प्रीलिम्स फैक्ट्स : 28 नवंबर, 2018

NPCC को मिनीरत्न का दर्जा


राष्ट्रीय परियोजना निर्माण निगम लिमिटेड (National Projects Construction Corporation Limited- NPCC) को भारत सरकार द्वारा "मिनीरत्न:श्रेणी-1" (Miniratna : Category –I) का सम्मानित दर्जा दिया गया है।

  • NPCC को मिनीरत्न का दर्जा हासिल होने से निदेशक मंडल की शक्तियों में वृद्धि होगी जिसके परिणामस्वरूप कंपनी तेज़ी से निर्णय ले सकेगी।

मिनीरत्न कंपनी

मिनीरत्न की अवधारणा वर्ष 2002 में शुरू हुई थी। मिनीरत्न कंपनियों को संयुक्त उद्यमों में प्रवेश करने की अनुमति होती है और वे विदेशों में भी कार्यालय भी खोल सकती हैं लेकिन उनके लिये कुछ सीमाएँ निर्धारित की गई हैं। मिनीरत्न कंपनियों को दो श्रेणियों में बाँटा गया है- श्रेणी-1 और श्रेणी-2

मिनीरत्न श्रेणी- 1 

मिनीरत्न कंपनी वर्ग 1  का दर्जा प्राप्त करने के लिये आवश्यक है कि कंपनी ने पिछले तीन वर्षों से लगातार लाभ प्राप्त किया हो तथा तीन साल में एक बार कम से कम 30 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित किया हो।

मिनीरत्न श्रेणी’- 2

कंपनी द्वारा ने पिछले तीन साल से लगातार लाभ अर्जित किया हो और उसकी नेट वर्थ सकारात्मक हो।

NPCC

  • यह जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय (Ministry of Water Resources RD & GR) के प्रशासनिक नियंत्रण में  अनुसूची 'बी' का एक केंद्रीय लोक-उद्यम है जिसे हाल ही में ISO 9001:2015 प्रमाणपत्र  भी प्राप्त हुआ है।
  • वर्ष 1957 में स्थापित इस निगम को एक प्रमुख निर्माण कंपनी के तौर पर देश के आर्थिक विकास को गति देने के लिये बुनियादी ढाँचे के निर्माण का गौरव हासिल है।
  • निगम, 2009-10 के बाद से लगातार लाभ अर्जित कर रहा है और पिछले छह वर्षो से इसकी सकल आय ( net worth) सकारात्मक है और इसकी महत्त्वाकांक्षी व्यापार-योजना के तहत इसे प्राप्त कार्य-आदेशों की स्थिति बढ़कर 11833 करोड़ रुपए हो गई है।

भारतीय अंगदान दिवस ( Indian Organ Donation Day)

  • 27 नवंबर को देश में भारतीय अंगदान दिवस मनाया जाता है।
  • इस बार 9वें भारतीय अंगदान दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन राष्‍ट्रीय अंग व ऊतक प्रत्‍यारोपण संगठन (National Organ and Tissue Transplant Organization- NOTTO) ने किया।
  • उल्लेखनीय है कि विश्व अंगदान दिवस प्रत्येक वर्ष 13 अगस्त को मनाया जाता है।
  • इस कार्यक्रम के दौरान अंगदान पर जागरूकता बढ़ाने के लिये महाराष्‍ट्र को सर्वश्रेष्‍ठ राज्‍य घोषित करते हुए पुरस्कार प्रदान किया गया।

NOTTO


राष्‍ट्रीय अंग व ऊतक प्रत्‍यारोपण संगठन (NOTTO), स्वास्थ्य सेवा निदेशालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन स्थापित एक राष्ट्रीय स्तर का संगठन है। NOTTO के निम्मलिखित दो प्रभाग है-

    1. राष्ट्रीय मानव अंग और ऊतक निष्कासन एवं भंडारण नेटवर्क : मानव अंग प्रत्यारोपण (संशोधन) अधिनियम, 2011 के अनुसार इसे अनिवार्य किया गया है। NOTTO का राष्ट्रीय प्रभाग देश में अंगों और ऊतकों की खरीद के नेटवर्क अथवा वितरण के साथ-साथ अंगों और ऊतक दान एवं प्रत्यारोपण के पंजीकरण में सहयोग जैसी अखिल भारतीय गतिविधियों के लिये सर्वोच्च केंद्र के तौर पर कार्य करता है।
    2. राष्ट्रीय बॉयोमैटीरियल केंद्र (राष्ट्रीय ऊतक बैंक) : इस केंद्र को स्थापित करने का मुख्य आधार और उद्देश्य विभिन्न प्रकार के ऊतकों की उपलब्धता व इनकी गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के साथ-साथ मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को भरना है।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) का 14वाँ स्थापना दिवस


27 नवंबर, 2018 को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority- NDMA) का 14वाँ स्थापना दिवस मनाया गया।

  • इस वर्ष के लिये स्थापना दिवस की थीम ’आपदाओं के लिये पूर्व चेतावनी’ (Early Warning for Disasters) थी।

NDMA की पृष्ठभूमि

  • भारत के प्रधानमंत्री के नेतृत्व में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) आपदाओं के प्रबंधन हेतु एक शीर्ष निकाय है।
  • भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन के महत्त्व को राष्ट्रीय प्राथमिकता का मानते हुए, अगस्त, 1999 में एक उच्चाधिकार समिति का गठन करने एवं गुजरात भूकंप के बाद आपदा प्रबंधन योजनाओं की तैयारी के बारे में सिफारिशें करने तथा कारगर प्रशमन तंत्रों का सुझाव देने के लिये आपदा प्रबंधन पर एक राष्ट्रीय समिति का भी गठन किया था।
  • दसवीं पंचवर्षीय योजना के दस्तावेज में भी पहली बार आपदा प्रबंधन पर एक विस्तृत अध्याय दिया गया।
  • बारहवें वित आयोग में भी आपदा प्रबंधन के लिये वितीय व्यवस्थाओं की समीक्षा करने का अधिदेश दिया।
  • 23 दिसंबर, 2005 को भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम को अधिनियमित किया जिसमें प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) तथा संबंधित मुख्यमंत्रियों की अध्यक्षता में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA के सृजन की परिकल्पना की गई ताकि भारत में आपदा प्रबंधन की दिशा में एक नेतृत्व स्थापित किया जाए एवं इसके लिये एक समग्र तथा एकीकृत दृष्टिकोण को लागू किया जा सके।

मिशन रक्षा ज्ञान शक्ति


भारतीय रक्षा मंत्री ने 27 नवंबर, 2018 को दिल्ली में औपचारिक रूप से ‘मिशन रक्षा ज्ञान शक्ति’ की शुरूआत की।

  • रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने की मौजूदा पहलों के अंग के रूप में रक्षा उत्पादन विभाग ने ‘मिशन रक्षा ज्ञान शक्ति’ नामक एक नई रूपरेखा शुरू की है।
  • इसका उद्देश्य स्वदेशी रक्षा उद्योग में भौतिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Right- IPR) संस्कृति को बढ़ावा देना है।
  • इस कार्यक्रम के समन्वय और कार्यान्वयन की ज़िम्मेदारी गुणता आश्वासन महानिदेशालय (Directorate General of Quality Assurance- DGQA) को दी गई है।

बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR)

  • बौद्धिक संपदा अधिकार, निजी अधिकार हैं जो किसी देश की सीमा के भीतर मान्य होते हैं तथा औद्योगिक, वैज्ञानिक, साहित्य और कला के क्षेत्र में व्यक्ति (व्यक्तियों) अथवा कानूनी कंपनियों की रचनात्मकता अथवा नवप्रयोग के संरक्षण के लिये उन्हें दिये जाते हैं।

मेकेदातु बहुद्देश्यीय परियोजना को स्वीकृति

केंद्रीय जल आयोग (CWC) ने कर्नाटक सरकार की पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट (feasibility report) को स्वीकृति देते हुए कावेरी नदी पर बनने वाले मेकेदातु (Mekedatu) बहुद्देश्यीय परियोजना को प्रशासनिक मंज़ूरी दे दी है।

  • इस बहुद्देश्यीय परियोजना से बिजली उत्पादन के अलावा बंगलुरू और रामानगरम ज़िलों में पीने के पानी की आपूर्ति भी किये जाने की योजना है।
  • केंद्रीय जल आयोग ने कर्नाटक राज्य को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने को कहा है।
  • फरवरी 2017 में राज्य मंत्रिमंडल ने इस परियोजना को लागू करने का फैसला किया था जिसमें रामानगरम ज़िले के कनकपुरा के पास कावेरी में संतुलित बांध का निर्माण करना शामिल है।
  • उल्लेखनीय है कि मेकेदातु परियोजना को लेकर कर्नाटक एवं तमिलनाडु राज्यों के बीच विवाद है।

केंद्रीय जल आयोग के बारे में

  • जल संसाधन के क्षेत्र में यह देश का एक प्रमुख तकनीकी संगठन है।
  • इस आयोग को बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, नौवहन, पेयजल आपूर्ति और जल विद्युत विकास के प्रयोजन हेतु समूचे देश के जल संसाधनों के नियंत्रण, संरक्षण और उपभोग संबंधी योजनाओं के लिये राज्य सरकारों के परामर्श से शुरू करने, समन्वित करने तथा आगे बढ़ाने का सामान्य उत्तरदायित्व सौंपा गया है।
  • इस आयोग का प्रमुख एक अध्यक्ष होता है जिसका पद भारत सरकार के पदेन सचिव के स्तर का होता है।
  • आयोग के तीन तकनीकी विंग हैं, जिसमें अभिकल्प एवं अनुसंधान, जल आयोजना एवं परियोजना तथा नदी प्रबंध विंग शामिल हैं।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।