भारतीय कृषि को बदलने हेतु इज़राइल प्रौद्योगिकी

चर्चा में क्यों?

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है, परंतु हाल के कुछ वर्षों से भारतीय कृषि क्षेत्र को कम उत्पादकता, संसाधनों की कमी और अनियमित मौसम जैसी विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

  • वर्तमान में कृषि क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती पानी की उपलब्धता है। कृषि क्षेत्र द्वारा सबसे अधिक ताजे पानी की निकासी की जाती है। भारत में लगभग 84-85 प्रतिशत पानी का उपयोग केवल कृषि क्षेत्र द्वारा ही किया जाता है।

 

भारत एवं इज़राइल की संयुक्त सहभागिता

  • भारत और इज़राइल की कृषि में बहुत मज़बूत भागीदारी है। भारत-इज़राइल कृषि परियोजना के तहत, भारत के विभिन्न राज्यों में उत्कृष्टता केन्द्र स्थापित किये गए। ये उत्कृष्टता केन्द्र भारत में कृषि समुदाय को माइक्रो सिंचाई प्रणाली जैसी नवीनतम तकनीकों को अपनाने में मदद कर रहे हैं। 
  • ड्रिप टेक्नोलॉजी के महत्त्व को मद्देनज़र रखते हुए केंद्रीय और राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2003 में “सूक्ष्म सिंचाई पर टास्क फोर्स” के गठन को मान्यता दी गई। 
  • इतना ही नहीं सरकार द्वारा एन.एम.एम.आई. (National Mission on Micro Irrigation - NMMI) जैसे निकायों के माध्यम से माइक्रो सिंचाई प्रणाली हेतु सब्सिडी को भी विस्तारित किया जा रहा है ताकि बड़े पैमाने पर किसानों को ड्रिप सिंचाई के लिये प्रोत्साहित किया जा सके। 
  • यही कारण है कि केंद्र सरकार की नई पहल के तहत सूक्ष्म सिंचाई क्षेत्र को प्रोत्साहित किये जाने से कृषि उत्पादकता में वृद्धि देखने को मिली है।  

इज़राइल के उदाहरण से सीखने की ज़रूरत

  • सामान्य तौर पर पानी के उपयोग (विशेष रूप से कृषि क्षेत्र में) के संबंध में इज़राइल दुनिया के सबसे बेहतरीन उदाहरणों में से एक है। इज़राइल की सूक्ष्म सिंचाई पद्धति का विश्व भर में प्रयोग किया जा रहा है। 
  • वस्तुतः कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई एक ऐसी तकनीक के रूप में प्रस्तुत हुई जिसने भारतीय कृषि का चेहरा ही बदल दिया।
  • हालाँकि, बड़े पैमाने पर स्मार्ट सिंचाई समाधानों को अपनाने तथा सभी के लिये माइक्रो सिंचाई सुविधा को उपलब्ध कराने के लिये सरकार द्वारा किये गए कार्यों को और अधिक आक्रामक बनाए जाने की आवश्यकता है।
  • इसके लिये ज़रूरी है कि किसानों को प्रदान की जाने वाली सब्सिडी प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाया जाना चाहिये। 

भारतीय किसानों हेतु इज़राइली जल प्रबंधन प्रौद्योगिकी का प्रयोग

  • जल प्रबंधन, अलवणीकरण एवं रिसाइक्लिंग तकनीकों के क्षेत्र में भली-भाँति स्थापित इज़राइल द्वारा सिंचाई हेतु अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग करने के लिये एक टेम्पलेट सेट विकसित किया गया है। 
  • यह इज़राइल के तकरीबन 80 प्रतिशत घरेलू अपशिष्ट जल को उपचारित करता है, जिसका कृषि उपयोग हेतु पुनर्नवीनीकरण किया जाता है। यह कृषि के लिये उपयोग किये जाने वाले कुल पानी का लगभग 50 प्रतिशत भाग होता है।
  • पानी के अपव्यय को कम करने के लिये ड्रिप सिंचाई कई विकसित देशों के किसानों द्वारा उपयोग किये जाने वाले सबसे प्रभावी रूपों में से एक है। 
  • इज़राइली कृषि प्रौद्योगिकियों के सहयोग से जहाँ एक ओर भारतीय किसानों हेतु किफायती दामों पर सबसे उन्नत नवाचार उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी वहीं दूसरी ओर भारत सरकार की "मेक इन इंडिया" जैसी महत्त्वाकांक्षी पहल को भी बढ़ावा मिलेगा।  

 

ड्रिप सिंचाई

  • ड्रिप सिंचाई पद्धति सिंचाई की उन्नत पद्धति होती है। इस पद्धति के प्रयोग द्वारा सिंचाई जल की पर्याप्त बचत होने के साथ-साथ खाद की भी बचत होती है।  इस पद्धति के अंतर्गत पानी को बूँद-बूँद करके कई अलग-अलग पौधों की जड़ों तक पहुँचाया जाता है, इसे टपक सिंचाई अथवा बूँद-बूँद सिंचाई भी कहा जाता है।

  • परम्परागत सिंचाई के तहत जल का सही रूप में उपयोग नहीं हो पाता है, इसका कारण यह है कि जो पानी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुँचना चाहिये, उसमें से कुछ का वाष्पीकरण हो जाता है और कुछ जल रिस कर जमीन में वापस चला जाता है। स्पष्ट रूप से सिंचाई के लिये अधिक मात्रा में जल की आवश्यकता होती है।
  • लाभ : 

♦ इससे फसलों की पैदावर बढ़ती है।
♦ खाद का इस्तेमाल कम होता ह, जिसके कारण उच्च गुणवत्तापूर्ण फसल का उत्पादन होता है।
♦ जल के साथ-साथ मृदा के विक्षालन एवं अप्रवाह में कमी आती है।
♦ जल की बचत जैसे बहुत से लाभ हैं।