एकीकृत ट्राइसर्विस थिएटर कमांड

प्रिलिम्स के लिये

एकीकृत ट्राइसर्विस थिएटर कमांड, शेकातकर समिति 

मेन्स के लिये

एकीकृत थिएटर कमांड की आवश्यकता के पक्ष और विपक्ष संबंधी तर्क

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एकीकृत ट्राइसर्विस थिएटर कमांड के निर्माण पर विचार-विमर्श के लिये एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है।

  • यह समिति सभी मुद्दों की जाँच करेगी और सुरक्षा मामले पर मंत्रिमंडलीय समिति को एक औपचारिक नोट प्रस्तुत करने से पूर्व एकीकृत ट्राइसर्विस थिएटर कमांड के निर्णय से संबंधित भविष्य की कार्यवाहियों का निर्धारण करेगी।

प्रमुख बिंदु

समिति के संबंध

  • अर्द्ध-सैनिक बलों (जो कि वर्तमान में गृह मंत्रालय के अधीन हैं) को थिएटर कमांड के दायरे में लाने और एकीकरण की प्रक्रिया के कारण उत्पन्न होने वाले वित्तीय प्रभावों जैसे विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करने हेतु इस समिति का गठन करना काफी महत्त्वपूर्ण है।
  • प्रस्तावित वायु रक्षा कमान के तहत वायु सैन्य संपत्तियों को एकीकृत करने की योजना बना रही है, वहीं मैरीटाइम थिएटर कमांड के तहत नौसेना, तटरक्षक बल के साथ-साथ सेना और वायु सेना के समग्र तटीय संरचनाओं की सभी संपत्तियों को एक साथ लाने की योजना बनाई गई है।
  • थल सेना की उत्तरी कमान और पश्चिमी कमान को 2-5 थिएटर कमांड में बदल दिया जाएगा।

एकीकृत थिएटर कमांड 

  • एकीकृत थियेटर कमांड का आशय सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण किसी भौगोलिक क्षेत्र के लिये एक ही कमान के अधीन तीनों सशस्त्र सेनाओं (थल सेना, वायुसेना और नौसेना) के एकीकृत कमांड से है। 
  • इन बलों (थल सेना, वायुसेना और नौसेना) के कमांडर अपनी क्षमताओं के साथ किसी भी विपरीत परिस्थिति में सभी संसाधनों को वहन करने में सक्षम होंगे।
  • एकीकृत थिएटर कमांड किसी एक विशिष्ट सेवा के प्रति जवाबदेह नहीं होगा।
  • तीनों बलों का एकीकरण संसाधनों के दोहराव को कम करेगा। एक सेवा के तहत उपलब्ध संसाधन को अन्य सेवाओं में भी उपयोग किया जा सकेगा।
  • शेकातकर समिति (वर्ष 2015) ने तीन 3 एकीकृत थिएटर कमांड बनाने की सिफारिश की है - चीन सीमा हेतु उत्तरी कमांड, पाकिस्तान सीमा हेतु पश्चिमी कमांड और समुद्री क्षेत्र हेतु दक्षिणी कमांड।

एकीकरण के पक्ष में तर्क

  • एकीकरण के पश्चात् थिएटर कमांडर अपने कार्यों के लिये किसी भी विशिष्ट सेवा के प्रति जवाबदेह नहीं होगा और वह अपनी कमांड के निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम एक ‘संयुक्त युद्धक बल’ के रूप में विकसित एवं प्रशिक्षित होने हेतु स्वतंत्र होगा। 
  • अपने ऑपरेशनों को पूरा करने के लिये आवश्यक संसाधनों को थियेटर कमांडर के नियंत्रण में ही रखा जाएगा ताकि ऑपरेशन के दौरान उसे किसी पर निर्भर न रहना पड़े।
  • यह भारत की वर्तमान ‘सेवा-विशिष्ट कमांड प्रणाली’, जिसमें पूरे देश में तीनों सैन्य सेवाओं (थल सेना, वायु सेना और नौसेना) की अपनी-अपनी कमांड होती है, के पूर्णतः विपरीत है। युद्ध की स्थिति में प्रत्येक सेवा प्रमुख से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी सेवा के संचालन को अलग-अलग कमांड के माध्यम से नियंत्रित करें, जबकि वे संयुक्त रूप से काम कते हैं। 

एकीकरण के विपक्ष में तर्क:

  • वास्तव में युद्ध के दौरान ऐसा कोई अवसर नहीं आया जब तीनों सेनाओं ने सराहनीय सहयोग के साथ कार्य नहीं किया हो।
  • बढ़ते संचार नेटवर्क ने तीनों सैन्य सेवाओं के बीच संचार को आसान बनाया है, जिसके तहत स्थानिक दूरी पर विचार किये बिना योजना बनाई जा सकती है, ऐसे में नवीन संगठन की कोई आवश्यकता नहीं है।
  • एकीकृत बल कमांडर के डोमेन ज्ञान का उनके कमांड के तहत अन्य दो सेवा घटकों के संबंध में सीमित होने की संभावना है, जिससे उन्हें सबसे उपयुक्त तरीके से और उचित समय पर नियोजित करने की उनकी क्षमता सीमित हो जाती है।

वर्तमान स्थिति:

  • भारतीय सशस्त्र बलों के पास वर्तमान में 17 कमांड हैं। थल सेना और वायु सेना प्रत्येक में 7 और नौसेना के पास 3 कमांड हैं।
    • प्रत्येक कमांड का नेतृत्व एक 4-स्टार (4-star) रैंक का सैन्य अधिकारी करता है।
  • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक संयुक्त कमान है।
    • यह भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पोर्ट ब्लेयर में स्थित भारतीय सशस्त्र बलों की पहली त्रि-सेवा थिएटर कमान है।
  • अन्य त्रि-सेवा कमान जैसे कि सामरिक बल कमान (SFC), देश की परमाणु संपत्ति के वितरण और परिचालन नियंत्रण की देखभाल करती है।

हाल के विकास: 

  • चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की नियुक्ति और सैन्य मामलों के विभाग (DMA) का निर्माण रक्षा बलों के एकीकरण और उन्नति की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम हैं।
    • CDS: वर्ष 1999 में कारगिल समीक्षा समिति के सुझाव पर स्थापित यह सरकार का एकल-बिंदु सैन्य सलाहकार पद है।
    • सैन्य मामलों का विभाग (DMA): केवल सैन्य मामलों से संबंधित कार्य ही DMA के दायरे में आएंगे। इससे पहले ये कार्य रक्षा विभाग (DoD) के जनादेश के तहत थे।
  • चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने मुंबई में तीसरे संयुक्त लॉजिस्टिक्स नोड (JLN) का संचालन किया।
    • LNs सशस्त्र बलों को उनके छोटे हथियारों जैसे- गोला-बारूद, राशन, ईंधन, जनरल स्टोर,विमानन वस्त्र, पुर्जों और इंजीनियरिंग सहायता के लिये संयुक्त लॉजिस्टिक्स कवर प्रदान करेंगे ताकि उनके परिचालन प्रयासों को समन्वित किया जा सके

स्रोत: द हिंदू