घटता लिंग अनुपात और प्रजनन दर

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के रजिस्ट्रार जनरल (Registrar General Of India) के नमूना पंजीकरण प्रणाली (Sample Registration System-SRS) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, देश में जन्म के समय लिंगानुपात (Sex Ratio at Birth-SRB) वर्ष 2017 के अंत तक तीन वर्ष की अवधि में घटकर 898 रह गया।

प्रमुख बिंदु 

  • SRS द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2016 में देश में कुल प्रजनन दर 2.3 थी वहीं 2017 में यह घटकर 2.2 ही रह गई है, जोकि देश की कुल प्रतिस्थापन दर  2.1 के काफी करीब है।
  • यह प्रवृत्ति संयुक्त राष्ट्र द्वारा जनसंख्या अनुमानों के अनुरूप है, जिन्हें हाल के वर्षों में नीचे की ओर संशोधित किया गया है। 
  • जिस वर्ष भारत जनसंख्या के मामले में चीन से आगे निकल जाएगा, उसे वर्ष 2022 (2015 की रिपोर्ट के अनुसार) से बढ़ाकर वर्ष 2027 (2019 के अनुसार) कर दिया गया है।
  • यह प्रवृत्ति इस ओर भी इशारा करती है कि भारतीय अब कम बच्चे चाहते हैं लेकिन उसमें भी उनकी आकाँक्षा पुत्र प्राप्ति की होती हैं। आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) 2017-18 में भी संतान के रूप में बेटे की प्राथमिकता को प्रमुखता से दर्शाया गया है।
  • हाल के वर्षों में तेलंगाना, दिल्ली और केरल के साथ-साथ बिहार में भी जन्म के समय लिंगानुपात में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई।
  • यद्यपि इस असमानता के लिये लिंग-निर्धारण तकनीकों के प्रयोग को सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है लेकिन बिहार जैसे राज्यों में खराब लिंगानुपात के पीछे एक कारण और है कि अमीर परिवार दोषपूर्ण सामाजिक और आर्थिक कारणों से बेटों को अधिक पसंद करते हैं।
  • SRS द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों में यह भी प्रदर्शित किया गया है कि भारत में आर्थिक रूप से सक्रिय आबादी (15-59 वर्ष) के साथ-साथ बुज़ुर्गों की आबादी (60+ वर्ष) का अनुपात बढ़ रहा है। जहाँ एक ओर वर्ष 2017 में आर्थिक रूप से सक्रिय आबादी का प्रतिशत 65.4 था वहीं दूसरी ओर इसी अवधि में बुज़ुर्ग आबादी 8.2% थी।

नमूना पंजीकरण प्रणाली (The Sample Registration System-SRS)

  • SRS एक दोहरी रिकॉर्ड प्रणाली पर आधारित है और इसकी शुरुआत गृह मंत्रालय के अधीन अंतर्गत आने वाले रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय द्वारा वर्ष 1964-65 में जन्म और मृत्यु के आँकड़ों को पंजीकृत करने के उद्देश्य से की गई थी। 
  • तब से SRS नियमित रूप से आँकड़े उपलब्ध करा रहा है।
  • SRS के तहत एक अंशकालिक गणक (गणना करने के लिये नियुक्त व्यक्ति) द्वारा गाँवों/शहरों के जन्म और मृत्यु के नमूनों की निरंतर गणना की जाती है और एक पूर्णकालिक गणक द्वारा अर्द्धवार्षिक पूर्वव्यापी सर्वेक्षण किया जाता है।
  • इन दोनों स्रोतों से प्राप्त आँकड़ों का मिलान किया जाता है। बेमेल और आंशिक रूप से सुमेलित आँकड़ों को फिर से सत्यापित किया जाता है ताकि सही एवं स्पष्ट गणना की जा सके और वैध आँकड़े प्राप्त हो सकें।
  • हर दस साल में नवीनतम जनगणना के परिणामों के आधार पर SRS नमूना में संशोधन किया जाता है।

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड