गोलकुंडा एवं कुतुब शाही किला

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (National Monuments Authority-NMA) ने हैदराबाद (तेलंगाना) में 500 साल पुराने गोलकुंडा किले (Golconda Fort) और कुतुब शाही मकबरे (Qutb Shahi Tombs) परिसर के विनियमित क्षेत्र में 54 पंक्तिबद्ध घरों के विकास के लिये कदम उठाया है।

प्रमुख बिंदु

  • तेलंगाना के राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण ने बिल्डर को अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी करने के खिलाफ प्राचीन स्मारक और पुरातत्त्व स्थल और अवशेष (Anicient Monuments And Archaeological Sites and Remains-AMASR) अधिनियम का हवाला देते हुए कई गंभीर मुद्दों को उठाया।
  • चिंता का विषय यह है कि यदि इन प्राचीन विरासतों का जीर्णोद्धार कराया जाता है तो यह प्राकृतिक सौन्दर्य को अवरुद्ध करेगा जो दो स्थानों के बीच सदियों से मौजूद है।
  • निर्माण स्थान पाटनचेरु दरवाज़ा (Patancheru Darwaza) के पास स्थित दीवार से 101 मीटर की दूरी पर है। प्राचीन काल में यह द्वार पुराने गोलकुंडा स्थल में जाने का प्रमुख मार्ग था।
  • किसी भी प्रकार का जीर्णोद्धार कार्य गोलकुंडा के प्राचीन इतिहास को प्रभवित करेगा और ऐसा अनुमान लगाया गया है कि पुराने गोलकुंडा किले और मकबरे के जीर्णोद्धार के कारण गोलकुंडा किला क्षेत्र से अधिक तक विस्तारित हो सकता है।
  • यह किले की दीवार और मकबरे के बाहरी बाड़े के बीच पाँच छोटे-छोटे जल निकायों पर भी प्रभाव डालेगा।
  • यह जीर्णोद्धार स्मारक स्थलों के लिये विश्व धरोहर का दर्जा (World Heritage Status) हासिल करने के प्रयासों को भी प्रभावित करेगा (2014 में नामांकित)।
  • सरकारी एजेंसियों और नागरिकों को दोनों स्थलों के विरासत चरित्र को बनाए रखने के लिये मिलकर काम करने की ज़रूरत है।

प्राचीन स्मारक और पुरातत्त्व स्थल तथा अवशेष (Anicient Monuments And Archaeological sites and Remains-AMASR) (संशोधन और मान्यता) अधिनियम, 2010

  • 2010 में पारित इस अधिनियम के अंतर्गत प्राचीन स्मारकों और पुरातात्त्विक स्थलों के संरक्षण, और समय-समय पर उनकी मरम्मत करवाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। इन इमारतों की सभी दिशाओं में 300 मीटर के आस-पास के क्षेत्र को (या अधिक के रूप में कुछ मामलों में निर्दिष्ट किया जा सकता है) राष्ट्रीय महत्त्व का क्षेत्र घोषित किया जाता है।
  • इस प्रतिबंधित क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निर्माण या पुनर्निर्माण की अनुमति नहीं है (राष्ट्रीय महत्त्व के रूप में घोषित नज़दीकी संरक्षित स्मारक या संरक्षित क्षेत्र की निकटतम संरक्षित सीमा से सभी दिशाओं में 100 मीटर की दूरी तक का क्षेत्र) , लेकिन मरम्मत या नवीकरण कार्य कराया जा सकता है।
  • नियंत्रित क्षेत्र में (किसी भी संरक्षित स्मारक और राष्ट्रीय महत्त्व के घोषित संरक्षित क्षेत्र से सभी दिशाओं में 200 मीटर की दूरी तक का क्षेत्र) मरम्मत / नवीनीकरण / निर्माण / पुनर्निर्माण किया जा सकता है।
  • प्रतिबंधित और नियंत्रित क्षेत्रों में निर्माण संबंधी कार्यों के लिये सभी आवेदन सक्षम प्राधिकारी (Competent Authorities-CA) और फिर उन पर विचार करने हेतु NMA के समक्ष प्रस्तुत किये जाते हैं।

राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (National Monuments Authority-NMA)

  • राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण को सांस्कृतिक मंत्रालय के तहत प्राचीन स्मारक और पुरातत्त्व स्थल तथा अवशेष (Anicient Monuments And Archaeological Sites and Remains-AMASR) (संशोधन और मान्यता) अधिनियम के
  • वधानों के अनुसार स्थापित किया गया है जिसे मार्च, 2010 में अधिनियमित किया गया था।
  • NMA को स्मारकों और स्थलों के संरक्षण से संबंधित कई कार्य सौंपे गए हैं जो केंद्र द्वारा संरक्षित स्मारकों के आसपास प्रतिबंधित और विनियमित क्षेत्रों के प्रबंधन के माध्यम से किये जाते हैं।
  • NMA, प्रतिबंधित और विनियमित क्षेत्रों में निर्माण संबंधी गतिविधि के लिये आवेदकों को अनुमति प्रदान करने पर भी विचार करता है।

गोलकुंडा का किला (Golkunda Fort)

  • यह हैदराबाद के पश्चिमी भाग में स्थित है।
  • इसे वर्ष 1143 में एक पहाड़ी की चोटी पर बनाया गया था। यह मूल रूप से मंकल (Mankal) के नाम से जाना जाता था।
  • यह मूल रूप में वारंगल के राजाओं (Rajah of Warangal) के शासनकाल में एक मिट्टी का किला था।
  • यह 14वीं और 17वीं शताब्दी के बीच बहमनी सुल्तानों (Bahmani Sultans) द्वारा और फिर कुतुब शाही वंश (Qutub Shahi dynasty) द्वारा इसे संरक्षित कर लिया गया था यह गोलकुंडा, कुतुब शाही राजाओं की प्रमुख राजधानी थी।
  • किले के आंतरिक भाग में महल, मस्जिद और एक पहाड़ी मंडप के खंडहर हैं, जिनकी ऊँचाई लगभग 130 मीटर है और ये अन्य इमारतों को देखने के लिये विहंगम दृश्य प्रदान करते हैं।

क़ुतुब शाही मकबरा (Qutb Shahi Tombs)

  • गोलकुंडा किले से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुतुब शाही मकबरा फारसी, हिंदू और पठानी वास्तुकला की शैलियों में निर्मित हैं।
  • 18वीं सदी में कई राजाओं ने राज्य किया जिनके द्वारा इन मकबरों के निर्माण की योजना तैयार कर इनका निर्माण कराया गया था।
  • इब्राहिम बाग (Ibrahim Bagh) के सुंदर उद्यानों के बीच इन मकबरों की स्थापना की गई है जिससे इनकी भव्यता और अधिक बढ़ जाती है। ये मकबरे सात कुतुब शाही राजाओं को समर्पित हैं जिन्होंने लगभग 170 वर्षों तक गोलकुंडा पर शासन किया था।
  • सबसे प्रभावशाली मकबरों में से एक मकबरा हैदराबाद के संस्थापक मोहम्मद कुली कुतुब शाह (Mohammed Quli Qutub Shah) का है। जिसकी ऊँचाई 42 मीटर है।

स्रोत: ‘द हिंदू’