रुपए की विनिमय दर

प्रीलिम्स के लिये 

विनिमय दर, NEER, REER, रुपए का मूल्यह्रास और अभिमूल्यन

मेन्स के लिये

मुद्रा की मांग और पूर्ति उसके मूल्य पर प्रभाव, मुद्रास्फीति और विनिमय दर में संबंध

संदर्भ

बीते कुछ महीनों में कोरोनावायरस (COVID-19) महामारी के प्रसार के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। ऐसे में इस प्रभाव का सही और तुलनात्मक अनुमान लगाना नीति निर्माताओं के लिये काफी महत्त्वपूर्ण हो जाता है। इस संबंध में रुपए की विनिमय दर को भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति का अनुमान लगाने के लिये एक उपयुक्त मापदंड के रूप में देखा जा सकता है।

क्या होती है मुद्रा विनिमय दर

(Currency Exchange Rate)?

  • मुद्रा विनिमय दर का अभिप्राय घरेलू मुद्रा के रूप में विदेशी मुद्रा की एक इकाई की कीमत से होता है।
    • उदाहरण के लिये, यदि हमें एक डॉलर प्राप्त करने के लिये 50 रुपए देने पड़ते हैं तो विनिमय दर 50 रुपए प्रति डॉलर होगी।
  • ध्यातव्य है कि मुद्रा विनिमय दर ही अक्सर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्रय और विक्रय की सामर्थ्यता निर्धारित करती है।
  • किसी भी मुद्रा की विनिमय दर उसकी मांग और आपूर्ति की परस्पर क्रिया द्वारा निर्धारित की जाती है।
    • उदाहरण के लिये, यदि अधिक-से-अधिक भारतीय अमेरिकी सामान खरीदना चाहेंगे, तो रुपए की तुलना में अमेरिकी डॉलर की मांग अधिक होगी, जिसके प्रभावस्वरूप अमेरिकी डॉलर रुपए की अपेक्षा और अधिक मज़बूत हो जाएगा।
    • इसके विपरीत यदि भारतीय रुपए की मांग में वृद्धि होती है तो भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर की अपेक्षा अधिक मज़बूत होगा।
  • उल्लेखनीय है कि कई बार एक देश का केंद्रीय बैंक विनिमय दर में अत्यधिक उतार-चढ़ाव को कम करने के लिये हस्तक्षेप करता है। किंतु आर्थिक जगत में केंद्रीय बैंक अथवा सरकार के अत्यधिक हस्तक्षेप को उचित नहीं माना जाता है।
  • आमतौर पर मज़बूत अर्थव्यवस्थाओं की मुद्रा भी काफी मज़बूत होती है। उदाहरण के लिये, अमेरिकी अर्थव्यवस्था भारतीय अर्थव्यवस्था की तुलना में काफी अधिक मज़बूत है, जिसका प्रभाव भारतीय रुपए पर देखने को मिलता है, नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, एक अमेरिकी डॉलर लगभग 76 रुपए के समान है।
  • बीते कुछ महीनों में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए के मूल्य में कमी आई है अर्थात् रुपए का मूल्यह्रास हुआ है या रुपया कमज़ोर हुआ है।
  • किंतु अमेरिका दुनिया का एकमात्र देश नहीं है, भारत अमेरिका के अतिरिक्त कई अन्य देशों के साथ भी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार करता है, इस प्रकार भारतीय अर्थव्यवस्था की बेहतर समझ के लिये यह आवश्यक है कि हम यह भी देखें कि रुपया भारत के अन्य व्यापारिक साझेदारों के साथ किस प्रकार का व्यवहार कर रहा है।

किन मापदंडों पर ध्यान देने की आवश्यकता है?

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) 36 व्यापारिक साझेदार देशों की मुद्राओं के संबंध में रुपए की ‘नॉमिनल इफेक्टिव एक्सचेंज रेट’ (Nominal Effective Exchange Rate-NEER) को सारणीबद्ध करता है।
    • यह एक प्रकार का भारित सूचकांक है अर्थात् इसमें उन देशों को अधिक महत्त्व दिया जाता है, जिनके साथ भारत अधिक व्यापार करता है।
    • इस सूचकांक में कमी रुपए के मूल्य में ह्रास को दर्शाती है, जबकि सूचकांक में बढ़ोतरी रुपए के मूल्य में अभिमूल्यन को दर्शाती है।
  • RBI द्वारा जारी NEER के अनुसार, बीते कुछ समय में रुपया नवंबर 2018 के पश्चात् से अपने सबसे निचले स्तर पर पहुँच गया है।
  • NEER के अतिरिक्त ‘रियल इफेक्टिव एक्सचेंज रेट’ (Real Effective Exchange Rate-REER) भी भारतीय अर्थव्यवस्था में हो रहे परिवर्तनों को मापने के लिये एक महत्त्वपूर्ण मापदंड है।
    • REER के अंतर्गत NEER में शामिल अन्य कारकों के अतिरिक्त विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं में घरेलू मुद्रास्फीति को भी ध्यान में रखा जाता है, जिसके कारण इसका महत्त्व अधिक बढ़ जाता है।
  • REER के संदर्भ में बीते कुछ समय में रुपया सितंबर 2019 के पश्चात् से अपने सबसे निचले स्तर पर पहुँच गया है।

विनिमय दर और मुद्रास्फीति

(Exchange Rate and Inflation)

  • किसी भी देश की विनिमय दर को ब्याज दर तथा राजनीतिक स्थिरता जैसे कई अन्य कारण प्रभावित करते हैं। इन्ही कारकों में सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है, मुद्रास्फीति। उदाहरण के लिये, मान लेते हैं कि पहले वर्ष में रुपए की विनिमय दर 1 रुपए प्रति डॉलर है।
    • इस प्रकार हम 100 रुपए में 100 अमेरिकी डॉलर प्राप्त कर सकते हैं। किंतु यदि अगले वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति 20 प्रतिशत रहती है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति शून्य रहती है तो अगले वर्ष में वही 100 अमेरिकी डॉलर प्राप्त करने के लिये हमें 120 रुपए की आवश्यकता होगी।

NEER बनाम REER 

  • NEER विदेशी मुद्राओं के संदर्भ में घरेलू मुद्रा के द्विपक्षीय विनिमय दरों का भारित औसत होता है। जबकि REER मुद्रास्फीति के प्रभावों के लिये समायोजित अन्य प्रमुख मुद्राओं के सापेक्ष घरेलू मुद्रा का भारित औसत है।
  • NEER विदेशी मुद्रा बाज़ार के संदर्भ में देश की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा का एक संकेतक है।
  • REER की गणना NEER में मूल्य परिवर्तन को समायोजित करने के पश्चात् की जाती है। इस प्रकार अर्थशास्त्री NEER की अपेक्षा REER को अधिक महत्त्व देते हैं।
  • NEER = विशेष आहरण अधिकार (SDR) के संदर्भ में घरेलू विनिमय दर/विशेष आहरण अधिकार (SDR) के संदर्भ में विदेशी विनिमय दर
  • REER = NEER  × (घरेलू मूल्य सूचकांक/विदेशी मूल्य सूचकांक)

मुद्रा का मूल्यह्रास (Depreciation) और अभिमूल्यन (Appreciation)

  • विनिमय दर प्रणाली मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं- स्थायी विनिमय दर प्रणाली और अस्थायी विनिमय दर प्रणाली।
  • स्थायी विनिमय दर प्रणाली के अंतर्गत सरकार विनिमय दर का एक स्तर विशेष दर पर निर्धारित करती है। इसके विपरीत अस्थायी विनिमय दर प्रणाली के अंतर्गत विनिमय दर का निर्धारण बाज़ार शक्तियों द्वारा स्वतंत्र रूप से किया जाता है।
  • मुद्रा के मूल्यह्रास और उसके अभिमूल्यन की अवधारणा अस्थायी विनिमय दर प्रणाली वाले देशों से संबंधित है। अस्थायी विनिमय दर प्रणाली में एक मुद्रा का मूल्यह्रास तब होता है जब बाज़ार में मुद्रा की आपूर्ति बढ़ जाती है जबकि इसकी मांग गिरती रहती है।
  • जबकि मुद्रा के अभिमूल्यन का अर्थ है अन्य विदेशी मुद्राओं के संबंध में एक मुद्रा के मूल्य में वृद्धि। एक मुद्रा का अभिमूल्यन तब होता है जब मुद्रा की आपूर्ति विदेशी मुद्रा बाज़ार में उसकी मांग से कम होती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस