प्रीलिम्स फैक्ट्स: 09 मार्च, 2020 | 09 Mar 2020

अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में जनसंख्या ह्रास

Depopulation in Border Areas of Arunachal Pradesh

अरुणाचल प्रदेश सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे क्षेत्रों से शहरी केंद्रों की ओर जनसंख्या के पलायन (विशेष रूप से चीन सीमा के साथ लगे क्षेत्रों से) को रोकने के लिये केंद्र सरकार से पायलट विकास परियोजनाओं की मांग की है।

मुख्य बिंदु:

  • भारत में अरुणाचल प्रदेश राज्य चीन के साथ 1,080 किमी. की सीमा, म्याँमार के साथ 440 किमी. और भूटान के साथ 160 किमी. की सीमा साझा करता है।
  • चीन सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश के ज़िलों में मैकमोहन रेखा के पार तिब्बत के लोगों द्वारा घुसपैठ के कई उदाहरण बताए गए हैं।
    • मैकमोहन रेखा (McMahon Line) भारत एवं चीन के मध्य सीमा रेखा है।
  • तिब्बत क्षेत्र से घुसपैठ के बाद अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती गाँवों में जनसंख्या ह्रास की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इसे सुरक्षा के लिये गंभीर खतरा माना जा रहा है क्योंकि विदेशी सेनाओं के लिये खाली गाँवों पर कब्ज़ा करना आसान होता है।
  • हालाँकि सीमावर्ती क्षेत्र विकास कार्यक्रम (Border Area Development Programme) के तहत सीमावर्ती क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों को सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं।
  • अरुणाचल प्रदेश सरकार ने भारत-चीन सीमा पर बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये पायलट परियोजनाओं के रूप में 10 जनगणना शहरों (Census Towns) के चयन की सिफारिश की है।

जनगणना शहर (Census Town):

  • जनगणना शहर ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें राज्य सरकारों द्वारा एक शहर के रूप में परिभाषित नहीं किया गया है किंतु उनमें शहरी विशेषताएँ हैं।
  • राज्य सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये केंद्रीय गृह मंत्रालय को 4.60 करोड़ रुपए के विशेष पैकेज देने का भी प्रस्ताव दिया है।

पुलिस एवं केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में महिलाओं की भूमिका पर राष्ट्रीय सम्मेलन

National Conference on Role of Women in Police and CAPFs

केंद्रीय गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) द्वारा नई दिल्ली में 7 मार्च, 2020 को पुलिस एवं केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में महिलाओं की भूमिका पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।

मुख्य बिंदु:

  • इस राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट द्वारा किया गया था।
  • इस सम्मेलन में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने अधिक महिला फोरेंसिक जाँचकर्त्ताओं और साइबर अपराध विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
  • इस सम्मेलन में बाल कल्याण समितियों (Child Welfare Committees- CWC) के सदस्यों के प्रशिक्षण का भी प्रस्ताव रखा गया और केंद्रीय गृह मंत्रालय, बाल कल्याण समितियों, गैर सरकारी संगठनों तथा आपराधिक न्याय प्रणाली के अन्य हितधारकों के बीच समन्वय की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया।
  • इस राष्ट्रीय सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित दो विषयों पर विचार-विमर्श करना था।
    • साइबर स्टाकिंग एवं महिलाओं को धमकाना: सुरक्षा के लिये कदम (Cyber Stalking and Bullying of Women : Steps for Protection)
    • परिचालन क्षेत्रों में सीएपीएफ की महिलाओं द्वारा चुनौतियों का सामना (Challenges faced by CAPF Women in Operational Areas)
  • इस अवसर पर एक हैंडआउट ‘बीपीआर एंड डी मिरर- जेंडर बेंडर’ (BPR&D Mirror– Gender Bender) भी जारी किया गया।

महिला उद्यमी सशक्तीकरण सम्मेलन 2020

Conference on Empowering Women Entrepreneurs 2020

केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (Union Ministry of Micro, Small & Medium Enterprises) द्वारा महिला उद्यमी सशक्तीकरण सम्मेलन 2020 का आयोजन नई दिल्ली में किया गया।

थीम:

  • इस सम्मेलन की थीम ‘महिला उद्यमी सशक्तीकरण के लिये एक सशक्‍त अनुकूल व्‍यवसाय पारितंत्र का निर्माण करना’ (Creating a Conducive Business Ecosystem for Empowering Women Entrepreneurs) है।

मुख्य बिंदु:

  • तीन दिवसीय इस सम्मेलन का आयोजन एमएसएमई मंत्रालय, फिक्‍की-फ्लो (FICCI-flo), सीआईआई और इंडिया एसएमई फोरम (India SME Forum) जैसे विभिन्न उद्योग संघों के सहयोग से किया गया है।
  • इस अवसर पर केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री ने बताया कि वर्तमान में देश के एमएसएमई क्षेत्र में लगभग 80 लाख महिला उद्यमी हैं और पिछले 5 वर्षों में प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (Prime Ministers Employment Generation Programme- PMEGP) के तहत महिला उद्यमियों की संख्या में लगभग 38% की वृद्धि हुई।

एमएसएमई मंत्रालय के तहत प्रशिक्षित महिलाएँ:

  • एमएसएमई मंत्रालय द्वारा 6000 से अधिक महिलाओं को अगरबत्ती विनिर्माण एवं पैकेजिंग के लिये प्रशिक्षित किया गया है।
  • जम्‍मू-कश्‍मीर में बारामुला ज़िले के आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में इलेक्ट्रिक पॉटरी बनाने के काम में 150 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है। इसके अलावा पुलवामा में लगभग 25 लड़कियों और कठुआ में लगभग 100 लड़कियों को सिलाई का प्रशिक्षण दिया गया है।
  • वर्तमान में केंद्रीय मंत्रालय एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम 25% खरीदारी एमएसएमई से कर रहे हैं। इसमें 4% खरीदारी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उद्यमियों और 3% खरीदारी महिला उद्यमियों से करने का निर्देश दिया गया है।
  • एमएसएमई मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही विभिन्‍न योजनाओं के तहत पिछले 5 वर्षों के दौरान कुल 3.13 लाख महिलाएँ लाभान्वित हुईं।
  • महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिये एमएसएमई मंत्रालय द्वारा महिला उद्यमियों के लिये एक पोर्टल ‘एमएसएमई संबंध’ (MSME SAMBANDH) और एक विशेष पोर्टल ‘उद्यम सखी’ (Udyam Sakhi) भी शुरू किया गया है तथा शहरी क्षेत्रों की महिला उद्यमियों को 25% अनुदान और ग्रामीण क्षेत्रों की महिला उद्यमियों को 35 % अनुदान दिया जा रहा है।

किरण योजना

KIRAN Scheme

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने वर्ष 2014 में महिला केंद्रित सभी योजनाओं एवं कार्यक्रमों को किरण योजना (KIRAN Scheme) में समाहित कर दिया था।

मुख्य बिंदु:

  • किरण (KIRAN) का पूर्ण रूप ‘शिक्षण द्वारा अनुसंधान विकास में ज्ञान की भागीदारी’ (Knowledge Involvement in Research Advancement through Nurturing) है।
  • KIRAN विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में लैंगिक समानता से संबंधित विभिन्न मुद्दों/चुनौतियों का समाधान कर रही है।
  • इसमें अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास, प्रौद्योगिकी प्रदर्शन, स्वरोज़गार आदि के अवसर उत्पन्न करना तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में अत्याधुनिक सुविधाओं के लिये महिला विश्वविद्यालयों को सहायता प्रदान करना शामिल है। इसके लिये प्रतिवर्ष 75 करोड़ रुपए का बजट आवंटन किया जाता है।

किरण की उपलब्धियाँ:

  • महिला वैज्ञानिक योजना के माध्यम से 2100 से अधिक महिला वैज्ञानिकों को विज्ञान की मुख्य धारा में वापस लाया गया है जो अब विभिन्न विश्वविद्यालयों/राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं आदि में अपनी WOS परियोजनाएँ चला रही हैं।
  • STEM में महिलाओं के लिये इंडो-यूएस फेलोशिप 2017-18 में शुरू की गई थी और 20 महिलाओं ने पहले वर्ष में 3-6 महीने के लिये अमेरिकी वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं/विश्वविद्यालयों का दौरा किया था।
  • आठ महिला विश्वविद्यालयों को क्यूरी (महिला विश्वविद्यालयों में नवाचार और उत्कृष्टता के लिये अनुसंधान कार्यों का समेकन Consolidation of University Research for Innovation and Excellence in Women Universities- CURIE) के तहत मदद दी गई।
  • 6 महिला वैज्ञानिकों को बायोकेयर कॉन्क्लेव के दौरान अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च 2019) के अवसर पर जानकी अम्माल महिला जैव वैज्ञानिक पुरस्कार (Janaki Ammal Women Bioscientist Awards) से सम्मानित किया गया था।
  • गुणवत्ता नियंत्रण, औद्योगिक सूक्ष्म जीव विज्ञान, औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती, मशरूम, बाँस, फल प्रसंस्करण, मूल्य वर्द्धित कृषि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कौशल विकास हेतु 412 प्रशिक्षण कार्यक्रमों में लगभग 10,000 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया।

बंजारा समुदाय

Banjara Community

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र के बीड ज़िले के बंजारा समुदाय (Banjara Community) की महिला उद्यमी विजया पवार की एक कहानी साझा की।

मुख्य बिंदु:

  • पिछले दो दशकों से बंजारा हस्तशिल्प क्षेत्र में काम करने वाली महिला उद्यमी विजया पवार ने बंजारा समुदाय की पुरानी गोरमती (Gormati) कला से दुनिया का परिचय कराया।
  • वर्तमान में खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (Khadi and Village Industries Commission) के मार्गदर्शन में विजया पवार महाराष्ट्र के बीड ज़िले में चार तालुकाओं में काम कर रही हैं।
  • इसके तहत कुल 982 महिला कारीगर जो 90 स्वयं सहायता समूहों (SHG) की सदस्य भी हैं, उनके साथ काम कर रही हैं।

बंजारा समुदाय (Banjara Community):

  • बंजारा लोगों को कई अन्य नामों जैसे- लमन, लंबाडी और बंजारी से भी जाना जाता है।
  • यह एक घुमंतू जनजाति है जिसका मूल स्थान उत्तर भारत का मारवाड़ क्षेत्र है। किंतु वर्तमान में ये भारत के कई राज्यों में निवास करते हैं।
  • ये पारंपरिक रूप से ‘गोरबोली’ ‘गोर माटी बोली’ या ‘ब्रिंजारी’ एक स्वतंत्र बोली बोलते हैं जो इंडो-आर्यन भाषा परिवार के अंतर्गत आती है।
  • बंजारा जनजाति ने वृक्षारोपण के लिये अपनी भूमि को जब्त करने और उन्हें श्रम के रूप में नामांकित करने के ब्रिटिश प्रयास का विरोध किया था।
    • उनके निरंतर विद्रोह ने अंग्रेजों को परेशान किया जिसके कारण वर्ष 1871 में बंजारों एवं कई अन्य जनजातियों को आपराधिक जनजाति अधिनियम (Criminal Tribes Act) के तहत लाया गया।
    • इस समुदाय को 1950 के दशक में आपराधिक जनजाति अधिनियम से विमुक्त किया गया था किंतु आदतन अपराधी अधिनियम, 1952 (Habitual Offenders Act, 1952) के तहत सूचीबद्ध किया गया था।

वारली आदिवासी विद्रोह

Warli Adivasi Revolt

वारली आदिवासी विद्रोह वर्ष 1945 में महाराष्ट्र में तालासारी तालुका के ज़ारी (Zari) गाँव से शुरू हुआ था।

Godavari-Parulekar

मुख्य बिंदु:

  • जमींदारों और साहूकारों के शोषण के कारण लगभग 5,000 गिरमिटिया आदिवासियों ने दैनिक मजदूरी में 12 आने (पुराना भारतीय मूल्य मापक) न मिलने तक जमींदारों के खेतों पर काम करने से इनकार कर दिया।
    • वारली आदिवासियों के प्रतिरोध ने क्षेत्र के अन्य स्वदेशी समुदायों के बीच अधिकार आधारित आंदोलनों की प्रथम पहल थी।
  • इस विद्रोह में महिलाओं ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और सभी संभावित तरीकों से पुरुषों की मदद की।
  • महिलाओं की भागीदारी का समर्थन किसान सभा की नेता गोडावेरी पारुलेकर (Godaveri Parulekar) (जिन्हें आदिवासियों द्वारा गोडुताई (Godutai) (बड़ी बहन) के रूप में भी जाना जाता है) द्वारा किया गया था।
    • महिलाओं ने उनका अनुसरण किया तथा अपने साथ हुए उत्पीड़न के बारे में बैठकों में चर्चा की और अन्य महिलाओं को संघर्ष में शामिल होने के लिये प्रोत्साहित किया।