मौद्रिक नीति समिति: आरबीआई

प्रिलिम्स के लिये:

आरबीआई, मौद्रिक नीति समिति (MPC), मौद्रिक नीति के साधन, आरबीआई के विभिन्न नीतिगत दृष्टिकोण।

मेन्स के लिये:

बैंकिंग क्षेत्र और एनबीएफसी, वैधानिक निकाय, मौद्रिक नीति, वृद्धि एवं विकास, मौद्रिक नीति तथा इसके उपकरण।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने जानकारी दी है कि केंद्रीय बैंक का उदार नीति रुख मुद्रास्फीति लक्ष्य (6% की ऊपरी सीमा) प्राप्त करने में विफल हो सकता है।

  • एक उदार रुख केंद्रीय बैंक की ओर से मुद्रा आपूर्ति का विस्तार करने और ब्याज दरों में कटौती करने की इच्छा को इंगित करता है।
  • MPC भारत में बेंचमार्क ब्याज दर या अन्य ब्याज दरों को निर्धारित करने के लिये उपयोग की जाने वाली आधार या संदर्भ दर तय करती है।

मौद्रिक नीति:

  • मौद्रिक नीति अधिनियम में निर्दिष्ट लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये अपने नियंत्रण में मौद्रिक साधनों के उपयोग के संबंध में केंद्रीय बैंक की नीति को संदर्भित करती है।
  • आरबीआई की मौद्रिक नीति का प्राथमिक उद्देश्य विकास को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना है।
    • सतत् विकास के लिये मूल्य स्थिरता एक आवश्यक पूर्व शर्त है।
  • संशोधित आरबीआई अधिनियम, 1934 में हर पाँच वर्ष में एक बार रिज़र्व बैंक के परामर्श से भारत सरकार द्वारा मुद्रास्फीति लक्ष्य (4% + -2%) निर्धारित करने का भी प्रावधान है।

मौद्रिक नीति की लिखतें

रेपो दर

  • वह ब्याज दर जिस पर रिज़र्व बैंक चलनिधि समायोजन सुविधा (LAF) के तहत सरकार और अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों के संपार्श्विक पर बैंकों को रातों-रात चलनिधि प्रदान करता है।

रिवर्स रेपो दर

  • वह ब्याज दर जिस पर रिज़र्व बैंक LAF के तहत बैंकों से रातों-रात आधार पर तरलता प्राप्त करता है।

तरलता समायोजन सुविधा

  • LAF में रातों-रात और साथ ही सावधि रेपो नीलामियाँ शामिल हैं।
  • सावधि रेपो का उद्देश्य इंटरबैंक सावधिक मनी मार्केट के विकास में मदद करना है, जो बदले में ऋण और जमा के मूल्य निर्धारण के लिये बाज़ार आधारित बेंचमार्क निर्धारित कर सकता है तथा इस प्रकार मौद्रिक नीति के हस्तांतरण में सुधार करता है।
  • RBI परिवर्तनीय ब्याज दर रिवर्स रेपो नीलामी भी आयोजित करता है, जैसा कि बाज़ार की स्थितियों के तहत आवश्यक है।

सीमांत स्थायी सुविधा (MSF)

  • यह एक ऐसी सुविधा है जिसके तहत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक रिज़र्व बैंक से ओवरनाइट मुद्रा की अतिरिक्त राशि को एक सीमा तक अपने सांविधिक चलनिधि अनुपात (SLR) पोर्टफोलियो में गिरावट कर ब्याज की दंडात्मक दर ले सकते हैं। 
  • यह बैंकिंग प्रणाली को अप्रत्याशित चलनिधि झटकों के खिलाफ सुरक्षा वाल्व का कार्य करती है।

कॉरिडोर

  • MSF दर और रिवर्स रेपो दर भारित औसत कॉल मनी दर में दैनिक संचलन के लिये कॉरिडोर को निर्धारित करते हैं।

बैंक दर

  • यह वह दर है, जिस पर रिज़र्व बैंक विनिमय बिल या अन्य वाणिज्यिक पत्रों को खरीदने या बदलने के लिये तैयार है। बैंक दर भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 49 के तहत प्रकाशित की गई है।
  • यह दर MSF दर से जुड़ी हुई है और इसलिये जब MSF दर पॉलिसी रेपो रेट के साथ बदलती है तो स्वचालित रूप से परिवर्तित होती है।

नकद आरक्षित अनुपात (CRR)

  • निवल मांग और समय देयताओं की हिस्सेदारी जो बैंकों को रिज़र्व बैंक में नकदी शेष के रूप में रखनी होती है और इसे रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया जाता है।

सांविधिक चलनिधि अनुपात (SLR)

  • निवल मांग और समय देयताओं की हिस्सेदारी जो बैंकों को अभारित सरकारी प्रतिभूतियों, नकदी एवं स्वर्ण जैसी सुरक्षित व चल आस्तियों में रखना होता है।
  • SLR में परिवर्तन अक्सर निजी क्षेत्र के लिये उधार देने की बैंकिंग प्रणाली में संसाधनों की उपलब्धता को प्रभावित करता है।

खुला बाज़ार परिचालन (OMO)

  • इनमें सरकारी प्रतिभूतियों की एकमुश्त खरीद/बिक्री, टिकाऊ चलनिधि डालना/ अवशोषित करना क्रमशः दोनों शामिल हैं।

बाज़ार स्थिरीकरण योजना (MSS)

  • मौद्रिक प्रबंधन के लिये इस लिखत को वर्ष 2004 में आरंभ किया गया। 
  • बड़े पूंजी प्रवाह से उत्पन्न अधिक स्थायी प्रकृति की अधिशेष चलनिधि को अल्पकालिक सरकारी प्रतिभूतियों और राजस्व बिलों की बिक्री के ज़रिये अवशोषित किया जाता है। 
  • जुटाए जाने वाली नकदी को रिज़र्व बैंक के पास एक अलग सरकारी खाते में रखा जाता है।

विगत वर्षों के प्रश्न

प्रश्न. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2015)

1. बैंक दर
2. खुला बाज़ार परिचालन
3. सार्वजनिक ऋण
4. सार्वजनिक राजस्व

उपर्युक्त में से कौन सा/से मौद्रिक नीति का/के घटक है/हैं?

(a)  केवल 1 
(b)  केवल 2, 3 और 4 
(c) केवल 1 और 2 
(d) केवल 1, 3 और 4 

उत्तर: (c)

मौद्रिक नीति समिति (MPC):

  • उत्पत्ति: संशोधित (2016 में) आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 45ZB के तहत केंद्र सरकार को छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) का गठन करने का अधिकार है।
  • उद्देश्य: धारा 45ZB में कहा गया है कि "मौद्रिक नीति समिति मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये आवश्यक नीति दर निर्धारित करेगी"
    • मौद्रिक नीति समिति का निर्णय बैंको के लिये बाध्यकारी होगा।
  • रचना: धारा 45ZB के अनुसार एमपीसी में 6 सदस्य होंगे:
    • RBI गवर्नर इसके पदेन अध्यक्ष के रूप में।
    • मौद्रिक नीति का प्रभारी डिप्टी गवर्नर।
    • केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित बैंक का एक अधिकारी।
    • केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त तीन व्यक्ति।
      • इस प्रक्रिया के तहत "अर्थशास्त्र या बैंकिंग या वित्त या मौद्रिक नीति के क्षेत्र में ज्ञान और अनुभव रखने वाले सक्षम व निष्पक्ष व्यक्तियों" की नियुक्ति की जाएगी।

विगत वर्षों के प्रश्न

प्रश्न. मौद्रिक नीति समिति (MPC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)

1. यह आरबीआई की बेंचमार्क ब्याज दरों को तय करती है।
2. यह आरबीआई के गवर्नर सहित 12 सदस्यीय निकाय है जिसका प्रतिवर्ष पुनर्गठन किया जाता है।
3. यह केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में कार्य करती है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) केवल 2 और 3

उत्तर: (a)



मौद्रिक नीति ढाँचा:

  • उत्पत्ति: मई 2016 में आरबीआई अधिनियम में संशोधन किया गया था ताकि देश की मौद्रिक नीतिगत ढाँचे को संचालित करने के लिये केंद्रीय बैंक को विधायी जनादेश प्रदान किया जा सके।
  • उद्देश्य: ढाँचे का उद्देश्य वर्तमान और विकसित व्यापक आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर नीतिगत (रेपो) दर निर्धारित करना तथा रेपो दर पर या उसके आस-पास मुद्रा बाज़ार दरों को स्थिर करने के लिये तरलता में सुधार करना है।
  • नीति दर के रूप में रेपो दर का कारण: रेपो दर में परिवर्तन मुद्रा बाज़ार के माध्यम से संपूर्ण वित्तीय प्रणाली में संचारित होता है, जो बदले में समग्र मांग को प्रभावित करता है।
    • इस प्रकार यह मुद्रास्फीति और विकास का एक प्रमुख निर्धारक है।

आरबीआई के विभिन्न नीतिगत दृष्टिकोण

अकोमोडेटिव (उदार)

  • एक उदार रुख का मतलब है कि केंद्रीय बैंक आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये मुद्रा आपूर्ति का विस्तार करने हेतु निर्णय लेता है।
  • केंद्रीय बैंक, एक उदार नीति अवधि के दौरान ब्याज दरों में कटौती करता है तथा दर में वृद्धि से इनकार करता है।
  • जब विकास को नीतिगत समर्थन की आवश्यकता होती है तथा मुद्रास्फीति तत्काल चिंता का विषय नहीं रहता है तब केंद्रीय बैंक द्वारा आमतौर पर एक समायोजन नीति अपनाई जाती है

तटस्थ

  • एक 'तटस्थ रुख' से पता चलता है कि केंद्रीय बैंक या तो दर में कटौती कर सकता है या दर बढ़ा सकता है।
  • यह रुख आमतौर पर तब अपनाया जाता है जब नीतिगत प्राथमिकता मुद्रास्फीति और विकास दोनों मामलों में समान होती है।
  • मार्गदर्शन या इंगित करता है कि बाज़ार किसी भी समय किसी भी तरह से दर में परिवर्तन हेतु कार्रवाई कर सकता है।

हॉकिश नीति

  • इस प्रकार यह संकेत मिलता है कि केंद्रीय बैंक की सर्वोच्च प्राथमिकता मुद्रास्फीति को कम रखना है।
  • ऐसे चरण के दौरान केंद्रीय बैंक मुद्रा आपूर्ति पर अंकुश लगाने और इस तरह मांग को कम करने के लिये ब्याज दरों में वृद्धि करने को तैयार रहता है।
  • यह नीति भी सख्त मौद्रिक नीति का संकेत देती है।
  • जब केंद्रीय बैंक दरें बढ़ाता है या कठोर मौद्रिक नीति अपनाता है, तो बैंक भी उधारकर्त्ताओं के लिये ऋण पर अपनी ब्याज दर में वृद्धि करते हैं, जो वित्तीय प्रणाली में मांग को सीमित करता है।

कैलिब्रेटेड नीति

  • कैलिब्रेटेड नीति का मतलब है कि मौजूदा दर चक्र के दौरान रेपो दर में कटौती तालिका से बाहर है।
  • हालाँकि दरों में वृद्धि एक कैलिब्रेटेड तरीके से होगी।
  • इसका मतलब यह है कि केंद्रीय बैंक हर नीति बैठक के दौरान दर में वृद्धि नहीं करता है, लेकिन समग्र नीतिगत रुख दर वृद्धि की ओर झुका हुआ है।
  • यदि स्थिति उचित हो तो यह नीति बैठकों के बाहर भी हो सकती है।

विगत वर्षों के प्रश्न 

प्रश्न. यदि भारतीय रिज़र्व बैंक एक विस्तारवादी मौद्रिक नीति अपनाने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा? (2020)

1. वैधानिक तरलता अनुपात में कटौती और अनुकूलन
2. सीमांत स्थायी सुविधा दर में बढ़ोतरी
3. बैंक रेट और रेपो रेट में कटौती

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस