लॉजिस्टिक प्रदर्शन सूचकांक 2023

प्रिलिम्स के लिये:

लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (LPI), राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP), पीएम गति शक्ति पहल।

मेन्स के लिये:

पीएम गति शक्ति, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति का महत्त्व, आर्थिक विकास के लिये बुनियादी ढाँचे में निवेश का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

विश्व बैंक द्वारा जारी किये गए लॉजिस्टिक प्रदर्शन सूचकांक (LPI) 2023 में 139 देशों के सूचकांक में भारत अब 38वें स्थान पर है।

  • वर्ष 2018 और 2014 में भारत क्रमशः 44वें और 54वें स्थान पर था। अतः प्रगति के संदर्भ में वर्तमान में भारत की रैंक काफी बेहतर है।
  • इससे पहले वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने लॉजिस्टिक्स ईज़ अक्रॉस डिफरेंट स्टेट्स (LEADS) रिपोर्ट 2022 जारी की थी।

लॉजिस्टिक प्रदर्शन सूचकांक:

  • LPI विश्व बैंक समूह द्वारा विकसित एक इंटरैक्टिव बेंचमार्किंग टूल है।
    • यह देशों को व्यापार लॉजिस्टिक के प्रदर्शन में आने वाली चुनौतियों और अवसरों की पहचान करने में मदद करता है।
  • यह विश्वसनीय आपूर्ति शृंखला कड़ियों और इसे सक्षम करने वाले मूलभूत घटकों को स्थापित करने की सुलभता का आकलन करता है। लॉजिस्टिक की प्रभावशीलता का आकलन 6 कारकों के आधार पर किया जाता है:
    • सीमा शुल्क प्रदर्शन
    • आधारभूत संरचना की गुणवत्ता
    • शिपमेंट की सुलभ व्यवस्था
    • लॉजिस्टिक सेवाओं की गुणवत्ता
    • प्रेषित वस्तु की ट्रैकिंग और अनुरेखण
    • शिपमेंट की समयबद्धता
  • विश्व बैंक ने वर्ष 2010 से 2018 तक प्रत्येक दो वर्ष में LPI जारी किया, जिसमें कोविड-19 महामारी और सूचकांक पद्धति में संशोधन के कारण वर्ष 2020 में देरी हुई। रिपोर्ट अंततः वर्ष 2023 में प्रकाशित की गई।
    • पहली बार LPI में 2023 शिपमेंट पर नज़र रखने वाले बड़े डेटाबेस से उत्पन्न मेट्रिक्स का उपयोग करके व्यापार की गति का विश्लेषण किया गया है, जिससे 139 देशों में तुलना की जा सकती है।

भारत द्वारा बेहतर लॉजिस्टिक प्रदर्शन हेतु अपनाई गई नीति:

  • नीतिगत हस्तक्षेप:
    • PM गति शक्ति पहल: अक्तूबर 2021 में सरकार ने PM गति शक्ति पहल की घोषणा की, जो मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी हेतु एक राष्ट्रीय मास्टर प्लान है।
      • इस पहल का उद्देश्य लॉजिस्टिक लागत को कम करना और वर्ष 2024-25 तक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है।
    • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति (National Logistics Policy- NLP): प्रधानमंत्री ने वर्ष 2022 में राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति (NLP) की शुरुआत की, ताकि अंतिम छोर तक समयबद्ध वितरण, परिवहन संबंधी चुनौतियों का अंत, विनिर्माण क्षेत्र हेतु समय और धन की बचत एवं लॉजिस्टिक क्षेत्र में वांछित गति सुनिश्चित की जा सके।
    • ये नीतिगत हस्तक्षेप लाभदायक हैं, जिन्हें LPI और इसके अन्य मापदंडों में भारत की निरंतर प्रगति में देखी जा सकती है।
  • बुनियादी ढाँचे में सुधार:
    • LPI रिपोर्ट के अनुसार, भारत का बुनियादी ढाँचा स्कोर वर्ष 2018 में 52वें स्थान से पाँच स्थान बढ़कर वर्ष 2023 में 47वें स्थान पर पहुँच गया।
    • सरकार ने व्यापार से संबंधित सॉफ्ट और हार्ड इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश किया है जो दोनों तटों पर स्थित पोर्ट गेटवे को देश के आंतरिक क्षेत्रों में स्थित प्रमुख आर्थिक केंद्रों से जोड़ता है।
      • इस निवेश से भारत को लाभ हुआ है और अंतर्राष्ट्रीय परिवहन में भारत वर्ष 2018 के 44वें स्थान से वर्ष 2023 में 22वें स्थान पर पहुँच गया है।
  • प्रौद्योगिकी की भूमिका:
    • भारत की रसद आपूर्ति के सुधार में प्रौद्योगिकी एक महत्त्वपूर्ण घटक रही है।
    • सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत सरकार ने एक आपूर्ति शृंखला दृश्यता मंच लागू किया है, जिसने आपूर्ति में लगने वाले अधिक समय में उल्लेखनीय कमी लाने में योगदान दिया है।
      • NICDC लॉजिस्टिक्स डेटा सर्विसेज़ लिमिटेड कंटेनरों पर रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टैग लागू करता है जिससे रसद आपूर्ति शृंखला के दौरान एंड-टू-एंड ट्रैकिंग की जाती है।
    • रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण के कारण भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाएँ विकसित देशों को पीछे छोड़ रही हैं।
  • ड्वेल टाइम में कमी:
    • ड्वेल टाइम यानी जहाज़ किसी विशिष्ट बंदरगाह या टर्मिनल पर कितना समय व्यतीत करता है। यह उस समय को भी संदर्भित करता है जो एक कंटेनर या कार्गो को जहाज़ पर लादे जाने से पहले या जहाज़ से उतारने के बाद एक बंदरगाह या टर्मिनल पर ठहराव में व्यतीत होता है।
      • भारत का बहुत कम ड्वेल टाइम (2.6 दिन) इस बात का एक उदाहरण है कि कैसे देश ने अपनी आपूर्ति के प्रदर्शन में सुधार किया है।
    • रिपोर्ट के अनुसार, भारत और सिंगापुर के लिये मई एवं अक्तूबर 2022 के बीच कंटेनरों के औसत ठहराव का समय 3 दिन था, जो कि कुछ औद्योगिक देशों की तुलना में काफी बेहतर है।
      • अमेरिका के लिये ठहराव का समय 7 दिन था और जर्मनी हेतु यह 10 दिन था।
    • कार्गो ट्रैकिंग की शुरुआत के साथ विशाखापत्तनम के पूर्वी बंदरगाह में ठहराव का समय वर्ष 2015 में 32.4 दिनों से घटकर वर्ष 2019 में 5.3 दिन हो गया।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. अधिक तीव्र और समावेशी आर्थिक विकास के लिये बुनियादी अवसंरचना में निवेश आवश्यक है।” भारत के अनुभव के आलोक में चर्चा कीजिये। (वर्ष 2021)

स्रोत: द हिंदू