Publish Date : 27-09-2018
Question 1:
दर्शन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. भारतीय दर्शन का विषय आत्मा और परमात्मा के संबंधों का चिंतन है।
2. दार्शनिक शोपेनहावर ने अपनी दार्शनिक विचारधारा में वेदों और उपनिषदों को स्थान दिया है।
3. भारत में जगत के विषय में केवल आध्यात्मिक विचारधारा का विकास हुआ है।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?
केवल 1 और 2
केवल 2
केवल 2 और 3
1, 2 और 3
Correct Answer : 1
Explanation
व्याख्याः
- भारतीय दार्शनिकों ने संसार को माया समझा तथा आत्मा और परमात्मा के बीच के संबंधों की गंभीर विवेचना की। वास्तव में इस विषय पर जितना गहन चिंतन भारतीय दार्शनिकों ने किया है , उतना किसी अन्य देश के दार्शनिकों ने नहीं। अतः कथन (1) सत्य है।
- प्रख्तात जर्मन दार्शनिक शोपेनहावर ने अपनी दार्शनिक विचारधारा में वेदों और उपनिषदों को भी स्थान दिया है। वह कहा करते थे कि उपनिषदों ने उन्हें इस जन्म में दिलासा दी है और मृत्यु के बाद भी देती रहेगी| अतः कथन (2) सत्य है।
- प्राचीन भारत दर्शन और अध्यात्म के क्षेत्र में अपने योगदान के लिये प्रसिद्ध माना जाता है, परन्तु भारत में जगत के विषय में आध्यात्मिकता के साथ भौतिकवादी विचारधारा भी विकसित हुई है। भारत में उदित छः दार्शनिक पद्धतियों के बीच भौतिकवादी दर्शन के तत्त्व सांख्य में मिलते हैं। भौतिकवादी दर्शन को ठोस बनाने का श्रेय चार्वाकों को है। अतः कथन (3) असत्य है।
Question 2:
निम्नलिखित में से किस देश में इस्पात बनाने की कला का विकास हुआ?
चीन
भारत
यूनान
ईरान
Correct Answer : 2
Explanation
व्याख्याः इस्पात बनाने की कला पहले भारत में विकसित हुई। प्राचीन काल में भारत से इस्पात अन्य देशों को भी निर्यात किया जाता था और बाद में यह उत्स (Wootz) कहलाने लगा। उल्लेखनीय है कि भारतीय शिल्पियों द्वारा निर्मित इस्पात की तलवार विश्व प्रसिद्ध थी, इसकी एशिया से लेकर पूर्वी यूरोप तक भारी मांग थी।
Question 3:
प्राचीन काल में गणित के विकास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?
1. भारत में सबसे पहले अंकन और दाशमिक पद्धति का प्रयोग हुआ।
2. पश्चिमी देशों ने दाशमिक पद्धति चीनियों से सीखी।
3. दाशमिक पद्धति का आविष्कार आर्यभट्ट ने किया।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।
केवल 1 और 2
केवल 3
केवल 1 और 3
1, 2 और 3
Correct Answer : 3
Explanation
व्याख्याः
- गणित के क्षेत्र में प्राचीन भारतीयों ने तीन विशिष्ट योगदान दिये- अंकन पद्धति, दाशमिक पद्धति और शून्य का प्रयोग। अतः कथन (1) सत्य है।
- उल्लेखनीय है कि भारतीय अंकन पद्धति को अरबों ने अपनाया और पश्चिमी दुनिया में फैलाया। अंग्रेज़ी में भारतीय अंकमाला को अरबी अंक (अरेबिक न्यूमरल्स) कहते हैं, परन्तु अरबों ने अपनी अंकमाला को हिंदसा कहा।
- पश्चिमी देशों ने दाशमिक (दशमलव) प्रणाली अरबों से सीखी, जबकि चीनियों ने यह पद्धति बौद्ध धर्मप्रचारकों से सीखी। अतः कथन (2) असत्य है।
- प्रसिद्ध गणितज्ञ आर्यभट्ट ने दाशमिक पद्धति का आविष्कार किया था। अतः कथन (3) सत्य है।
Question 4:
‘सुर्यसिद्धांत’ नामक पुस्तक की रचना निम्नलिखित में से किसन की?
आर्यभट्ट
बह्मगुप्त
वराहमिहिर
चरक
Correct Answer : 1
Explanation
व्याख्याः
- ‘सुर्यसिद्धांत’ नामक पुस्तक की रचना आर्यभट्ट ने की है।
Question 5:
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. आर्यभट्ट ने यज्ञवेदी बनाने के लिये व्यावहारिक ज्यामिति की रचना की।
2. त्रिभुज का क्षेत्रफल जानने का नियम आपस्तम्ब ने निकाला।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?
केवल 1
केवल 2
1 और 2 दोनों
न तो 1 और न ही 2
Correct Answer : 4
Explanation
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन असत्य हैं।
- ईसा पूर्व दूसरी सदी में राजाओं के लिये उपयुक्त यज्ञवेदी बनाने के लिये आपस्तम्ब ने व्यावहारिक ज्यामिति की रचना की। इसमें न्यूनकोण, अधिककोण और समकोण का वर्णन किया गया है।
- आर्यभट ने त्रिभुज का क्षेत्रफल जानने का नियम निकाला जिसके फलस्वरूप त्रिकोणमिति का जन्म हुआ। आर्यभट्ट पाँचवीं सदी के महान विद्वान थे।
Question 6:
निम्नलिखित में से किसने सूर्य और चन्द्रग्रहण के कारणों का पता लगाया?
आर्यभट्ट
वराहमिहिर
ब्रह्मगुप्त
आपस्तम्ब
Correct Answer : 1
Explanation
व्याख्याः
- आर्यभट ने बेबिलोनियाई विधि से ग्रह-स्थिति की गणना की और उसने चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के कारणों का पता लगाया। उन्होंने अनुमान के आधार पर पृथ्वी की परिधि का मान निकाला, जो आज भी शुद्ध माना जाता है। उसने बताया कि सूर्य स्थिर है और पृथ्वी घूमती है।
Question 7:
प्राचीन भारत में आयुर्विज्ञान (चिकित्सा विज्ञान) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा असत्य है?
औषधियों का सबसे पहले उल्लेख अथर्ववेद में मिलता है।
सुश्रुत संहिता में रोगों के उपचार के लिये शल्य विधि का वर्णन है।
चरक को शल्य चिकित्सा का पिता कहा जाता है।
चरक संहिता में कुष्ठ और मिरगी के अनेक प्रकारों का वर्णन है।
Correct Answer : 3
Explanation
व्याख्याः
- औषधियों का उल्लेख सबसे पहले अथर्ववेद मे मिलता है। सुश्रुत को शल्य चिकित्सा का पिता कहा जाता है। अतः कथन (c) असत्य है, जबकि अन्य कथन सत्य हैं। उल्लेखनीय है कि सुश्रुत ने शल्य क्रिया के 121 उपकरणों का उल्लेख किया है।
- सुश्रुत संहिता में सुश्रुत ने मोतियाबिंद, पथरी तथा अन्य बहुत से रोगों का उपचार शल्य-क्रियाविधि से बताया है।
- चरक की चरक संहिता भारतीय चिकित्सा शास्त्र का विश्वकोश है, इसमें ज्वर, कुष्ठ, मिरगी और यक्ष्मा के अनेक प्रकार बताए गए हैं। इस पुस्तक में बड़ी संख्या में उन पेड़-पौधों का वर्णन है जिनका प्रयोग दवा के रूप में होता है।
Question 8:
विद्वानों द्वारा रचित पुस्तकों के संदर्भ में निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजियें:
(विद्वान) |
(पुस्तक) |
A. आर्यभट्ट |
1. पंचसिद्धान्तिका |
B. वराहमिहिर |
2.बृहत संहिता |
C. कालिदास |
3. अभिज्ञानशाकुंतलम् |
उपर्युक्त युग्मों में कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?
केवल 1 और 2
केवल 3
केवल 2 और 3
1, 2 और 3
Correct Answer : 3
Explanation
व्याख्याः युग्मों का सही सुमेलन इस प्रकार हैः
आर्यभट्ट - आर्यभटीय
वराहमिहिर - बृहत संहिता
कालिदास - अभिज्ञानशाकुंतलम्
Question 9:
प्राचीन भारत की कला के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1. मौर्यकालीन सिंह की मूर्ति वाले स्तंभशीर्ष को भारत सरकार ने राष्ट्रीय चिह्न के रूप में स्वीकार किया है।
2. भारतीय और यूनानी शैली के मिश्रण से गांधार शैली का जन्म हुआ।
उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?
केवल 1
केवल 2
1 और 2 दोनों
न तो 1 और न ही 2
Correct Answer : 3
Explanation
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन सत्य हैं।
- मौर्यकालीन पालिशदार सिंह की मूर्ति वाले स्तंभशीर्ष को भारत सरकार ने राष्ट्रीय चिह्न के रूप में स्वीकार किया है।
- भारतीय कला और यूनानी कला दोनों के तत्त्वों के सम्मिश्रण से एक नई कला शैली का जन्म हुआ जो गांधार शैली के नाम से प्रसिद्ध है। बुद्ध की पहली प्रतिमा इसी शैली में है।