भारत फार्मा और भारत चिकित्‍सा उपकरण 2018

चर्चा  में क्यों?
15 से 17 फरवरी के बीच बंगलूरू में रसायन एंव उर्वरक मंत्रालय के अधीन औषधि विभाग (Department of Pharmaceuticals) द्वारा भारतीय वाणिज्‍य एवं उद्योग महासंघ (Federation of Indian Chambers of Commerce & Industry - FICCI) के साथ मिलकर ‘भारत फार्मा और चिकित्‍सा उपकरण 2018’ (India Pharma & India Medical Device 2018) सम्‍मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

विषय

  • इस सम्मेलन का विषय 'सस्ती और गुणवत्‍ता युक्‍त स्‍वास्‍थ्‍य सेवा' (Affordable and Quality Healthcare) है।

प्रमुख बिंदु 

  • अपनी तरह का यह तीसरा अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन है।
  • ‘ड्राइविंग नेक्स्ट जेन फार्मास्यूटिकल्स' (Driving NextGen Pharmaceuticals) विषय पर आधारित यह सम्‍मेलन भविष्य में उन्‍नत किस्‍म की दवाओं अर्थात् बायोलॉजिक्स के विकास की दिशा में एक सकारात्मक कदम साबित होगा 
  • साथ ही यह भारत में फार्मास्यूटिकल क्षेत्र के समग्र विकास को भी उत्प्रेरित करने का काम करेगा।
  • इस सम्‍मेलन में फार्मा उद्योग से जुड़ी सरकारी नीतियों तथा उद्योग के समक्ष मौजूद चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
  • यह सम्‍मेलन फार्मा और चिकित्‍सा उपकरण क्षेत्र के प्रमुख हितधारकों को एक मंच प्रदान करते हुए इस दिशा में प्रभावी कार्य करने के लिये प्रोत्साहित करेगा।
  • इस सम्‍मेलन के दौरान विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन फार्मा उद्योग के लिये विनियामक प्रणाली को मज़बूत बनाने और उसके लिये मानक तय करने को लेकर एक कार्यशाला का भी आयोजन किया जाएगा।
  • तीन दिवसीय इस सम्‍मेलन के दौरान तीन तकनीकी सत्रों का भी आयोजन किया जाएगा। 
  • इन सत्रों में भारत में नई दवाओं की खोज, चिकित्‍सा उपकरणों के क्षेत्र में भारत को एक वैश्विक आपूर्ति देश बनाने, भविष्‍य हेतु दवाओं को विकसित करने के लिये नियामक आवश्‍यकताओं से जुड़े अवसरों और चुनौतियों, स्‍तंभ कोशिकाओं और रिजनरेटिव मेडिसन के क्षेत्र में संभावनाओं और चुनौतियों, स्‍व-देखभाल के क्षेत्र में उभरते नए रुझानों तथा भारतीय स्‍वास्‍थ्‍य सेवा प्रणाली के लिये ओटीसी नियामक फ्रेमवर्क की प्रासंगिकता पर चर्चा की जाएगी।
  • इसके अतिरिक्त इसमें मेक इन इंडिया तथा एपीआई के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ने पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।

भारतीय वाणिज्‍य एवं उद्योग महासंघ

  • यह भारत का सबसे बड़ा एवं सबसे पुराना व्यावसायिक संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1927 में गांधी जी की सलाह पर घनश्यामदास बिड़ला तथा पुरुषोत्तमदास ठाकुरदास के द्वारा की गई थी। 
  • यह एक गैर-सरकारी एवं गैर-लाभकारी संगठन है, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में अवस्थित है। 

उद्देश्य

  • इसका प्रमुख उद्देश्य भारतीय उद्योगों की दक्षता एवं इनकी वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना है। साथ ही, यह विशेष सेवाओं एवं वैश्विक संबंधों की एक श्रृंखला के माध्यम से घरेलू एवं विदेशी बाज़ारों में व्यापार के अवसरों के विस्तार का कार्य भी करता है। 

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना 

  • प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पी.एम.बी.जे.पी.) भारत सरकार के ‘रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय’ के अंतर्गत कार्यरत ‘फार्मास्यूटिकल्स विभाग’ द्वारा प्रारंभ की गई है।
  • इसका लक्ष्य ‘प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र’ के माध्यम से देश की जनता को सस्ती एवं गुणवत्ता युक्त दवाइयाँ प्रदान करना है।  
  • इन जन औषधि केन्द्रों को गुणवत्ता एवं प्रभावकारिता में महँगी ब्रांडेड दवाओं के समतुल्य जेनेरिक दवाइयों को कम कीमत पर उपलब्ध कराने के लिये स्थापित किया गया है।
  • इस परियोजना का मूल उद्देश्य है- “Quality Medicines at Affordable Prices for All”।
  • इस योजना के उत्पाद बास्केट का विस्तार कर इसमें 652 दवाओं और 154 सर्जिकल एवं उपभोग्य पदार्थों को शामिल किया गया है, जिसमें सभी चिकित्सीय श्रेणियों जैसे कि संक्रमण रोधी, मधुमेह रोधी, हृदय रोग संबंधी, कैंसर रोधी, जठरांत्र संबंधी दवाओं इत्यादि को कवर किया गया है।

राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण 
National Pharmaceutical Pricing Authority (NPPA)

  • हाल ही में एनपीपीए द्वारा डीपीसीओ [Drugs (Prices Control) Order –DPCO], 2013 के तहत अनुसूची एक में निहित आवश्यक दवाओं के अधिकतम मूल्य वाले प्रावधान को संशोधित किया गया है। 
  • उन दवाओं के संदर्भ में जो कि कीमत नियंत्रण के अधीन नहीं हैं, निर्माताओं को अधिकतम खुदरा मूल्य 10% सालाना बढ़ाने की अनुमति दी गई है। 
  • एनपीपीए भारत सरकार का एक संगठन है जिसे थोक दवाओं और फॉर्मूलों की कीमतों को व्यवस्थित करने/संशोधित करने और दवा (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 1995 के तहत देश में दवाइयों की कीमतों और इनकी उपलब्धता को बनाए रखने के लिये स्थापित किया गया था। 

प्रमुख कार्य

  • इसका कार्य दवा (मूल्य नियंत्रण) आदेश के प्रावधानों को कार्यान्वित करना और उन्हें लागू करना है। 
  • प्राधिकरण के निर्णय से उत्पन्न सभी कानूनी मामलों का निपटान करना। 
  • दवाओं की उपलब्धता पर नज़र रखना, दवाओं की कमी की स्थिति का अवलोकन करना तथा आवश्यक कदम उठाना। थोक दवाओं और फॉर्मूलों के उत्पादन, निर्यात और आयात, कंपनियों की बाज़ार में हिस्सेदारी, मुनाफे आदि के संबंध में आँकड़ों को एकत्रित करना/व्यवस्थित करना। 
  • दवाओं/फार्मास्यूटिकल्स के मूल्य निर्धारण के संबंध में संबंधित अध्ययनों को आयोजित करना।
  • सरकार द्वारा निर्धारित नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार प्राधिकरण के अधिकारियों और अन्य सदस्यों की भर्ती/नियुक्ति करना। 
  • दवा नीति में परिवर्तन/संशोधन पर केंद्र सरकार को सलाह देना। 
  • नशीली दवाओं के मूल्य से संबंधित संसदीय मामलों में केंद्र सरकार को सहायता प्रदान करना।