समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देगा सूचना संलयन केंद्र

चर्चा में क्यों?


भारतीय नौसेना औपचारिक रूप से हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region- IOR) के लिये सूचना संलयन केंद्र (Information Fusion Centre- IFC) की शुरुआत करने को तैयार है।

  • इस केंद्र के माध्यम से समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये हिंद महासागरीय देशों के साथ व्हाइट शिपिंग (white shipping) या वाणिज्यिक शिपिंग संबंधी जानकारी का आदान-प्रदान किया जाएगा।
  • IFC-IOR की स्थापना इस क्षेत्र के लिये समुद्री सूचना केंद्र के रूप में कार्य करके क्षेत्र में और उससे परे समुद्री सुरक्षा को मज़बूत करने के दृष्टिकोण से की गई है।

IFC के बारे में

  • IFC की स्थापना गुरुग्राम में नौसेना के सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र (Information Management and Analysis Centre- IMAC) में की गई है।
  • भारत के साथ पहले से ही व्हाइट शिपिंग सूचना विनिमय समझौतों (white shipping information exchange agreements) पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में लगभग 21 देश IFC साझेदार हैं।
  • शुरुआत में सूचनाओं का आदान-प्रदान वर्चुअल माध्यम- टेलीफोन कॉल, फैक्स, ई-मेल और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा किया जाएगा। इसके बाद बेहतर इंटरकनेक्शन और समय पर प्राप्त सूचनाओं के त्वरित विश्लेषण के लिये, IFC-IOR में दूसरे देशों के संपर्क अधिकारी भी तैनात किये जाएंगे।

महत्त्व

  • भारत के साथ व्हाइट शिपिंग सूचना विनिमय समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले सभी देश अब IFC में अपने संपर्क अधिकारी नियुक्त कर सकते हैं।
  • इसके अतिरिक्त यह केंद्र समुद्री सूचना संग्रह और साझाकरण में समुद्री अभ्यास और प्रशिक्षण संबंधी जानकारियों का संग्रहण भी करेगा।
  • IFC-IRO की स्थापना से पूरे क्षेत्र में आपसी सहयोग और सूचना का आदान-प्रदान सुनिश्चित होगा इसके अलावा यह क्षेत्र में व्याप्त चिंताओं और खतरों को समझने में भी सहायक होगा।
  • IFC-IOR एक अलग मंच है जिसमें हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (Indian Ocean Naval Symposium- IONS) के सभी सदस्यों के भाग लेने की उम्मीद है। 2008 में लॉन्च IONS, हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सहयोग बढ़ाने की मांग करता है।

ट्रांस-रीजनल मैरीटाइम नेटवर्क (Trans-Regional Maritime Network, T-RMN)

  • हाल ही में भारत ने ट्रांस-रीजनल मैरीटाइम नेटवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • इस बहुपक्षित समझौते में 30 देश शामिल हैं तथा इस नेटवर्क का संचालन इटली (Italy) द्वारा किया जाता है।
  • यह समझौता समुद्रों में होने वाली वाणिज्यिक यातायात संबंधी गतिविधियों के बारे में सूचनाओं के विनिमय की सुविधा प्रदान करता है।

सूचनाओं के आदान-प्रदान की प्रक्रिया

  • सूचनाएँ प्राथमिक रूप से स्वचालित पहचान प्रणाली (Automatic Identification System- AIS) के ज़रिये प्राप्त होती हैं। उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन के दिशा-निर्देशों के अनुसार सकल रूप से 300 टन से अधिक वज़न वाले पंजीकृत व्यापारिक जहाजों पर स्वचालित पहचान प्रणाली (AIS) लगाना अनिवार्य है।
  • AIS सूचना में नाम, MMSI संख्या, स्थिति, जलमार्ग, गति, अंतिम बंदरगाह का दौरा, गंतव्य आदि शामिल होते हैं।
  • इस जानकारी को तटीय AIS श्रृंखला और उपग्रह आधारित रिसीवर सहित विभिन्न AIS सेंसर के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।

IMAC

  • समुद्री सुरक्षा पर निगरानी तंत्र को मज़बूत करने के लिये वर्ष 2014 में सूचना प्रबंधन एवं विश्लेषण केंद्र की स्थापना की गई थी।
  • यह नेशनल कमांड कंट्रोल कम्युनिकेशन एंड इंटेलिजेंस नेटवर्क (National Command Control Communication and Intelligence Network) की नोडल संस्था है।
  • IMAC भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड की संयुक्त पहल है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor- NSA) के अधीन कार्य करता है।

नेशनल कमांड कंट्रोल कम्युनिकेशन एंड इंटेलिजेंस नेटवर्क
(National Command Control Communication and Intelligence Network- NC3IN)

  • भारतीय नौसेना ने नोडल सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र (IMAC) के साथ, नौसेना के 20 और तटरक्षक बल के 31 स्टेशनों सहित कुल 51 स्टेशनों को जोड़ने वाले NC3IN की स्थापना की है।
  • NC3IN सभी तटीय रडार (RADAR) श्रृंखलाओं को जोड़ने वाला एकल बिंदु केंद्र है और लगभग 7,500 किलोमीटर लंबी समुद्र तट की एक समेकित तथा वास्तविक स्थिति को प्रदर्शित करता है।

स्रोत : द हिंदू