इलाज़ योग्य संक्रमण को एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध मौत में बदल सकता है

चर्चा में क्यों?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने हमेशा हमें एंटीबायोटिक्स के दुरुपयोग के जोखिमों के बारे में चेतावनी दी है, किंतु वर्तमान में इसका दुरुपयोग बढ़ने से लोगों को अपने जीवन से समझौता करना पड़ रहा है।

एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (Antimicrobial resistance)
बैक्टीरिया में निहित प्राकृतिक क्षमता एंटीबायोटिक दवाओं सहित बाहरी खतरों के प्रतिरोध को विकसित करने में सक्षम है। समय के साथ और अनुकूल परिस्थितियों में बैक्टीरिया कई एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोध को विकसित कर सकता है जो 'सुपरबग' के विभिन्न उपभेदों को उत्पन्न करता है और इन्हें नष्ट करना मुश्किल होता जाता है। इस घटना को एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के रूप में जाना जाता है।

प्रमुख बिंदु

  • दुनिया को हम अत्यधिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया के फैलाव की ओर ले जा रहे हैं और ऐसे समय में कई के प्रकार के संक्रमण और सरल सर्जिकल प्रक्रियाएँ जीवन के लिये गंभीर चुनौती बनती जा रही हैं।
  • एक आँकड़े के मुताबिक वैश्विक स्तर पर हर साल लगभग 7 लाख लोग दवा प्रतिरोधी संक्रमण के कारण मर जाते हैं और इसमें भारत के 55,000 से अधिक नवजात शिशु शामिल हैं।
  • यदि मौजूदा स्थिति बनी रहती है, तो एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के कारण वैश्विक मौतों का आँकड़ा 2050 तक प्रति वर्ष 1 करोड़ तक पहुँच सकता है।
  • भारत में जहाँ बैक्टीरिया संक्रमण की बीमारी का बोझ दुनिया में सबसे ज़्यादा है, वहीं एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध से उत्पन्न खतरे भी बहुत अधिक हैं।
  • हालाँकि, सीमित सफलता के साथ कई पहलों द्वारा एंटीबायोटिक दवाओं का उचित रूप से निर्धारण सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है।
  • सौभाग्य से एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के खिलाफ लड़ाई लड़ने और घातक संक्रमणों के  प्रसार वाली दवाओं को रोकने में टीके (vaccines) सबसे शक्तिशाली उपकरणों में से एक है। 

टीका (vaccine)

  • टीके संक्रमण को पहले स्थान पर होने से रोकते हैं, इस प्रकार एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता को कम करते हैं।
  • यह प्रतिरोधी उपभेदों सहित संक्रामक बैक्टीरिया के प्रसार को कम कर देता है।
  • टीके वायरल संक्रमण की एक श्रृंखला के खिलाफ भी रक्षा करते हैं, जिसका एंटीबायोटिक्स द्वारा इलाज नहीं किया जा सकता है।
  •  एंटीबायोटिक्स अक्सर वायरल बीमारियों में गलत तरीके से इस्तेमाल करने पर एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के प्रसार को बढ़ावा देते हैं।
  • टीकाकरण (vaccination) व्यक्तियों द्वारा वायरल संक्रमण से बचने के लिये एंटीबायोटिक्स के होने वाले दुरुपयोग को रोक सकता है और प्रतिरोध के विकास को धीमा कर सकता है।
  • यदि निमोनिया के संदर्भ में देखें तो, भारत में यह 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु के प्रमुख संक्रामक कारणों में से एक है जिसके कारण वर्ष 2015 में 1.8 लाख मौतें हुईं।
  • हालाँकि निमोनिया के कई कारण हैं, लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण कारण बैक्टीरिया है जिसका इलाज अक्सर एंटीबायोटिक्स से किया जाता है। 
Pneumococcal Conjugate Vaccine (PCV)
न्यूमोकोकल संयुग्म टीका (पीसीवी)
  • यह स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया(Streptococcus pneumonia) नामक बैक्टीरिया के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है, जो गंभीर निमोनिया के प्रमुख कारणों में से एक है।
  • यह बच्चों को बैक्टीरिया के उपभेदों से बचा सकता है (बच्चों में एंटीबायोटिक उपयोग की आवश्यकता को कम करते हुए)जो कि निमोनिया, मेनिनजाइटिस, सेप्सिस और अन्य बीमारियों का कारण बनता है।
  • भारत सरकार ने सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम में पीसीवी का प्रयोग करते हुए इसके तहत  निमोनिया और एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध दोनों को शामिल कर महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है।
  • पीसीवी एंटीबायोटिक उपयोग और प्रतिरोध को कम करने के लिये टीकों की असाधारण क्षमता का एक उदाहरण है।
  • इसका प्रभाव एक बीमारी तक ही सीमित नहीं है बल्कि, खसरा और रूबेला जैसी अन्य बीमारियों को रोकने के लिये प्रभावी ये टीके बच्चों को स्वस्थ रखते हैं और एंटीबायोटिक्स के दुरुपयोग को कम करते हैं।

आगे की राह 

टीके के इन लाभों को देखते हुए इसके पूर्ण उपयोग के लिये संपूर्ण लोगों की जीवन सुरक्षा और इन टीकों तक सबकी पहुँच सुनिश्चित करने हेतु तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध एक सार्वभौमिक समस्या है जिसके लिये सामूहिक समाधान की आवश्यकता होती है। हम सभी को इस लड़ाई में अपनी भूमिका तय करनी होगी। ऐसा करके, हम सभी एक सुरक्षित और स्वस्थ भारत की  ओर आगे बढ़ सकेंगे।