लिथियम-आयन (Li-ion) बैटरी उत्पादों के आयात में वृद्धि

प्रीलिम्स के लिये:

लिथियम-आयन (Li-ion) बैटरी

मेन्स के लिये:

भारत की ऊर्जा आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत द्वारा लिथियम-आयन (Li-ion) बैटरी उत्पादों का आयात बढ़कर वर्ष 2016 के स्तर का चार गुना हो गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • भारत का लिथियम-आयन बैटरी आयात बिल वर्ष 2016-2018 के दौरान बढ़कर चार गुना हो गया जबकि संबंधित उत्पादों का आयात बिल लगभग तीन गुना से अधिक हो गया।
  • मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2016 में 175 मिलियन, 2017 में 313 मिलियन, 2018 में 712 मिलियन और 1 जनवरी 2019 से 30 नवंबर 2019 तक 450 मिलियन बैटरियों का आयात किया गया।
  • इन आयातों की लागत वर्ष 2016 की 383 मिलियन डाॅलर ( 2,600 करोड़ रूपए लगभग ) से बढ़कर वर्ष 2017 में 727.24 मिलियन डाॅलर (5,000 करोड़ रूपये लगभग), 2018 में 1254.94 मिलियन डाॅलर (8,700 करोड़ रूपये लगभग ) और 2019 में बढ़कर 929 मिलियन डाॅलर (6,500 करोड़ रूपये लगभग ) हो गयी।
  • भारतीय विनिर्माता दुनिया के सबसे बड़े आयातकों में से एक हैं और वे मुख्यतया चीन, जापान और दक्षिण कोरिया से आयात करते है।

लिथियम-त्रिकोण (Lithium Triangle):

  • 'लीथियम त्रिकोण' दक्षिण अमेरिका में स्थित है, जिसमें चिली, अर्जेंटीना और बोलिविया देश शामिल हैं।
  • भारत लिथियम-आयन बैटरी संयंत्र स्थापित करने की प्रक्रिया में है।
  • लिथियम की मांग में वृद्धि को देखते हुए लिथियम त्रिकोण देशों ने भारत की बढ़ती मांग को पूरा करने की पेशकश की है।

Lithium-Triangle

भारत में लिथियम-आयन बैटरी विनिर्माण:

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ऐसी बैटरियों का विनिर्माण करता है लेकिन इसकी मात्रा सीमित हैं और वे अंतरिक्ष अनुप्रयोग के लिये प्रतिबंधित हैं।
  • जून 2018 मे केंद्रीय विद्युत रासायनिक अनुसंधान संस्थान (Central Electro Chemical Research Institute-CECRI) जो वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific & Industrial Research-CSIR) के अधीनस्थ है तथा RAASI सोलर पावर प्राइवेट लिमिटेड ने भारत की पहली लिथियम-आयन (Li-ion) बैटरी परियोजना के लिये प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिये एक समझौता ज्ञापन (Memorandum of Agreement-MoA) पर हस्ताक्षर किये।
  • ऐसी बैटरियों के स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2019 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक कार्यक्रम को मंज़ूरी दी, जिसे ‘परिवर्तनकारी गतिशीलता एवं बैटरी भंडारण पर राष्ट्रीय मिशन’ (National Mission on Transformative Mobility and Battery Storage) कहा जाता है।
  • इसका उद्देश्य स्वच्छता, साझेदारी को बढ़ावा देनी वाली और सतत् और समग्र गतिशीलता संबंधी पहलों को बढ़ावा देना है।

चीन का एकाधिकार:

  • लिथियम-आयन बैटरी बाज़ार पर चीन का एकाधिकार है। ब्लूमबर्गएनईएफ (BloombergNEF) की एक रिपोर्ट के अनुसार, बैटरी सेल निर्माण क्षमता में लगभग तीन-चौथाई हिस्सा चीन का है और साथ ही घरेलू तथा विदेशी बैटरी कच्चे माल एवं प्रसंस्करण सुविधाओं पर चीनी कंपनियों का नियंत्रण है।

भारत में मांग का पैटर्न:

  • भारत में लिथियम-आयन बैटरी की मांग वृद्धि में इलेक्ट्रिक वाहनों की महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी की होने की उम्मीद है लेकिन वर्ष 2025 तक इलेक्ट्रिक कारों की उच्च कीमत के कारण ऐसा होने की उम्मीद नहीं है।
  • दहन-इंजन आधारित (Combustion-Engine) कारों की तुलना में इलेक्ट्रिक कारों काफी महंगी हैं।
  • सरकार ने इस माँग को पूरा करने और 2040 तक भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों के सबसे बड़े विनिर्माण केंद्रों में से एक बनाने के लिए $ 1.4 बिलियन के निवेश की घोषणा की है।

आगे की राह:

  • इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन एक पूंजी गहन (Capital Intensive) क्षेत्र है जहाँ सरकारी नीतियों में अनिश्चितता इस उद्योग में निवेश को हतोत्साहित करती है अतः दीर्घकालिक स्थिर नीति बनाने की आवश्यकता है।
  • चार्जिंग स्टेशनों, ग्रिड़ स्थिरता जैसी अवसंरचनात्मक समस्याओं समाधान शीघ्र करना चाहिये।
  • भारत में लिथियम और कोबाल्ट का कोई ज्ञात भंडार नहीं है जबकि ये तत्त्व बैटरी उत्पादन के लिये आवश्यक है, अतः इनका आयात सुनिश्चित करना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू