राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस (national legal service day)

संदर्भ

  • सभी नागरिकों के लिये उचित निष्पक्ष और न्याय प्रक्रिया सुनिश्चित करने हेतु जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से 9 नवंबर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस मनाया जाता है।
  • राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस (NLSD) की शुरुआत पहली बार 1995 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को सहायता और समर्थन प्रदान करने के लिये की गई थी।

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण

  • राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नालसा (National Legal Services Authority-NALSA) का गठन विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के अंतर्गत समाज के कमजोर वर्गों को नि:शुल्क कानूनी सेवाएँ प्रदान करने के लिये और विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिये लोक अदालतों का आयोजन करने के उद्देश्य से किया गया है।
  • भारत का मुख्य न्यायाधीश इसका मुख्य संरक्षक होता है है और भारत के सर्वोच्च न्यायालय का द्वितीय वरिष्ठ न्यायाधीश प्राधिकरण का कार्यकारी अध्यक्ष होता है।
  • संविधान के अनुच्छेद 39 A अवसर की समानता के आधार पर न्याय को बढ़ावा देने के लिये समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 22 (1), विधि के समक्ष समानता सुनिश्चित करने के लिये राज्य को बाध्य करता है।

नालसा के कार्य

  • नालसा देश भर में कानूनी सहायता कार्यक्रम और योजनाएँ लागू करने के लिये राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण पर दिशानिर्देश जारी करता है।
  • मुख्य रूप से राज्य कानूनी सहायता प्राधिकरण, ज़िला कानूनी सहायता प्राधिकरण, तालुक कानूनी सहायता समितियों आदि को निम्नलिखित कार्य नियमित आधार पर करते रहने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है-
  1. सुपात्र लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करना।
  2. विवादों को सौहार्द्रपूर्ण ढंग से निपटाने के लिये लोक अदालतों का संचालन करना।

मुफ्त विधिक सेवाएँ

  • किसी कानूनी कार्यवाही में कोर्ट फीस और अन्य सभी प्रभार अदा करना।
  • कानूनी कार्यवाही में वकील उपलब्ध कराना।
  • कानूनी कार्यवाही में आदेशों आदि की प्रमाणित प्रतियाँ प्राप्त करना।
  • कानूनी कार्यवाही में अपील और दस्तावेज़ का अनुवाद और छपाई सहित पेपर बुक तैयार करना।

मुफ्त कानूनी सहायता पाने के पात्र

  • महिलाएँ और बच्चे।
  • अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्य।
  • औद्योगिक श्रमिक।
  • बड़ी आपदाओं जैसे- हिंसा, बाढ़, सूखे, भूकंप तथा औद्योगिक आपदाओं आदि के शिकार लोग।
  • विकलांग व्यक्ति।
  • हिरासत में रखे गए लोग।
  • ऐसे व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय 1,00,000 रुपए से अधिक नहीं है।
  • बेगार या अवैध मानव व्यापार के शिकार।

निःशुल्क विधिक सेवाएँ प्रदान करने वाले विधिक सेवा संस्थान

  • राष्ट्रीय स्तर पर- राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण
  • राज्य स्तर पर- राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण। इसकी अध्यक्षता राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा की जाती है जो इसका मुख्या संरक्षक भी होता है। उच्च न्यायालय के एक सेवारत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश को इसके कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नामांकित किया जाता है।
  • ज़िला स्तर पर- राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण। ज़िला न्यायाधीश इसका कार्यकारी अध्यक्ष होता है।
  • तालुका स्तर पर- तालुक विधिक सेवा प्राधिकरण। इसकी नेतृत्व वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश करता है।
  • उच्च न्यायालय- उच्च न्यायालय विधिक सेवा प्राधिकरण।
  • सर्वोच्च न्यायालय- सर्वोच्च न्यायालय विधिक सेवा प्राधिकरण।

उपरोक्त सभी का कार्य नालसा की नीतियों और निर्देशों को कार्य रूप देना और लोगों को निशुल्क कानूनी सेवा प्रदान करना और लोक अदालतें चलाना है।