एड्स की वर्तमान वैश्विक स्थिति

चर्चा में क्यों?

UNAIDS में नए कार्यकारी निदेशक की नियुक्ति की संभावना है, मई 2019 में मिशेल सिडिबे (Michel Sidibe) के जाने के बाद से इस पद पर अभी नियुक्ति नही हुई है।

संयुक्त राष्ट्र का एड्स पर कार्यक्रम

United Nations Programme on HIV and AIDS-UNAIDS:

  • संयुक्त राष्ट्र का एड्स पर कार्यक्रम UNAIDS वैश्विक स्तर पर कठिन चुनौतियों का सामना कर रहा है।
  • UNAIDS वर्ष 1994 में अपनी स्थापना के बाद से एड्स के विरुद्ध विश्व जनमत को सफलतापूर्वक जुटाने में सक्षम रहा है। एड्स का प्रभावी उपचार न होने से अभी तक 20 मिलियन से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
  • एड्स उन्मूलन के प्रयासों में वर्ष 2001 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष सत्र का राजनीतिक प्रस्ताव बेहद महत्त्वपूर्ण था।
  • एड्स, तपेदिक और मलेरिया से लड़ने के लिये वैश्विक कोष (Global Fund to Fight AIDS, Tuberculosis and Malaria- GFATM) की स्थापना और सस्ती भारतीय औषधियों ने कई देशों में उपचार को आसान बना दिया।

एड्स की वर्तमान स्थिति:

  • वर्तमान में जब वैश्विक स्तर पर UNAIDS को एड्स के उन्मूलन के लिये प्रतिबद्धता दिखाने की ज़रूरत है तो इसी समय इसकी सक्रियता में कमी आई है।
  • पूर्वी यूरोप, मध्य एशिया और पश्चिम एशिया जैसे क्षेत्र इस समय एड्स की समाप्ति से संबंधित लक्ष्यों से काफी दूर हैं, वही रूस में ड्रग्स का इस्तेमाल होने से स्थिति ठीक नहीं है।
  • अभी तक एड्स का इलाज एंटी रेट्रोवायरल (Anti Retroviral-ARV) थेरेपी के माध्यम से ही किया जा रहा है, लेकिन एड्स से ज़्यादातर निर्धन लोग ही प्रभावित होते हैं, जिनके लिये इस प्रकार के इलाज आसानी से सुलभ नही हो पाते हैं।

एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (Antiretroviral Therapy):

  • यह दैनिक रूप से ली जाने वाली दवाओं का एक संयोजन है जो वायरस के प्रसार को रोकते हैं।
  • इस थेरेपी से CD-4 कोशिकाओं की रक्षा करने में मदद मिलती है जिससे रोग से लड़ने की प्रतिरक्षा क्षमता मज़बूत होती है।
  • यह एचआईवी के संचरण के जोखिम को कम करने के अलावा, एड्स संक्रमण (एचआईवी के कारण संक्रमण की स्थिति) को बढ़ने से रोकने में भी मदद करता है।
  • HIV का प्रसार मुख्यतः असुरक्षित यौन संबंधों और नशीली दवाओं का इस्तेमाल करने से होता है। राष्ट्रीय कार्यक्रमों में कंडोम का इस्तेमाल, यौन शिक्षा और नशीली दवाओं की रोकथाम संबंधी कार्यक्रमों का अभाव है।
  • एड्स की रोकथाम के लिये काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों और समुदाय-आधारित संगठनों के पास धन की कमी है।
  • राष्ट्रीय स्तर पर UNAIDS की कमान ऐसे लोगों के हाथों में है, जो पर्याप्त दक्ष नहीं हैं, जिसके कारण एड्स उन्मूलन के लिये रचनात्मक कदम उठाने में कठिनाई हो रही है।
  • एड्स को लेकर सक्रियता के स्तर पर अफ्रीका के कई देशों ने बेहतर प्रदर्शन किया है।

नए कार्यकारी निदेशक के पास संगठन की विश्वसनीयता और प्रासंगिकता को बनाए रखने की ज़िम्मेदारी होगी। प्रत्येक वर्ष होने वाले 1.7 मिलियन नए संक्रमण और एक मिलियन मौतों के साथ वर्ष 2030 तक एड्स को समाप्त करने के महत्त्वाकांक्षीे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये प्रतिबद्ध एवं दक्ष नेतृत्व की आवश्यकता होगी।

स्रोत: द हिंदू