समुद्री सुरक्षा पर समझौता

चर्चा में ?

हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO और उसके समकक्ष फ्राँसीसी अंतरिक्ष एजेंसी CNES ने भारत में एक संयुक्त समुद्री निगरानी प्रणाली स्थापित करने के लिये समझौते पर मुहर लगाई।

प्रमुख बिंदु

  • दोनों राष्ट्र पृथ्वी की निम्न कक्षा में परिक्रमा करने वाले उपग्रहों का समूह स्थापित करेंगे जो वैश्विक स्तर (विशेष रूप से हिंद महासागर का वह क्षेत्र जहाँ फ्राँस का रीयूनियन द्वीप स्थित है) पर जहाज़ों के आवागमन की निगरानी करेंगे।
  • इस प्रक्रिया के तहत सबसे पहले दोनों देश अपने वर्तमान अंतरिक्ष प्रणालियों से प्राप्त आँकड़ों को आपस में साझा करेंगे और उनका विश्लेषण करने के लिये नए एल्गोरिदम (Algorithms) विकसित करेंगे।
  • ISRO और CNES दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के अध्यक्षों ने समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए बताया कि CNES-ISRO समझौते का मुख्य उद्देश्य हिंद महासागर में जहाजों का पता लगाने, पहचान करने और उनकी निगरानी के लिये एक संचालन प्रणाली की स्थापना इसी वर्ष मई में स्थापित करना है।
  • कार्यक्रम के अगले चरण के लिये दोनों देश संयुक्त रूप से बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिये कार्यरत हैं। CNES अपने औद्योगिक भागीदारों और ISRO के साथ बेहतर तकनीकी समाधान खोजने के लिये काम कर रहा है।
  • दोनों एजेंसियों ने दो जलवायु और महासागर मौसम निगरानी उपग्रहों - 2011 में स्थापित मेघा-ट्रोपिक्स (Megha-Tropiques-2011)और 2013 में स्थापित सरल-अल्टिका (SARAL-AltiKa-2013) को एक मॉडल के तौर पर माना है।
  • CNES के अनुसार, इस बेड़े को 2020 में ओशनसैट-3-आर्गोस मिशन (Oceansat-3-Argos mission) के साथ लॉन्च किया जाएगा।

नेशनल सेंटर फॉर स्पेस स्टडीज़ (CNES)

  • CNES फ्राँस सरकार की आधिकारिक अंतरिक्ष एजेंसी है।
  • इसका मुख्यालय सेंट्रल पेरिस में स्थित है और यह फ्रेंच मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस एंड रिसर्च की देखरेख में कार्य करता है।
  • इसकी स्थापना 1961 में हुई थी।

भारतीय संदर्भ में समुद्र तथा समुद्री मार्गों का महत्त्व

  • भारत का विशाल प्रायद्वीप और इसके चारों ओर फैली हुई द्वीपीय श्रृंखला की सामरिक अवस्थिति के कारण यह क्षेत्र समुद्री सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
  • भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 90%(मात्रा में) तथा 70% (मूल्य के आधार पर) समुद्री मार्ग से संचालित होता है। अतः भारत की सुरक्षा रणनीति में समुद्री सुरक्षा एक महत्त्वपूर्ण अवयव है।

भारतीय समुद्री सुरक्षा के समक्ष चुनौतियाँ-

  • संगठित अपराध- समुद्री रास्तों से की जाने वाली हथियारों, नशीले पदार्थों और मानवों की तस्करी संगठित अपराध के रूप में एक बड़ी समुद्री सुरक्षा चुनौती है।
  • समुद्री लूट- अरब सागर के क्षेत्र में सोमालियाई लुटेरों से भारतीय व्यापारिक जहाज़ों को सदैव खतरा बना रहता है।
  • समुद्री मार्ग से आतंकवाद का दंश भी भारत झेल चुका है। 26/11 का मुंबई हमला, भारतीय समुद्री सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न पहले ही खड़े कर चुका है।
  • सुनामी तथा चक्रवातों जैसी प्राकृतिक आपदाएँ और तेल रिसाव जैसी मानव जनित आपदाएँ भी समुद्री सुरक्षा के लिये चुनौती है।