कार्डियो-वैस्कुलर रोग

चर्चा में क्यों?

हाल ही में लैंसेट (Lancet) में प्रकाशित शोध पत्र के अनुसार भारत में कार्डियो-वैस्कुलर रोगों (Cardiovascular Disease-CVD) के कारण होने वाली मृत्यु-दर उच्च है।

प्रमुख बिंदु

  • CVD वैश्विक स्तर पर मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है परंतु उच्च आय वाले देशों ( (High Income Countries-HIC) में कैंसर के कारण होने वाली मौतों CVD की तुलना में दोगुनी हैं, जबकि भारत सहित निम्न आय वाले देशों (Low Income Countries-LIC) में CVD के कारण होने वाली मौतें कैंसर की तुलना में तिगुनी हैं।
  • इस शोध पत्र में निम्न आय वाले देशों (LIC) एवं मध्यम आय वाले देशों में (Middle-Income Countries-MIC) घरेलू वायु प्रदूषण को CVD के एक प्रमुख कारण के रूप में पहचाना गया है।
  • निम्न आय वाले देशों में जोखिम कारकों के कम होते हुए भी उच्च मृत्यु दर का कारण गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच की कमी और बीमा सुविधा का अभाव है।
  • इस शोध में उच्च आय वाले देशों (HIC) में कनाडा, सऊदी अरब, स्वीडन और संयुक्त अरब अमीरात शामिल थे, जबकि मध्यम आय वाले देशों (MIC) देशों में अर्जेंटीना, ब्राज़ील, चिली, चीन, कोलंबिया, ईरान, मलेशिया, फिलिस्तीन, फिलीपींस, पोलैंड, तुर्की और दक्षिण अफ्रीका को शामिल किया गया था वहीँ निम्न आय वाले देशों (LIC) देशों में भारत सहित बांग्लादेश, पाकिस्तान, तंजानिया और जिम्बाब्वे शामिल थे।
  • इस शोध के निष्कर्ष समान आर्थिक और सामाजिक विशेषताओं तथा स्वास्थ्य देखभाल वाले अन्य देशों पर भी लागू होते हैं। इस शोध में पांच भारतीय अनुसंधान संस्थानों ने भी भाग लिया।

कार्डियो-वैस्कुलर रोग क्या हैं?

हृदय रोग (CVDs) हृदय और रक्त वाहिकाओं से संबंधित बीमारियों का समूह है। इन बीमारियों में शामिल हैं:

  • हृदय-धमनी रोग (Coronary Heart Disease): हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाओं की बीमारी;
  • रक्त धमनी का रोग (Cerebrovascular Disease): मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाओं की बीमारी;
  • बाह्य धमनी रोग (Peripheral Arterial Disease): हाथ और पैरों को रक्त की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिकाओं की बीमारी;
  • वातरोगग्रस्त हृदय रोग (Rheumatic Heart Disease): स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया के कारण होने वाले आमवाती बुखार (Rheumatic Fever) से हृदय की मांसपेशियों और हृदय के वाल्व को नुकसान।
  • जन्मजात हृदय रोग (Congenital Heart Disease): जन्म के समय से मौजूद हृदय संरचना की विकृति;
  • तीव्र शिरा थ्रोम्बोसिस और फेफड़ों से संबंधित वाहिकारोध (Deep Vein Thrombosis and Pulmonary Embolism): पैर की नसों में रक्त के थक्के जो हृदय और फेफड़ों की कार्यप्रणाली को अव्यवस्थित कर सकते हैं।

कार्डियो-वैस्कुलर रोग के जोखिम कारक

हृदय रोग के जोखिम कारक वे विशेष आदतें, व्यवहार व दिनचर्या आदि हैं जो किसी व्यक्ति के हृदय रोग से ग्रस्त होने के जोखिम को बढ़ाते हैं।

  • धूम्रपान।
  • व्यायाम की कमी।
  • वसायुक्त आहार।
  • मोटापा।
  • उच्च रक्तचाप।
  • कार्डियो-वैस्कुलर रोग का पारिवारिक इतिहास।

हृदय रोग कम और मध्यम आय वाले देशों में विकास का मुद्दा क्यों हैं?

  • CVDs के कारण विश्व में कम-से-कम तीन-चौथाई मौतें कम और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं।
  • कम और मध्यम आय वाले देशों में उच्च आय वाले देशों की तुलना में जोखिम कारकों के तहत आने वाले लोगों का पता लगाने और उनके इलाज के लिये एकीकृत प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमों की सुविधा का अभाव होता है।
  • कम और मध्यम आय वाले देशों में CVDs और अन्य गैर-संचारी बीमारियों से पीड़ितों की उनकी ज़रूरतों के अनुसार प्रभावी और समान स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक कम पहुँच है। इसके कारण बीमारियों का समय पर पता नहीं लग पाता है और लोग असामयिक मृत्यु का शिकार हो जाते हैं।
  • निम्न और मध्यम आय वाले देशों में सबसे गरीब लोग सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। इन देशों में CVDs और अन्य गैर-संचारी रोग अत्यधिक स्वास्थ्य व्यय और उच्च आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय के कारण गरीबी को बढ़ावा देतें हैं।
  • वृहद् आर्थिक स्तर पर CVDs कम और मध्यम आय वाले देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भारी बोझ डालते हैं।

WHO की प्रतिक्रिया

वर्ष 2013 में WHO की अगुवाई में सभी सदस्य देश गैर-संचारी रोगों (Non-Communicable Disease-NCD)के बोझ को कम करने के लिये वैश्विक तंत्र स्थापित करने तथा “NCDs की रोकथाम और नियंत्रण के लिये वैश्विक कार्ययोजना 2013-2020" को अपनाने पर सहमत हुये। इस योजना का लक्ष्य नौ स्वैच्छिक वैश्विक लक्ष्यों के माध्यम से वर्ष 2025 तक NCDs के कारण होने वाली असामयिक मौतों को 25% तक कम करना है।

स्रोत: द हिंदू