बाज़ार हस्तक्षेप मूल्य योजना

चर्चा में क्यों?

जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा उत्पन्न प्रतिरोध के कारण इस वर्ष सेब का निर्यात बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

  • सरकार, राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (Agriculture Cooperative Marketing Federation of India- NAFED) की सहायता से बाज़ार हस्तक्षेप मूल्य योजना (Market Intervention Price Scheme- MISP) के तहत इस सीज़न में लगभग 12 लाख मीट्रिक टन सेब की खरीद करने की योजना बना रही है।

बाज़ार हस्तक्षेप मूल्य योजना

(Market Intervention Price Scheme- MISP)

  • MIP बाज़ार मूल्य में गिरावट की स्थिति में खराब होने वाले खाद्यान्नों और बागवानी वस्तुओं की खरीद के लिये राज्य सरकारों के अनुरोध पर लागू की जाने वाली एक मूल्य समर्थन प्रणाली है।
  • यह योजना तब कार्यान्वित की जाती है जब सामान्य वर्ष की तुलना में उत्पादन में कम-से-कम 10% वृद्धि होती है या पिछले सामान्य वर्ष की तुलना में 10% की कमी होती है।
  • MIP, खाद्यान्न जिंसों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य आधारित खरीद तंत्र के समान ही कार्य करता है लेकिन यह एक अस्थायी तंत्र (Adhoc Mechanism) है।
  • इसका प्रयोग बागवानी/कृषि जिंसों के उत्पादों की कीमतों में आई कमी के दौरान विपरीत स्थिति से बचाने के लिये किया जाता है। इस प्रकार यह उत्पादन और कीमतों में आई गिरावट की स्थिति में किसानों को पारिश्रमिक मूल्य प्रदान करता है।
  • राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की सरकार के विशेष अनुरोध पर MIP के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी जाती है, यदि राज्य/केंद्रशासित प्रदेश की सरकार नुकसान का 50% (पूर्वोत्तर राज्यों के मामले में 25%) खर्च करने के लिये तैयार है।
  • इसके अलावा नुकसान की राशि की सीमा कुल सरकारी खरीद के 25% हिस्से तक सीमित है, जिसमें ऊपरी व्यय के अतिरिक्त खरीदे गए जिंसों की लागत भी शामिल है।

MIS का क्रियान्वयन:

  • कृषि और सहकारिता विभाग (Department of Agriculture & Cooperation) इस योजना को लागू कर रहा है।
  • इस योजना के तहत राज्यों को धन आवंटित नहीं किया जाता है।
  • MIP के दिशा-निर्देशों के अनुसार, पहले नुकसान का हिस्सा राज्य और केंद्रशासित प्रदेश की सरकारों को जारी किया जाता है, जिसके बाद उनसे प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर MIP को मंज़ूरी प्रदान की जाती है।

खरीद (Procurement):

  • इस योजना के तहत, एक निश्चित बाज़ार हस्तक्षेप मूल्य पर पूर्व निर्धारित मात्रा में खरीद केंद्रीय एजेंसी नाफेड (NAFED) और राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट एजेंसियों के माध्यम से की जाती है।

नाफेड (NAFED यानी नेशनल एग्रीकल्चरल कोआपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया को वर्ष 1958 में कृषि उत्पादों के सहकारी विपणन के लिये स्थापित किया गया था। यह तिलहन तथा दलहन की न्यूनतम मूल्य पर खरीद हेतु मूल्य समर्थन योजना (PSS) के लिये केंद्रीय नोडल एजेंसी है।

  • इस योजना के संचालन का क्षेत्र (Area Of Operation) केवल संबंधित राज्य तक ही सीमित रहता है।
  • सेब, माल्टा, लहसुन, संतरा, गलगल (Galgal), अंगूर, मशरूम, लौंग, काली मिर्च, अनानास, अदरक, लाल-मिर्च और धनिया बीज (Coriander Seed) आदि वस्तुओं को MIP के तहत शामिल किया गया है।

स्रोत: द हिंदू