प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना | 09 Feb 2019

चर्चा में क्यों है?

सरकार के हालिया अनुमानों के अनुसार, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के अंतर्गत 17.95लाख लोगों को प्रशिक्षित किया गया है। मंत्रिपरिषद् ने हाल ही में अगले 4साल में (अप्रैल 2016से मार्च 2020तक) 60लाखव्यक्तियों को नया प्रशिक्षण देने के लिये और अनौपचारिक कौशल प्राप्त 40 लाख लोगों को प्रमाण पत्र देने के लिये ₹12,000करोड़ रुपए के खर्च को मंजूरी दी।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) क्या है?

  • कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) का प्रमुख कार्यक्रम, जिसे राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) द्वारा कार्यान्वित किया जाना है।
  • एक कौशल प्रमाणीकरण कार्यक्रम जिसके अंतर्गत एक बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं एवं युवतियों को उद्योग-अनुरूप कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा जो उन्हें बेहतर जीविका सुनिश्चित करने में सहायता प्रदान करेगा।
  • यह योजना पिछली मानक प्रशिक्षण आकलन एवं पारितोषिक (स्टैंडर्ड ट्रैनिंग असेसमेंट एंड रिवार्ड- STAR) योजना का स्थान लेगी।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) की आवश्यकता

  • वर्तमान समय में भारत के सिर्फ 5 प्रतिशत श्रमबल को किसी भी प्रकार का औपचारिक कौशल प्रशिक्षण प्राप्त है और श्रमबल की खराब गुणवत्ता के अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्र कारण उत्पादन स्तर में गिरावट से जूझ रहे हैं।
  • इस संदर्भ में कौशल विकास देश के लिये प्रमुख प्राथमिकता वाला क्षेत्र बन गया है।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के उद्देश्य

  • प्रमाणन प्रक्रिया में मानकीकरण को प्रोत्साहन देना और कौशल के पंजीकरण की प्रक्रिया की शुरुआत करना।
  • बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं को कौशल प्रशिक्षण लेने, रोज़गार लेने के योग्य बनने और जीविकोपार्जन करने के लिये सक्षम करना और इसके लिये प्रेरित करना।
  • वर्तमान में मौजूद श्रमबल की उत्पादकता को बढ़ाना और देश की आवश्यकतानुसार प्रशिक्षण और प्रमाणन को प्रवृत्त करना।
  • कौशल प्रमाणन के लिये आर्थिक पारितोषिक देना जिससे युवक एवं युवतियों को रोज़गार प्राप्त करने की योग्यता और उत्पादकता को बढ़ावा मिले और साथ ही कौशल प्रशिक्षण के लिये प्रोत्साहन देना।
  • अधिकृत संस्थानों से कौशल प्रशिक्षण ले रहे अभ्यर्थियों को ₹8,000 प्रति अभ्यर्थी का औसत आर्थिक पारितोषिक प्रदान करना।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) की प्रमुख विशेषताएँ

  • राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (NSQF) और उद्योग नीति मानकों के आधार पर कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा।
  • तृतीय पक्ष आकलन निकायों द्वारा किये गए आकलन और प्रमाणन के आधार पर प्रशिक्षुओं को आर्थिक पारितोषिक।
  • स्थानीय स्तर पर आयोजित कौशल मेलों के द्वारा जागरूकता लाने हेतु प्रेरक प्रयास करना। परामर्शदाताओं की सहायता और नियोजन को सुगम बनाने की ओर विशेष ध्यान।
  • मांग के आधार पर कौशल प्रशिक्षण जिनका हाल ही में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) द्वारा 2013-17 के लिये किये गए कौशल रिक्तता अध्ययनों के आधार पर आकलन किया गया।
  • श्रम बाजार में पहली बार प्रवेश करने वालों और मुख्यतः दसवीं और बारहवीं कक्षा के बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले युवकों और युवतियों को लक्षित। सभी प्रशिक्षण प्रदाताओं को इस योजना में भाग लेने व अर्हता प्राप्त करने के लिये उचित अध्यवसाय से गुजरना होगा।
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत मुख्य ध्यान बेहतर पाठ्यक्रम, बेहतर अध्यापन शैली और बेहतर प्रशिक्षित अध्यापकों पर होगा।
  • इस योजना के तहत संबंधित राज्य सरकारें कुल प्रशिक्षण लक्ष्य के 25 प्रतिशत के लिये उत्तरदायी होंगी।

कार्यान्वयन की चुनौतियाँ

  • निजी क्षेत्र की भागीदारी का अभाव वर्ल्ड बैंक के एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में केवल 36 प्रतिशत कंपनियाँ अपने कर्मचारियों को औपचारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम उपलब्ध करवाती हैं।
  • इस योजना के उद्देश्य की पूर्ति के लिये कौशल विकास के साथ संबंधित क्षेत्र में नौकरी का सृजन होना भी आवश्यक है।
  • जुलाई 2015 के बाद से नियोजन के निराशाजनक आँकड़े इसकी सफलता पर गंभीर संदेह उत्पन्न करते हैं।

निष्कर्ष

  • जिस प्रकार इस योजना को आरंभ किया गया है, वह सराहनीय है और यह दर्शाता है कि सरकार युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देने के लिये प्रतिबद्ध है।
  • हालाँकि कौशल विकास एक मूलभूत पात्रता प्राप्त करने के बाद ही हो सकता है, जो सिर्फ स्कूली शिक्षा से मिलता है।
  • इसलिये यह आवश्यक है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि आधार-निर्माण के वर्ष मूल्यवर्द्धन करते हों और इसके लिये देशभर में प्रारंभिक और प्राथमिक शिक्षा को मजबूती प्रदान की जाए।
  • यह वास्तव में ‘कौशल भारत’ के स्वप्न को साकार करने में बड़ी भूमिका निभाने जा रहा है।