कृषि व्यापार में सुगमता की जाँच के लिये नया सूचकांक (New index to check ease of doing agri-business)

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार अगले वर्ष की शुरुआत में कृषि-व्यापार में सुगमता हेतु एक नया सूचकांक शुरू करना चाहती है। यह सूचकांक राज्यों को कृषि में उनके निवेश, उत्पादकता में वृद्धि, इनपुट लागत में कमी और जोखिम शमन उपायों के साथ ही साथ अन्य सुधारों के आधार पर रैंक प्रदान करेगा।

प्रमुख बिंदु

  • राज्यों को जल्द ही कृषि-व्यापार को प्रोत्साहित करने में विशेषकर विपणन, भूमि और शासन में सुधारों के संबंध में उनके प्रदर्शन के आधार पर कृषि मंत्रालय की प्रमुख योजनाओं के लिये अतिरिक्त धनराशि मिलने की शुरुआत हो सकती है।
  • सूचकांक के लिये जारी किये गए हालिया अवधारणा नोट में कहा गया है कि कृषि मंत्रालय विभिन्न प्रमुख योजनाओं में उपलब्ध फ्लेक्सी फंडों से आवंटन के साथ प्रदर्शन को जोड़कर उच्च निष्पादित राज्यों को [पूर्ण और वृद्धिशील दोनों शर्तों में] पुरस्कृत करने पर विचार कर सकता है।
  • नीति आयोग पहले से ही एक कृषि विपणन और कृषक अनुकूल सुधार सूचकांक जारी करता है, जो इन सुधारों के कार्यान्वयन पर राज्यों को रेटिंग प्रदान करता है। वर्ष 2016 में उस सूचकांक के प्रारंभिक संस्करण में महाराष्ट्र रैंकिंग में पहले स्थान पर रहा, इसके बाद गुजरात का स्थान था।
  • इस प्रस्तावित सूचकांक का विस्तार अत्यंत व्यापक है, लेकिन मुख्य केंद्रण अभी भी सुधारों पर है। विपणन सुधार (25%) तथा शासन और भूमि सुधार (20%) इस सूचकांक की मूल्यांकन प्रणाली के मापदंडों के वज़न का लगभग आधा हिस्सा रखते हैं।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड

  • अन्य मापदंडों के तहत, राज्यों का मूल्यांकन मृदा स्वास्थ्य कार्ड के वितरण तथा जैविक कृषि और सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहित करके कृषि आगतों (20% भारांश) की लागत में कमी करने में राज्यों को मिली सफलता के आधार पर किया जाएगा।
  • फसल और पशुधन बीमा जैसे जोखिम शमन उपायों का भारांश 15% होगा, जबकि कृषि में उत्पादकता तथा निवेश में वृद्धि इन दोनों का भारांश 10-10% होगा।

प्रक्रिया उन्मुख मापदंड

  • अवधारणा नोट के अनुसार, ये मापदंड प्रक्रिया उन्मुख हैं, और जब नए सुधार या पहल प्रस्तावित किये जाते हैं, तब ये विकसित होते हैं।
  • चूँकि कृषि एक राज्य विषय है, अतः केंद्र द्वारा प्रस्तावित नीतियों और सुधार पहलों की सफलता राज्यों द्वारा कार्यान्वयन पर निर्भर है।
  • इस नोट के अनुसार, यह सुनिश्चित करने के लिये कि सरकार के सुधार एजेंडे को सभी राज्य सरकारों द्वारा वांछित गति से लागू किया गया है, राज्यों के बीच एक प्रतिस्पर्द्धी भावना विकसित करने की आवश्यकता है।
  • 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने की रणनीतियों की सिफारिश करने के लिये गठित समिति ने भी यह सुझाव दिया था कि राज्यों को उनके सुधार और शासन रिकॉर्ड के आधार पर रैंक प्रदान किया जाना चाहिये।
  • यह अवधारणा नोट 15 नवंबर तक सार्वजनिक और हितधारकों की प्रतिक्रिया के लिये उपलब्ध है, जिसके बाद महीने के अंत तक कार्यान्वयन दिशानिर्देश तैयार किये जाएंगे।
  • अवधारणा नोट की समय-सारिणी के अनुसार, राज्य के प्रदर्शन पर नज़र रखने के लिये एक ऑनलाइन डैशबोर्ड वर्ष के अंत तक विकसित किया जाएगा और सूचकांक को जारी करने के लिये राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला जनवरी 2019 में आयोजित की जाएगी।