वर्तमान में भारत की सुरक्षा के समक्ष न केवल पारंपरिक बल्कि गैर-पारंपरिक चुनौतियाँ भी उपस्थित हैं। इन चुनौतियों का उल्लेख करते हुए इनसे निपटने के उपाय भी सुझाएँ।
उत्तर :
भारत परंपरागत रूप से सीमापार आतंकवाद, हथियारों की तस्करी, चीन तथा पाकिस्तान की नीतियों आदि के कारण सदैव सुरक्षा चुनौतियों का सामना करता रहा है लेकिन हाल ही के समय में भारत को अनेक गैर-परंपरागत सुरक्षा चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है।
भारत के लिये सुरक्षा चुनौतियाँ
- भारत की स्थलीय सीमा का एक बड़ा भाग चीन और पाकिस्तान से लगा है। ये दोनों देश परमाणु-शस्त्र संपन्न राष्ट्र हैं तथा इनका भारत के खिलाफ मजबूत गठजोड़ है।
- चीन ने अरूणाचल प्रदेश सहित भारत के कई भागों पर अपना दावा ठोका है तथा ‘लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल’ (LAC) का समय-समय पर उल्लंघन करता रहा है।
- पाकिस्तान कश्मीर मामले को लेकर भारत से शत्रुता रखता है तथा कश्मीर में निरंतर अलगाववादी आंदोलन को हवा देता रहा है। पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद को बढ़ावा देकर भारत की सुरक्षा व्यवस्था के समक्ष चुनौतियाँ पेश करता रहा है।
- भारत आंतरिक मोर्चे पर भी सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है। बढ़ती बेरोछागारी, जातीय हिंसा, सांप्रदायिक विभाजन, सामाजिक-आर्थिक राजनीतिकरण ने देश भर में असंतोष पैदा किया है। मीडिया के पक्षपातपूर्ण समाचार प्रसारण, अनियंत्रित सोशल मीडिया के दुरूपयोग ने भी इस असंतोष को बढ़ाने का काम किया।
- भारत अनेक अन्य गैर-परंपरागत सुरक्षा चुनौतियों का भी सामना कर रहा है, जैसे- इंटरनेट, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से नियोजित रूप से भारत में उग्रवादी विचारधारा का प्रसार, आतंकवादी संगठनों द्वारा इस नेटवर्क का प्रयोग अपनी विचारधारा का प्रसार करने के लिये करना आदि।
सुरक्षा समस्याओं से निपटने के उपाय
- सशस्त्र बलों के लिये आधुनिक तकनीक युक्त हथियारों और सहायक उपकरणों की आपूर्ति समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित करनी चाहिये।
- भारत को घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देकर उपकरणों के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देना चाहिये।
- भारत को ‘रक्षा खरीद प्रक्रिया’ का तीव्र कार्यान्वयन कर निजी क्षेत्र से रक्षा उपकरण खरीद प्रक्रिया की गति में तीव्रता लानी चाहिये।
- साइबर युद्ध से निपटने के लिये देश की सूचना प्रौद्योगिकी संस्थाओं में समन्वय स्थापित कर सरकार को एकीकृत प्रयास करने चाहियें तथा जनता को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक करना चाहिये।
- देश में व्याप्त असंतोष, बेरोछागारी, गरीबी आदि में कमी लाने के लिये सामाजिक-आर्थिक एवं राजनीतिक स्तर पर प्रयास करने चाहियें।