भू-चुंबकीय तूफान | 10 Feb 2022

हाल ही में एलन मस्क (Elon Musk) की कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) द्वारा लॉन्च किये गए हाई-स्पीड इंटरनेट स्टारलिंक सैटेलाइट्स (High-speed internet satellites) में से कुछ सैटेलाइट्स भू-चुंबकीय तूफान (Geomagnetic storm) की वजह से नष्ट हो गए, जो इस घटना से एक दिन पहले ही लॉन्च किये गए थे

  • इन उपग्रहों को पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश के दौरान जलाने की व्यवस्था की गई थी ताकि अंतरिक्ष में मलबा न रह जाए।
  • हालाँकि इस घटना में लॉन्च बैच के 40 उपग्रहों के नुकसान को  एक विशाल  घटना के रूप में वर्णित किया गया है।

स्टारलिंक (Starlink):

  • स्टारलिंक एक स्पेसएक्स प्रोजेक्ट है, यह परिक्रमा करने वाले अंतरिक्षयान के एक समूह के साथ ब्रॉडबैंड नेटवर्क बनाने के लिये है जो अंततः हज़ारों की संख्या में हो सकते हैं।
  • स्टारलिंक उपग्रह जो कक्षा में गतिशीलता व ऊँचाई बनाए रखने और मिशन के अंत में अंतरिक्षयान को वापस वायुमंडल में मार्गदर्शन हेतु आवेग उत्पन्न करने के लिये बिजली और क्रिप्टन गैस का उपयोग करते हैं।
  • स्टारलिंक नेटवर्क अंतरिक्ष से डेटा संकेतों को प्राप्त करने के लिये किये जा रहे कई प्रयासों में से एक है।

भू-चुंबकीय तूफान (Geomagnetic Storm):

  • सौर तूफान सूर्य के धब्बों (सूर्य पर 'अंधेरे' क्षेत्र जो आसपास के फोटोस्फीयर - सौर वातावरण की सबसे निचली परत की तुलना में ठंडे होते हैं) से जुड़ी चुंबकीय ऊर्जा के निकलने के दौरान आते हैं और कुछ मिनटों या घंटों तक रह सकते हैं।
  • एक भू-चुंबकीय तूफान पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की एक बड़ी गड़बड़ी है जो तब होती है जब सौर हवा से पृथ्वी के आसपास के अंतरिक्ष वातावरण में ऊर्जा का कुशल आदान-प्रदान होता है।
    • मैग्नेटोस्फीयर हमारे ग्रह को हानिकारक सौर एवं ब्रह्मांडीय कण विकिरण से बचाता है, साथ ही यह पृथ्वी को ‘सोलर विंड’- सूर्य से प्रवाहित होने वाले आवेशित कणों का निरंतर प्रवाह से भी सुरक्षा प्रदान करता है।
  • ये तूफान ‘सोलर विंड’ में भिन्नता के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं, जो पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर के प्रवाह, प्लाज़्मा और इसके वातावरण में बड़े बदलाव लाते हैं।
    • भू-चुंबकीय तूफान का निर्माण करने वाली सौर पवनें [मुख्य रूप से मैग्नेटोस्फीयर में दक्षिण दिशा में प्रवाहित होने वाली सौर पवनें (पृथ्वी के क्षेत्र की दिशा के विपरीत)] उच्च गति से काफी लंबी अवधि (कई घंटों तक) तक प्रवाहित होती हैं।
    • यह स्थिति ‘सोलर विंड’ से ऊर्जा को पृथ्वी के चुंबकमंडल में स्थानांतरित करने हेतु प्रभावी है।
  • इन स्थितियों के परिणामस्वरूप आने वाले सबसे बड़े तूफान सौर कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) से जुड़े होते हैं, जिसके तहत सूर्य से एक अरब टन या उससे अधिक प्लाज़्मा इसके एम्बेडेड चुंबकीय क्षेत्र के साथ पृथ्वी पर आता है।
    • CMEs का आशय प्लाज़्मा एवं मैग्नेटिक फील्ड के व्यापक इजेक्शन से है, जो सूर्य के कोरोना (सबसे बाहरी परत) से उत्पन्न होते हैं।

यह पृथ्वी को किस प्रकार प्रभावित करता है?

  • अंतरिक्ष के मौसम पर प्रभाव:
    • सभी सोलर फ्लेयर्स पृथ्वी तक नहीं पहुँचते हैं, लेकिन सोलर फ्लेयर्स/तूफान, सोलर एनर्जेटिक पार्टिकल्स (SEPs), हाई-स्पीड सोलर विंड्स और कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष व ऊपरी वायुमंडल में अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित कर सकते हैं।
  • अंतरिक्ष-निर्भर सेवाओं के संचालन पर प्रभाव:
    • सौर तूफान ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (जीपीएस), रेडियो और उपग्रह संचार जैसी अंतरिक्ष संबंधी सेवाओं के संचालन को प्रभावित कर सकते हैं। इसके कारण विमान उड़ान, पावर ग्रिड और अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम असुरक्षित हो जाते हैं।
  • मैग्नेटोस्फीयर में संभावित समस्या:
    • कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) लाखों मील प्रति घंटे की गति से यात्रा करने वाले पदार्थ से संभावित रूप से मैग्नेटोस्फीयर में गड़बड़ी पैदा कर सकता है, जो कि पृथ्वी के चारों ओर सुरक्षा कवच है।
    • स्पेसवॉक पर अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी के सुरक्षात्मक वातावरण के बाहर सौर विकिरण के संभावित स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता है।

सौर तूफान की भविष्यवाणी:

  • सौर भौतिक विज्ञानी और अन्य वैज्ञानिक सामान्य रूप से सौर तूफान एवं सौर गतिविधियों की भविष्यवाणी करने के लिये कंप्यूटर मॉडल का उपयोग करते हैं।
    • वर्तमान मॉडल तूफान के आगमन के समय और उसकी गति की भविष्यवाणी करने में सक्षम है।
    • लेकिन तूफान की संरचना या अभिविन्यास का अभी भी अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।
  • चुंबकीय क्षेत्र के कुछ झुकाव मैग्नेटोस्फीयर से अधिक तीव्र प्रतिक्रिया उत्पन्न कर सकते हैं और अधिक तीव्र चुंबकीय तूफानों को ट्रिगर कर सकते हैं।
    • लगभग हर गतिविधि के लिये उपग्रहों पर बढ़ती वैश्विक निर्भरता के साथ बेहतर अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान और उपग्रहों की सुरक्षा हेतु अधिक प्रभावी तरीकों की आवश्यकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस