औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग की भूमिका का विस्तार

चर्चा में क्यों?


हाल ही में केंद्र सरकार ने उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने हेतु ‘औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग’ (Department of Industrial Policy & Promotion-DIPP) का नाम बदलकर ’उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग’ (Department for Promotion of Industry and Internal Trade-DPIIT) करते हुए इसकी भूमिका का विस्तार किया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • केंद्र सरकार ने उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने के लिये औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग का नाम बदलते हुए इसमें परिवर्तन किया है।
  • केंद्र सरकार द्वारा दी गई अधिसूचना में पुनर्निमाण निकाय के प्रभार की चार नई श्रेणियों को भी शामिल किया गया है,जिसमें शामिल हैं -

♦ आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देना (खुदरा व्यापार सहित)
♦ व्यापारियों और उनके कर्मचारियों का कल्याण
♦ ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस की सुविधा से संबंधित मामले
♦ स्टार्ट-अप से संबंधित मामले 

  • इस निर्देश के तहत शामिल निकाय DIPP की सामान्य औद्योगिक नीति, उद्योगों के प्रशासन (विकास और विनियमन) अधिनियम 1951, औद्योगिक प्रबंधन, उद्योग की उत्पादकता और ई-कॉमर्स से संबंधित मामलों के अतिरिक्त है।
  • इस निकाय का नाम बदलने और इसके अंतर्गत आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने हेतु उत्तरदायित्वों को शामिल करने का कार्य ‘ऑल इंडिया ट्रेडर्स ऑर्गेनाइज़ेशन’ द्वारा किया गया है।
  • अखिल भारतीय व्यापारियों के परिसंघ (Confederation Of All India Traders-CAIT) के अनुसार, सरकार ने DIPP के तहत खुदरा व्यापार क्षेत्र के अंतर्गत लंबे समय से की जा रही मांग को भी स्वीकार किया है।

औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग

  • औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग की स्थापना 1995 में हुई थी तथा औद्योगिक विकास विभाग के विलय के साथ वर्ष 2000 में इसका पुनर्गठन किया गया था।
  • इससे पहले अक्तूबर 1999 में लघु उद्योग तथा कृषि एवं ग्रामीण उद्योग (Small Scale Industries & Agro and Rural Industries -SSI&A&RI) और भारी उद्योग तथा सार्वजनिक उद्यम (Heavy Industries and Public Enterprises- HI&PE) के लिये अलग-अलग मंत्रालयों की स्थापना की गई थी।

स्रोत – द हिंदू