RAS Mains 2024

दिवस-8: भारत की BioE3 नीति क्या है और इसकी प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? (100 शब्द)

06 Jun 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | साइंस और टेक्नोलॉजी

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • BioE3 नीति का संक्षिप्त अवलोकन प्रदान करते हुए तथ्यात्मक परिचय से उत्तर लेखन की शुरुआत कीजिये।
  • उत्तर को स्पष्ट एवं सटीक बिंदुओं में विभाजित कीजिये।
  • उचित निष्कर्ष दीजिये।

परिचय: 

भारत की BioE3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोज़गार के लिये जैव प्रौद्योगिकी) नीति एक रणनीतिक पहल है जिसका उद्देश्य जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सतत् विकास को बढ़ावा देना है। इसका उद्देश्य हरित प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए तथा जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा जैसी महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करते हुए देश की जैव-विनिर्माण क्षमताओं को सुदृढ़ करना है।

मुख्य भाग:

  • नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास: नीति जैव प्रौद्योगिकी नवाचार को प्रोत्साहित करती है तथा उच्च प्रदर्शन वाले जैव विनिर्माण में प्रौद्योगिकी विकास पर बल देती है।
  • हरित विकास पर ध्यान: यह पर्यावरणीय लक्ष्यों के अनुरूप संधारणीय जैव-प्रौद्योगिकीय उत्पादों के विकास का समर्थन करती है।
  • अनुसंधान एवं विकास तथा उद्यमिता के लिये समर्थन: व्यावसायीकरण को बढ़ावा देने की दिशा में अनुसंधान एवं विकास तथा जैव विनिर्माण और जैव-AI केंद्रों की स्थापना को बढ़ावा देती है।
  • चक्रीय जैव अर्थव्यवस्था: इसका उद्देश्य एक चक्रीय जैव अर्थव्यवस्था स्थापित करना है जो संधारणीय प्रथाओं के माध्यम से जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा एवं मानव स्वास्थ्य जैसे मुद्दों से निपटता है।
  • राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ संरेखण: यह भारत के नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्यों और पर्यावरण के लिये जीवन शैली पहल के साथ संरेखित है।
  • रणनीतिक क्षेत्र: इसके फोकस क्षेत्रों में जैव-आधारित रसायन, स्मार्ट प्रोटीन, बायोपॉलिमर, परिशुद्ध जैव चिकित्सा एवं जलवायु-अनुकूल कृषि शामिल हैं।
  • विकास लक्ष्य: वर्ष 2030 तक 300 बिलियन डॉलर की जैव अर्थव्यवस्था तक पहुँचने का लक्ष्य, जो वर्ष 2024 में 130 बिलियन डॉलर है।

निष्कर्ष: 

भारत की BioE3 नीति संधारणीय जैव प्रौद्योगिकी प्रथाओं को बढ़ावा देने, जैव-विनिर्माण को बढ़ाने और रोज़गार सृजन के लिये एक समय पर उठाया गया कदम है। यह भारत के हरित, नवाचार-संचालित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन के लिये महत्त्वपूर्ण है। यह नीति भारत को वैश्विक जैव विनिर्माण में एक प्रमुख अभिकर्त्ता के रूप में स्थापित करती है।