राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम का प्रदर्शन

संदर्भ
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP) के तहत सरकार गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के 30 मिलियन से अधिक बुज़ुर्गों, विधवाओं और दिव्यांग लाभार्थियों को प्रत्यक्ष हस्तांतरण के लिये प्रतिबद्ध है। राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत अभावों से जूझ रहे परिवारों तक नकद हस्तांतरण की सुविधा खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य बीमा समेत समग्र सामाजिक सुरक्षा का एक महत्त्वपूर्ण भाग है।

राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (National Social Assistance Programme-NSAP)

  • केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा प्रशासित राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम की शुरुआत 15 अगस्त, 1995 को हुई थी।
  • यह संविधान के अनुच्छेद 41 एवं 42 के तहत नीति-निर्देशक तत्त्वों के अनुकरण की दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अनुच्छेद 41-काम पाने, शिक्षा प्राप्त करने एवं विशेष स्थितियों में सहायता पाने का अधिकार

  • इस अनुच्छेद के अनुसार, अपनी आर्थिक क्षमता एवं विकास की सीमाओं में रहकर राज्य (सरकार) लोगों के काम का अधिकार, शिक्षा का अधिकार एवं बेरोज़गारी, वृद्धावस्था, अपंगता तथा अन्य अनर्जित मांगों की स्थितियों में जन-सहायता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिये प्रभावी प्रावधान करेगा।

अनुच्छेद 42- न्याय एवं काम की मानवीय दशा एवं मातृत्व सहायता का प्रावधान

  • राज्य न्याय एवं काम की मानवीय दशाएँ तथा मातृत्व सहायता को सुनिश्चित करने का प्रावधान करेगा।
  • यह कार्यक्रम गरीब परिवारों में वृद्धावस्था, जीविकोपार्जन करने वाले मुख्य सदस्य की मृत्यु तथा मातृत्व जैसी स्थितियों में लाभ के लिये सामाजिक सहायता की एक राष्ट्रीय नीति प्रस्तुत करता है।
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य सामाजिक सहायता तथा राज्य द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे अथवा भविष्य में उपलब्ध कराए जाने वाले लाभों के लिये न्यूनतम राष्ट्रीय मानक सुनिश्चित करना है।
  • NSAP का क्रियान्वयन शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में लागू किया जा रहा है।

वर्तमान में NSAP के तहत निम्नलिखित पाँच कार्यक्रम शामिल हैं-

  1. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (IGNOAPS)
    ♦ लाभार्थी – 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले (BPL) वृद्धजन। 
    ♦ लाभ – 400 रुपए प्रति व्यक्ति प्रति माह (60-79 वर्ष के वृद्धों के लिये) तथा 500 रुपए प्रति व्यक्ति प्रति माह (80 वर्ष अथवा अधिक आयु के वृद्धों के लिये)
  2. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना (IGNWPS)
    ♦ BPL वर्ग की 40-59 वर्ष आयु वाली विधवाओं को प्रति माह 300 रुपए पेंशन दी जाती है।
  3. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विकलांगता पेंशन योजना (IGNDPS)
    ♦ 18-59 वर्ष वाले BPL वर्ग के विविध और गंभीर विकलांगता से ग्रसित व्यक्तियों को 500 रुपए प्रति माह। 
  4. राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना (NFBS)
    ♦ गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाले परिवार में जीविकोपार्जन करने वाले प्रमुख सदस्य (18-64 वर्ष की आयु) की मृत्यु पर परिवार को परिवारिक लाभ के रूप में एकमुश्त राशि प्रदान की जाती है।
  5. अन्नपूर्णा
    ♦ इसके तहत NOAPS के तहत पात्र किंतु लाभों से वंचित वरिष्ट नागरिकों को प्रति माह 10 किलोग्राम अनाज उपलब्ध कराया जाता है।
  • वर्ष 2016 में NSAP योजना को ‘कोर ऑफ़ कोर’ (Core of Core) योजनाओं के तहत रखा गया था। केंद्र सरकार द्वारा योजना की शत-प्रतिशत ज़रूरतें पूरी करने के लिये वित्तीय आवंटन को निरंतर बढ़ाया जा रहा है।
  • वित्त वर्ष 2018-19 के लिये NSAP योजना को 9975 करोड़ रुपए आवंटित किये गए जो वर्ष 2014-15 के आवंटन से 38% अधिक है।
  • वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान NSAP के तहत राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को 8696 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई जो कि वर्ष 2014-15 के दौरान जारी राशि से 23% अधिक है।

योजना का क्रियान्वयन 

  • योजना में पारदर्शिता बढ़ाने और कमियों का निवारण करने के लिये सरकार ने कई कदम उठाए हैं। NSAP के तहत लाभार्थियों के आँकडें NSAP डिजिटल मंच पर रखे गए हैं।
  • योजना के तहत 173 लाख लाभार्थियों के आधार नंबर उनकी सहमति से जोड़े गए हैं। सरकार ने आधार आधारित भुगतान व्यवस्था (Aadhar Based Payment System-ABPS) अपनाने की तिथि बढ़ाकर 30 जून, 2018 करने का निर्णय लिया है।
  • डिजिटल लेन-देन की सुविधा बढ़ाने के लिये लाभार्थियों की सहमति से आधार आधारित भुगतान व्यवस्था लागू करने का उद्देश्य है कि किसी भी तरह की संभावित कमी को पूरी तरह से दूर किया जा सके।
  • आधार आधारित व्यवस्था से बुज़ुर्गों, विधवाओं और दिव्यांग लोगों को बैंक/डाकघर के ज़रिये उनके गाँव तक भुगतान पहुँचाया जाएगा।

डिजिटल ट्रान्ज़ेक्शन्स में बढ़ोतरी 

  • वित्तीय वर्ष 2017-18 की शुरुआत में सिर्फ 6 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों गुजरात, लक्षद्वीप, बिहार, दादरा एवं नगर हवेली, दमन एवं द्वीप, झारखंड और महाराष्ट्र में ही डिजिटल लेन-देन के ज़रिये NSAP सहायता पहुँचाई गई और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के ज़रिये 1.73 करोड़ लेन-देन दर्ज किये गए।
  • 31 मार्च, 2018 को समाप्त वित्तीय वर्ष में विशेष प्रयासों के तहत आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दमन एवं द्वीप, दादरा एवं नगर हवेली, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र. मेघालय, पुद्दुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश जैसे 20 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के ज़रिये 10.73 करोड़ के लेन-देन हुए।
  • अत: 2016-17 में डीबीटी के ज़रिये डिजिटल लेन-देन की तुलना में 2017-18 में 520% लेन-देन की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
  • वर्ष 2017-18 में 6791.70 करोड़ रुपये मूल्य के डिजिटल लेन-देन किये गए जो इस साल जारी रकम का लगभग 78% है।

प्रयासों का अभिसरण (Convergence)

  • विभिन्न तरह की वंचनाओं (Deprivation) को कम करने के प्रयासों को और अधिक कारगर बनाने के उद्देश्य से अभिसरण के मुद्दे पर अधिक-से-अधिक जोर दिया जा रहा है।
  • राष्ट्रीय दिव्यांगता पेंशन योजना के तहत मासिक सहायता 300 से बढ़ाकर 500 रुपए प्रति महीना करने के अलावा अन्य ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में भी दिव्यांग लोगों के लिये विशेष प्रावधान किये गए हैं।
  • MGNREGA के तहत कार्यस्थलों पर पेयजल उपलब्ध कराने, पालना घर की व्यवस्था इत्यादि में दिव्यांग लोगों को काम दिलाने को प्राथमिकता दी गई है।
  • दिव्यांग मज़दूरों को अन्य मज़दूरों के बराबर ही मज़दूरी दी जाती है। दिव्यांग मज़दूरों को उनके अनुसार उचित काम के चुनाव जैसी कई और छूटें दी गई हैं।
  • वित्त वर्ष 2017-18 में MGNREGA के तहत लगभग 4.7 लाख दिव्यांग मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया गया।
  • DDU-ग्रामीण कौशल योजना के निर्देशों के अनुसार प्रत्येक राज्य के लिये लोगों के कौशल बढ़ाने के लक्ष्य का कम-से-कम 3% कौशल विकास लक्ष्य दिव्यांगों के लिये सुनिश्चित किया जाना ज़रूरी है।
  • DDU-ग्रामीण कौशल योजना (GKY) के तहत देश भर में अभी कुल 243 परियोजनाएँ मंज़ूर की गई हैं जिसमें दिव्यांग उम्मीदवारों को भी प्रशिक्षित करने का प्रावधान है।
  • इसके अलावा DDU-GKY के तहत 5 विशेष परियोजनाएँ मंज़ूर की गई हैं जिनमें 1500 दिव्यांग उम्मीदवारों को कौशल प्रशिक्षण दिया जाना है।
  • प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY-G) में भी राज्यों के लिये यह प्रावधान है कि वह कम-से-कम 3%दिव्यांग लाभार्थी सुनिश्चित करें।
  • PMAY-G के तहत दिव्यांगों के लिये 5682 घर मंज़ूर किये गए जिनमें से 1655 घरों का निर्माण हो चुका है।