पेपर 2

स्वतंत्र भारत के महत्त्वपूर्ण निर्णय | 15 Oct 2020 | भारतीय राजनीति

केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)

मुख्य विषय: 

मूल संरचना के सिद्धांत का विकास

मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978)

मुख्य विषय: 

भारत के संविधान के तहत 'जीवन के अधिकार' अर्थ का विस्तार करना।


मोहम्मद अहमद खान बनाम शाहबानो बेगम (1985)

मुख्य विषय: 

इंद्रा साहनी बनाम भारत संघ (1992)

मुख्य विषय: आरक्षण की संवैधानिकता से संबंधित निर्णय देना।

विशाखा बनाम राजस्थान राज्य (1997)  

मुख्य विषय: 

निर्णय कई कारणों से अभूतपूर्व था:

सुप्रीम कोर्ट ने निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिये:

अरुणा रामचंद्र शानबाग बनाम भारत संघ (2011)  

क्या है एक्टिव और पैसिव यूथेनेसिया?

क्या है लिविंग विल का मामला?

लिली थॉमस बनाम भारत संघ (2013)  

मुख्य विषय: 

न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ (2017)

मुख्य विषय: निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, जिसे अनुच्छेद 21 के अंतर्गत सरंक्षण प्राप्त है।

मामले की पृष्ठभूमि

वर्ष 1954 में एम.पी. शर्मा मामले में 8 जजों की और वर्ष 1962 में खड़क सिंह मामले में 6 जजों की खंडपीठ ने निजता को मौलिक अधिकार नहीं माना था। अतः इसी वर्ष जब इस संबंध में उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई आरंभ की तो न्यायालय के नौ जजों की खंडपीठ बिठाई गई।

न्यायालय का निर्णय 

पुट्टास्वामी (2017) निर्णय के तहत आनुपातिक परीक्षा

यह माना जाता है कि गोपनीयता एक प्राकृतिक अधिकार है जो सभी व्यक्तियों को विरासत में मिलता है और यह अधिकार केवल राजकीय कार्रवाई द्वारा निम्नलिखित 3 परिस्थितियों में प्रतिबंधित किया जा सकता है:

नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ (2018)

मुख्य विषय: भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 को अवैध ठहराना और समलैंगिकता को वैधता प्रदान करना 

क्या है धारा 377?

उपरोक्त निर्णयों ने मूल संविधान में नित नए नवाचारों के माध्यम से इसके प्रगतिशील होने के विचार को साकार किया है तथा यह अनवरत् जारी है, इसे तीन तलाक, सबरीमाला मंदिर में प्रवेश आदि निर्णयों के माध्यम से समझा जा सकता है।