हाइड्रोजेल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कोलकाता स्थित इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस (Indian Association for the Cultivation of Science-IACS) के शोधकर्त्ताओं ने एक नवीन हाइड्रोजेल (Hydrogels) का निर्माण किया है। यह हाइड्रोजेल विभिन्न जीवाणु नाशक गुणों (Bacteria-Killing Properties) से युक्त है।

प्रमुख बिंदु

  • इस हाइड्रोजेल का निर्माण प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले न्यूक्लियोसाइड (Nucleoside) अणु साइटीडीन (Cytidine) को सिल्वर एसीटेट (Silver Acetate) और फेनिलबोरोनिक एसिड (Phenylboronic Acid) की उपस्थिति में अन्य हाइड्रोजेल में संयोजित किया गया।
  • यह हाइड्रोजेल ग्राम-ऋणात्मक (Gram-negative) जीवाणुओं जैसे कि ई.कोली (E.coli) के प्रति जीवाणुरोधी गतिविधि का प्रदर्शन करने में सक्षम पाया गया।
  • हाइड्रोजेल में सिल्वर एसीटेट को संयोजित करने पर इसकी विषाक्तता कम हो जाती है और इसी लिये यह बैक्टीरिया संक्रमण (Bacteria।Infections) के इलाज के लिये उपयुक्त है।
  • सिल्वर की उपस्थिति में हाइड्रोजेल ई.कोली जीवाणु की कोशिका के आकार को कम करता है और इसकी कोशिका झिल्ली को नष्ट करता है जिस कारण कोशिकीय पदार्थ का रिसाव होता है।
  • सिल्वर एसीटेट युक्त हाइड्रोजेल को सामान्य गुर्दे की उपकला कोशिकाओं (Epithelia। Cells) और लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) के लिये विषाक्त नहीं पाया गया।

सिल्वर एसीटेट (Silver Acetate)

  • इसका रासायनिक सूत्र AgC2H3O2 है।
  • सिल्वर एसीटेट को जीवाणुरोधी गुणों के लिये जाना जाता है लेकिन इसकी विषाक्तता के कारण इसका चिकित्सा के क्षेत्र में (बैक्टीरिया संक्रमण को रोकने के लिये) उपयोग नहीं किया जा सकता है।

बोरोनिक एसिड (Boronic Acid)

  • हाइड्रोजेल में बोरोनिक एसिड (Boronic Acid) के संघटक को बदलकर विभिन्न जीवाणु नाशक गुणों वाले हाइड्रोजेल का बड़ी संख्या में निर्माण किया जा सकता है।

हाइड्रोजेल के भौतिक गुण

थिक्सोट्रोपिक गुण (Thixotropic Property)

इसमें यांत्रिक कंपन या क्रियाशीलता की स्थिति में जेल को सोल में परिवर्तित करने की क्षमता है। स्थिरता की दशा में यह जेल के अपने मूल स्वरूप में वापस आ जाता है।

  • कुछ जेल या तरल पदार्थ (Gels or Fluids) स्थैतिक स्थितियों में गाढ़े या चिपचिपे होते हैं परंतु कंपन या दबाव की दशा में ये तरल (कम गाढ़े एवं कम चिपचिपे) हो जाते हैं। इन पदार्थों के इस गुण को थिक्सोट्रॉपी कहा जाता है।
  • जैसे पेंट की तरलता पानी (या तेल) के वाष्पित होते ही समाप्त हो जाती है और इसकी सतह स्थिर हो जाती है।

pH-प्रतिक्रियाशील

  • हाइड्रोजेल का pH मान 3 और 6 के बीच है, जबकि अधिक अम्लीय या क्षारीय होने पर इसका pH मान अस्थिर हो जाता है।
  • हाइड्रोजेल का कम pH मान जीवाणुरोधी गतिविधियों को बढ़ाने में सहायता करता है तथा साथ ही इसके pH मान में परिवर्तन कर इसे दवा के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

सोल

(Sol)

  • यह एक कोलाइड (सतत माध्यम में बिखरे हुए बहुत महीन कणों का समुच्चय) है जिसमें ठोस कण और प्रसार माध्यम तरल होता है।
  • यदि प्रसार माध्यम पानी है तो कोलाइड को हाइड्रोसोल कहा जा सकता है और यदि यह वायु है तो इसे एक एयरोसोल कहा जा सकता है।
  • ये समय के साथ स्थिर या विखंडित नही होते हैं।
  • ये टिंडल प्रभाव (Tyndal Effect) को प्रदर्शित करते हैं।
  • टिंडल प्रभाव छोटे निलंबित कणों से प्रकाश की किरण के प्रकीर्णन की घटना है। किसी कमरे में एक खिड़की से प्रवेश करने वाली प्रकाश किरणों में धुआँ या धूल कणों का दिखाई देना इसका उदाहरण है।
  • इस प्रभाव का प्रयोग सभी कोलाइडल घोलों को सत्यापित करने के लिये किया जा सकता है ।

हाइड्रोजेल के उपयोग (Uses of Hydrogel)

  • मानव व जानवरों की दवा (Drug Delivery) के लिये।
  • जीवाणुरोधी गतिविधियों के लिये।
  • कैंसर के उपचार के लिये।

दवा वितरण (Drug Delivery)

  • दवा वितरण मनुष्यों या जानवरों में औषधीय यौगिक (Pharmaceutica Compound) को शरीर में पहुँचाने की विधि या प्रक्रिया है जिससे वांछित चिकित्सीय प्रभाव (Therapeutic Effect) को प्राप्त किया जा सके।

इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस

(Indian Association for the Cultivation of Science-IACS)

  • इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस (ICAS) भारत का सबसे पुराना संस्थान है जो सामान्य विज्ञान के प्रमुख क्षेत्रों में शोध के लिये समर्पित है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1876 में हुई थी।
  • किसी माध्यम के अणुओं द्वारा विक्षेपित प्रकाश किरण के तरंग दैर्ध्य में परिवर्तन को रमन प्रभाव कहा जाता है।

स्रोत: द हिंदू