भारत-नॉर्वे द्वारा समुद्री प्रदूषण से निपटने हेतु पहल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में देश के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forests and Climate Change) तथा नॉर्वे के विदेश मंत्रालय (Norwegian ministry of Foreign Affairs) ने संयुक्त रूप से भारत-नॉर्वे समुद्री प्रदूषण पहल (India-Norway Marine Pollution Initiative) के लिये एक समझौते पर हस्‍ताक्षर किये।


महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • जनवरी 2019 में भारत और नॉर्वे की सरकारों द्वारा महासागरीय क्षेत्रों में मिलकर कार्य करने के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किया गया।

  • जनवरी में नॉर्वे के प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान भारत-नॉर्वे महासागर संवाद (India-Norway Ocean Dialogue) स्थापित किया गया।
  • ब्लू इकोनॉमी (Blue Economy) के बारे में सरकारी अधिकारियों, अनुसंधानकर्त्ताओं और विशेषज्ञों के साथ ही निजी क्षेत्र को शामिल करके एक संयुक्‍त कार्यबल की स्‍थापना की गई है।
  • इसका उद्देश्‍य समुद्र तटीय और समुद्री क्षेत्र के अलावा ऊर्जा क्षेत्र में ब्लू इकोनॉमी का रणनीतिक स्‍थायी समाधान विकसित करना है।
  • इस भागीदारी में भारत और नॉर्वे अपने अनुभव और क्षमता को साझा करते हुए स्‍वच्‍छ एवं स्वस्‍थ महासागरीय विकास, समुद्री संसाधनों का सतत् उपयोग एवं ब्लू इकोनॉमी के विकास के प्रयासों में सहयोग करेंगे।
  • दोनों सरकारों के नेतृत्‍व के तहत की गई यह पहली संयुक्‍त पहल (भारत-नॉर्वे समुद्री प्रदूषण पहल) समुद्री प्रदूषण की समस्‍या से निपटने के लिये कार्य करेगी। जो वर्तमान में तेज़ी से बढ़ती हुई पर्यावरणीय समस्या की चिंता का विषय बन गई है।
  • इस संयुक्‍त पहल पर औपचारिक रूप से भारत में नार्वे के राजदूत और भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर सचिव द्वारा हस्‍ताक्षर किये गए हैं।

समझौते के लाभ

  • इस पहल के माध्‍यम से स्‍थायी अपशिष्‍ट प्रबंधन प्रक्रियाओं को लागू करने, समुद्री प्रदूषण के स्रोतों और संभावनाओं के बारे में जानकारी एकत्र करने एवं विश्‍लेषण करने के लिये प्रणाली विकसित करने तथा निजी क्षेत्र में निवेश में सुधार लाने हेतु स्‍थानीय सरकारों को सहायता प्रदान करने की मांग की जाएगी।
  • इस पहल से समुद्र तटों की सफाई के प्रयासों, जागरूकता बढ़ाने वाले अभियानों, सीमेंट उद्योग में कोयले की जगह प्‍लास्टिक अपशिष्‍ट को ईंधन के विकल्‍प के रूप में उपयोग करने और जमा योजनाओं के लिये ढाँचा विकसित करने में भी मदद मिलेगी।

समुद्री प्रदूषण - समुद्री प्रदूषण वह प्रदूषण है जिसमे रसायन, कण, औद्योगिक, कृषि और घरेलू कचरा, तथा आक्रामक जीव महासागर में प्रवेश करके समुद्र में हानिकारक प्रभाव उत्पन्न करते हैं। समुंद्री प्रदूषण के स्रोत अधिकांशतः  धरातलीय हैं। सामान्यतः यह प्रदूषण कृषि अपवाह या वायु प्रवाह से पैदा हुए अपशिष्ट स्रोतों के कारण होता है।


स्रोत - PIB