तिरुवल्लुवर | 17 Jan 2022

प्रधानमंत्री ने तमिल कवि और दार्शनिक तिरुवल्लुवर को उनकी जयंती ‘तिरुवल्लुवर दिवस’ (Thiruvalluvar Day ) के अवसर पर याद किया।

  • वर्तमान समय में इसे आमतौर पर तमिलनाडु में 15 या 16 जनवरी को मनाया जाता है और यह पोंगल समारोह का एक हिस्सा है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • तिरुवल्लुवर जिन्हें वल्लुवर भी कहा जाता है, एक तमिल कवि-संत थे।
    • धार्मिक पहचान के कारण उनकी कालावधि के संबंध में विरोधाभास है सामान्यतः उन्हें तीसरी-चौथी या आठवीं-नौवीं शताब्दी का माना जाता है।
    • सामान्यतः उन्हें जैन धर्म से संबंधित माना जाता है। हालाँकि हिंदुओं का दावा है कि तिरुवल्लुवर हिंदू धर्म से संबंधित थे।
    • द्रविड़ समूहों (Dravidian Groups) ने उन्हें एक संत माना क्योंकि वे जाति व्यवस्था में विश्वास नहीं रखते थे।
    • उनके द्वारा संगम साहित्य में तिरुक्कुरल या 'कुराल' (Tirukkural or ‘Kural') की रचना की गई थी।
    • तिरुक्कुरल में 10 कविताएँ व 133 खंड शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक को तीन पुस्तकों में विभाजित किया गया है:
      • अराम- Aram (सदगुण- Virtue)।
      • पोरुल- Porul (सरकार और समाज)।
      • कामम- Kamam (प्रेम)।
    • तिरुक्कुरल की तुलना विश्व के प्रमुख धर्मों की महान पुस्तकों से की गई है।

संगम साहित्य

  • 'संगम' शब्द संस्कृत शब्द संघ का तमिल रूप पांड्य राजाओं के संरक्षण में तीन अलग-अलग कालों में अलग-अलग जगहों पर फली-फूली।
  • इसे तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ई. के दौरान संकलित किया गया था और प्रेम एवं युद्ध के विषयों के आसपास काव्य प्रारूप में रचा गया था।
  • तमिल किंवदंतियों के अनुसार, प्राचीन दक्षिण भारत में तीन संगमों (तमिल कवियों का समागम) का आयोजन किया गया था, जिसे मुच्चंगम (Muchchangam) कहा जाता था।
    • माना जाता है कि प्रथम संगम मदुरै में आयोजित किया गया था। इस संगम में देवता और महान संत शामिल थे। इस संगम का कोई साहित्यिक ग्रंथ उपलब्ध नहीं है।
    • दूसरा संगम ‘कपाटपुरम्’ में आयोजित किया गया था, इस संगम का एकमात्र तमिल व्याकरण ग्रंथ ‘तोलकाप्पियम्’ ही उपलब्ध है।
    • तीसरा संगम भी मदुरै में हुआ था। इस संगम के अधिकांश ग्रंथ नष्ट हो गए थे। इनमें से कुछ सामग्री समूह ग्रंथों या महाकाव्यों के रूप में उपलब्ध है।
  • संगम साहित्य जो तीसरे संगम से काफी हद तक समेकित था, ईसाई युग की शुरुआत के आसपास लोगों के जीवन की स्थितियों पर जानकारी देता है।
    • यह सार्वजनिक और सामाजिक गतिविधियों जैसे- सरकार, युद्ध दान, व्यापार, पूजा, कृषि आदि धर्मनिरपेक्ष मामलों से संबंधित है।
  • संगम साहित्य में प्राचीनतम तमिल रचनाएँ (जैसे तोलकाप्पियम), दस कविताएँ (पट्टुपट्टू), आठ संकलन (एट्टुटोगई) और अठारह लघु रचनाएँ (पदीनेकिलकनक्कु) तथा तीन महाकाव्य शामिल हैं।

स्रोत:पी.आई.बी.