भारत को कृषि क्षेत्र में नए साहसिक कदम उठाने की जरुरत : रिपोर्ट

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (Organization for Economic  Cooperation and Development – OECD) तथा इंडियन काउंसिल फार रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस (ICRIER) द्वारा संयुक्त रूप से एक रिपोर्ट ज़ारी की गई है।

क्या कहा गया है रिपोर्ट में?

  • ‘भारत में कृषि नीतियाँ’ विषय पर जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद तथा बिजली आदि पर सब्सिडी देने के बावजूद वर्ष 2014 और 2016 के बीच सकल कृषि आय में सालाना 6 प्रतिशत की कमी हुई है।
  • खेती के लिये ज़मीन का छोटा आकार, कम उत्पादकता, जलवायु संबंधी चुनौतियाँ, प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव, खाद्य सुरक्षा, अल्पविकसित फूड प्रोसेसिंग और रिटेल सेक्टर को इस रिपोर्ट ने समस्याओं के रूप में शामिल किया है। 
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कृषि संबंधी नीतियों को बनाने तथा लागू करने का कार्य  संस्थानों की जटिल प्रणाली द्वारा किया जाता है। ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि केंद्र व राज्य के नीति निर्माता समस्याओं पर बात कर सकें।
  • भारतीय किसानों को जटिल घरेलू बाज़ार नियमन तथा आयात एवं निर्यात पाबंदी का सामना करना पड़ता है जिसके कारण कई बार उत्पादकों को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार की तुलना में कम मूल्य मिलता है।

रिपोर्ट में शामिल सुझाव

  • इसमें सरकार से कृषि क्षेत्र में उच्च वृद्धि तथा किसानों की बेहतर आय सुनिश्चित करने के लिये नए साहसिक कदम उठाने तथा मौजूदा सुधारों में तेज़ी लाने का सुझाव दिया गया है। 
  • इसके अनुसार, सरकार को आयात शुल्कों में कमी करने के साथ ही अन्य पाबंदियों को हटाना चाहिये।
  • रिपोर्ट में सुधारों को आगे बढ़ाने की सिफारिश की गई है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य सब्सिडी एकमुश्त दिए जाने की भी सिफारिश करनी चाहिये। 
  • बाज़ार नियमन में सुधार तथा बाज़ार व्यवस्था को मज़बूत करने की वकालत करते हुए इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (e-NAM) जैसे कदम को तेज़ी से लागू किया जाना चाहिये।
  • OECD तथा इक्रियर (ICRIER) ने बजट के जरिये कच्चे माल पर दी जाने वाली सब्सिडी पर रोक लगाने और धीरे-धीरे इसे वापस लेने का सुझाव दिया है।