जलवायु संकट, मानवाधिकारों के लिये सबसे बड़ा संकट

चर्चा में क्यों?

9 से 27 सितंबर, 2019 तक संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (United Nations Human Rights Council) के 42वें सत्र का आयोजन जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में किया जा रहा है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु :

  • इस बैठक का केंद्रीय बिंदु पर्यावरण एवं मानवाधिकारों के बीच संबंधों को परिभाषित करते हुए जलवायु संकट का समाधान निकालना है।
  • परिषद में न केवल पारंपरिक मानवाधिकारों के मुद्दों को शामिल किया गया है बल्कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में जलवायु परिवर्तन एवं डिजिटल परिदृश्य के संदर्भ में उत्पन्न मानवाधिकार के मुद्दों को शामिल किया गया है।
  • मानव पर वैश्विक तापन का विनाशकारी प्रभाव तटीय शहरों व द्वीपों के डूबने, जंगलों में आग लगने और ग्लेशियरों के पिघलने जैसे रूपों स्पष्ट में दिखाई दे रहा है। 
  • इस प्रकार का पर्यावरणीय आपातकाल- संघर्ष, विस्थापन, सामाजिक तनाव, आर्थिक विकास में बाधा और असमानता को बढ़ावा दे रहा है, जो प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से मानवाधिकारों के हनन से संबंधित हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में कार्यवाही हेतु मार्गदर्शक के रूप में मुख्यतः 5 प्रमुख बिंदुओं को चिह्नित किया गया, जो निम्नलिखित हैं:
  1. जलवायु परिवर्तन; अधिकार, विकास और शांति में बाधा उत्पन्न करने के नवीन उपकरण के रूप में उभरकर सामने आया है। 
  2. प्रभावी जलवायु कार्यवाही के लिये व्यापक और सार्थक भागीदारी की जानी चाहिये।
  3. पर्यावरण की रक्षा करने वालों के लिये बेहतर सुरक्षा प्रबंध की जानी चाहिये। 
  4. सबसे ज़्यादा प्रभावित लोगों की सहायता सबसे पहले होनी चाहिये।
  5. जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले नुकसान के समाधान के रूप में जलवायु न्याय को सुनिश्चित करना चाहिये।
  • जलवायु संकट से उत्पन्न होने वाले मानवाधिकार विषयों के अतिरिक्त परिषद ने विश्व के विभिन्न नागरिक, आर्थिक, सांस्कृतिक विकास से संबंधित मानवाधिकारों की बात कही है।
  • वर्तमान में अफगानिस्तान, अमेरिका में मेक्सिको प्रवासियों, सीरिया, फिलिस्तीन,अफ्रीका और म्याँमार के रोहिंग्या शरणार्थियों से संबंधित मुद्दों के साथ ही हॉन्गकॉन्ग आदि देशों के लोगों के मानवाधिकारों की चर्चा की गई है।

भारत के संदर्भ में चर्चित मुद्दे:

  • परिषद द्वारा जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में बुनियादी सेवाओं को उपलब्ध कराने और कर्फ्यू जैसी स्थितियों को कम करने की अपील की गई, साथ ही लोगों के मानवाधिकारों के सम्मान तथा  सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाने की बात कही गई है।
  • इसके अतिरिक्त असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की वजह से बढ़ी अनिश्चितता पर चिंता व्यक्त गई है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद

(United Nations Human Rights Council)

  • संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ,संयुक्त राष्ट्र के अंग के रूप में कार्यरत एक  अंतर-सरकारी निकाय है।
  • परिषद का गठन वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के स्थान पर किया गया था।
  • इसमें 47 सदस्य हैं और सीटों का बंँटवारा भोगौलिक आधार पर होता है।
  • सदस्यों का चुनाव तीन वर्षों की अवधि के लिये किया जाता है और इनका कार्यकाल अधिकतम दो बार के लिये होता है।
  • परिषद का उद्देश्य विभिन्न देशों में मानवाधिकारों को बढ़ावा देना,उनकी रक्षा करना और  उल्लंघन की स्थिति में समाधान निकालना है।

स्रोत: द हिंदू