‍तर क्षेत्रों (एनईआर) में 06 माह से 6 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं (PWLM) और 14 से 18 वर्ष की आयु वर्ग की किशोरियों के लिये पूरक पोषण कार्यक्रम (SNP) के माध्यम से पोषण सहायता।
      • प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा [3-6 वर्ष] और प्रारंभिक प्रोत्‍साहन (0-3 वर्ष);
      • आधुनिक, उन्नत सक्षम आँगनबाडी सहित आँगनबाडी बुनियादी ढाँचा; तथा
      • पोषण अभियान

दिशानिर्देश:

  • यह योजना सभी पात्र लाभार्थियों के लिये खुली है, पूर्व शर्त केवल यह है कि लाभार्थी को आधार पहचान के साथ निकटतम आँगनबाडी केंद्र में पंजीकृत होना होगा।
  • इस योजना की लाभार्थी 14-18 आयु वर्ग की किशोर बालिकाएँ होंगी, जिनकी पहचान संबंधित राज्यों द्वारा की जाएगी।
  • आयुष लाभार्थियों को योग का अभ्यास करने और स्वस्थ रहने के लिये प्रोत्साहित करने के लिये 'घर पर योग, परिवार के साथ योग' और आँगनवाड़ी केंद्रों और परिवारों के अभियानों का प्रचार करेगा।
  • आयुष मंत्रालय इस योजना के कार्यान्वयन के लिये तकनीकी सहायता प्रदान करेगा।
  • इसके अंतर्गत बच्चों में पोषण के स्तर को मापने का प्रयास किया जाएगा।
  • यह गुड़ के उपयोग, मोरेंग (सहजन) जैसे स्वदेशी पौधों के साथ फोर्टीफिकेशन और भोजन की कम मात्रा में उच्च ऊर्जा प्रदान करने वाली सामग्री को बढ़ावा देता है।

आगे की राह:

  • भारत में पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौत के लगभग 68 प्रतिशत मामलों के लिये बच्चों और माँ में कुपोषण की स्थिति को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है।
    • इसका मूल रूप से तात्पर्य यह है कि एक समय में एक बीमारी बचाने के उपाय करने के बजाय, कुपोषण से समग्र रूप से निपटना, हमारे बच्चों को अधिक सुरक्षित रखेगा और उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाएगा।
  • पोषण 2.0 योजना उचित दिशा में अग्रसर है और इसके लाभ को न्यूनतम लीकेज साथ के वंचितों तक पहुँचाना चाहिये।

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UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:

Q निम्नलिखित में से कौन-से 'राष्ट्रीय पोषण मिशन' के उद्देश्य हैं? (2017)

  1. गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण के बारे में ज़ागरूकता पैदा करना।
  2. छोटे बच्चों, किशोरियों और महिलाओं में एनीमिया के मामलों को कम करना।
  3. बाजरा, मोटे अनाज और बिना पॉलिश किये चावल की खपत को बढ़ावा देना।
  4. पोल्ट्री अंडे की खपत को बढ़ावा देना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a)  केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 3
(c) केवल 1, 2 और 4
(d)  केवल 3 और 4

उत्तर: A

व्याख्या:

  • राष्ट्रीय पोषण मिशन (पोषण अभियान) महिला और बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जो आंँगनवाड़ी सेवाओं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, स्वच्छ-भारत मिशन आदि जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के साथ अभिसरण सुनिश्चित करता है।
  • राष्ट्रीय पोषण मिशन (एनएनएम) का लक्ष्य 2017-18 से शुरू होकर अगले तीन वर्षों के दौरान 0-6 वर्ष के बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं की पोषण स्थिति में समयबद्ध तरीके से सुधार करना है। अतः कथन 1 सही है।
  • एनएनएम का लक्ष्य स्टंटिंग, अल्पपोषण, एनीमिया (छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोर लड़कियों के बीच) को कम करना और बच्चों के जन्म के समय कम वज़न की समस्या को कम करना है। अत: कथन 2 सही है।
  • एनएनएम के तहत बाजरा, बिना पॉलिश किये चावल, मोटे अनाज और अंडों की खपत से संबंधित ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। अत: कथन 3 और 4 सही नहीं हैं।

अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।

स्रोत: पीआईबी