प्रदेश में हलाल लिखे उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध

चर्चा में क्यों?

18 नवंबर, 2023 को उत्तर प्रदेश में किसी भी उत्पाद पर हलाल प्रमाणन पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है। यह पाबंदी खाद्य उत्पाद के साथ ही दवाओं पर भी लागू होगी।

प्रमुख बिंदु

  • उत्तर प्रदेश की खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की अपर मुख्य सचिव अनीता सिंह ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। सभी खाद्य एवं औषधि निरीक्षकों को निरंतर निगरानी के निर्देश दिये गए हैं।
  • खाद्य उत्पाद के साथ ही दवाओं के उत्पाद के निर्माण, भंडारण, वितरण एवं विक्रय पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। हालाँकि विदेश भेजे जाने वाले उत्पाद के लिये छूट रहेगी।
  • विदित हो कि विदेश में निर्यात होने वाले मांस और उससे निर्मित उत्पादों पर हलाल प्रमाण पत्र जारी होता रहा है। धीरे-धीरे तेल, साबुन, घी सहित सभी उत्पादों पर हलाल प्रमाणन की मुहर लगने लगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद इसे रोकने की रणनीति बनाई गई और 18 नवंबर को इस पर प्रदेश में पाबंदी लगा दी गई है।
  • प्रदेश में हलाल प्रमाणन वाले किसी भी खाद्य उत्पादों एवं दवाओं को स्वीकार नहीं किया जाएगा। यदि कोई उत्पादन हलाल प्रमाणन वाला पाया गया तो संबंधित निर्माता के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। निर्माण के साथ ही भंडारण, वितरण, विक्रय पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है।
  • यदि राज्य में कार्यरत कोई निर्यातक अपने खाद्य उत्पाद अथवा दवा को उन देशों के लिये तैयार करता है, जहाँ हलाल प्रमाणन युक्त खाद्य उत्पाद ही स्वीकार किये जाते हैं तो उसे छूट दी जाएगी। वह दूसरे देश के लिये तैयार होने वाले उत्पाद का निर्माण, भंडारण एवं वितरण कर सकेगा।
  • प्रदेश की नियमावली में हलाल प्रमाणीकरण का कोई नियम नहीं है। सिर्फ गुणवत्ता, पैकिंग, लेबलिंग सही होनी चाहिये। नए आदेश के बाद यदि कोई हलाल प्रमाणीकरण युक्त दवाओं, प्रसाधन सामग्री व खाद्य सामग्री तैयार करता है अथवा भंडारण व वितरण करता है तो उसके खिलाफ अधिनियम 1940 व तत्संबंधी नियमावली के अधीन कार्रवाई की जाएगी।
  • इसके तहत तीन साल का कारावास, एक लाख रुपए जुर्माना, और नियम 18 ए के तहत छह साल का कारावास अथवा 25 हज़ार का जुर्माना हो सकता है।